Health Insurance Tips: कंपनी छोड़ रहे तो ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस को फैमिली फ्लोटर पॉलिसी में कैसे पोर्ट करें?
Health Insurance tips: नौकरी छोड़ते ही कंपनी का ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस खत्म हो जाता है। ग्रुप पॉलिसी को पर्सनल प्लान में पोर्ट कर आप कवर जारी रख सकते हैं। यह प्रक्रिया नौकरी छोड़ने से कम से कम 45 दिन पहले शुरू करनी चाहिए।
ग्रुप पॉलिसी से इंडिविजुअल पॉलिसी में पोर्ट करने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना होता है।
Health Insurance tips: अगर आप नौकरीपेशा हैं तो कंपनी की तरफ से मिलने वाला ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस एक आसान, सस्ता और कैशलेस सुरक्षा कवच होता है। लेकिन इसकी एक बड़ी कमी यह है कि जैसे ही आप नौकरी छोड़ते हैं या ब्रेक लेते हैं, यह कवर तुरंत खत्म हो जाता है। कई लोग इसे तब समझते हैं जब इस्तीफा दे चुके होते हैं, और तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
दरअसल, नौकरी बदलते वक्त आप इस ग्रुप पॉलिसी को अपनी व्यक्तिगत या फैमिली फ्लोटर पॉलिसी में पोर्ट करा सकते हैं। इससे आपका हेल्थ कवर बीच में टूटता नहीं और जो वेटिंग पीरियड आपने पहले पूरा किया है, उसका फायदा आपको आगे भी मिलता है। लेकिन यह प्रक्रिया सही समय और सावधानी से करनी जरूरी है, नहीं तो फायदा हाथ से निकल सकता है।
पोर्टिंग की प्रक्रिया कैसे होती है?
ग्रुप पॉलिसी से इंडिविजुअल पॉलिसी में जाने को ही पोर्टिंग कहा जाता। यह अपने-आप नहीं होता। इसके लिए आपको मौजूदा पॉलिसी खत्म होने से कम से कम 45 दिन पहले आवेदन करना होता है। नई बीमा कंपनी आपकी पुरानी पॉलिसी, मेडिकल हिस्ट्री, उम्र और क्लेम रिकॉर्ड देखकर तय करती है कि आपको कितना कवर और प्रीमियम मिलेगा। मंजूरी मिलते ही आपकी नई पॉलिसी बिना ब्रेक के शुरू हो जाती है और पुराने फायदे साथ चलने लगते हैं।
क्या फायदे मिलते हैं पोर्टिंग से
पोर्टिंग का सबसे बड़ा फायदा है कि वेटिंग पीरियड की निरंतरता। मान लीजिए आपने ग्रुप पॉलिसी में दो साल पूरे कर लिए हैं, तो वही 2 साल नए प्लान में भी गिने जाएंगे। यानी पहले से चल रही बीमारियों या कुछ खास रोगों के लिए दोबारा इंतजार नहीं करना होगा। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि नई पॉलिसी की शर्तें बिल्कुल वही हों, कंपनी के नियमों के अनुसार बदलाव संभव है।
क्या बदलता है जब इंडिविजुअल प्लान में आते हैं?
नए रिटेल प्लान का प्रीमियम आमतौर पर ज्यादा होता है लेकिन इसमें कस्टमाइजेशन के ज्यादा विकल्प मिलते हैं। उम्र ज्यादा होने या हाल में क्लेम करने पर मेडिकल टेस्ट भी कराए जा सकते हैं। कुछ बेनिफिट जैसे मैटरनिटी कवर या जीरो को-पे ऑप्शन पहले जैसे नहीं मिलते। साथ ही रूम रेंट लिमिट या सब-लिमिट अलग हो सकती हैं।
इन गलतियों से बचें
सबसे बड़ी गलती है कि नौकरी छोड़ने के बाद पोर्टिंग शुरू करना। एक बार ग्रुप पॉलिसी खत्म हो गई तो पोर्टिंग का हक खत्म। कुछ लोग यह भी सोच लेते हैं कि नया प्लान अपने-आप ज्यादा कवर देगा जबकि ऐसा नहीं होता। नया सम इंश्योर्ड हमेशा बीमा कंपनी की मंजूरी पर निर्भर करता है।
पोर्ट करने का सही तरीका क्या है?
नौकरी छोड़ने से कम से कम 45-60 दिन पहले प्रक्रिया शुरू करें। पुराने पॉलिसी डॉक्युमेंट्स और क्लेम रिकॉर्ड संभालकर रखें। अपनी जरूरत और परिवार के हिसाब से सही कवर चुनें, भले प्रीमियम थोड़ा ज्यादा क्यों न हो। और एक बार रिटेल प्लान ले लेने के बाद कभी भी उसका रिन्यूअल भूले नहीं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या ग्रुप प्लान से पोर्ट करने पर मेरा पूरा वेटिंग पीरियड माफ कर दिया जाएगा?
माफ नहीं की जाएगी, बल्कि क्रेडिट कर दी जाएगी। आपकी ग्रुप पॉलिसी के तहत आपने जो वेटिंग पीरियड पूरा किया है, वो आगे भी जारी रहेगी। अगर आपकी नई बीमा कंपनी में किसी बीमारी के लिए चार साल का वेटिंग पीरियड है और आपने ग्रुप प्लान के तहत 3 साल पूरे कर लिए हैं, तो आपको केवल एक साल ही देना होगा।
क्या मैं पोर्ट करते समय अपनी सम इंश्योर्ड बढ़ा सकता हूं?
हां, लेकिन यह बढ़ोतरी मेडिकल अंडरराइटिंग के अधीन है। बीमा कंपनी जांच के लिए कह सकती है, बढ़ी हुई राशि पर वेटिंग पीरियड कंपनी लगा सकती है या ज़्यादा प्रीमियम ले सकती है। केवल पुरानी बीमित राशि (और बोनस) की निरंतरता की गारंटी होती है।
अगर पोर्ट करने से पहले मेरा इम्प्लॉयर बीमा कंपनी बदल दे, तो क्या होगा?
जब तक आपके अनुरोध की तारीख तक आपके पास सक्रिय कवरेज है, तब तक आप पोर्ट कर सकते हैं, भले ही ग्रुप बीमा कंपनी बदल गई हो। आपको नवीनतम पॉलिसी दस्तावेज़ और निरंतर कवरेज के सबूत की जरूरत होगी।
(प्रियंका कुमारी)