एफडी vs म्यूचुअल फंड: जल्दी पैसों की जरूरत तो लोन के लिए कौन सा विकल्प बेहतर?

एफडी vs म्यूचुअल फंड: एफडी लोन सस्ता और तुरंत मिलने वाला विकल्प है, इसमें रिस्क कम होता है। म्यूचुअल फंड लोन में बड़ी रकम मिल सकती है, लेकिन मार्केट रिस्क ज्यादा।

Updated On 2025-09-08 18:08:00 IST

FD loan vs MF loan

एफडी vs म्यूचुअल फंड: पैसों की जरूरत कभी भी पड़ सकती है। ऐसे में लोग या तो अपने निवेश तोड़ते हैं या फिर लोन का सहारा लेते हैं। लेकिन अगर आप अपने फिक्स्ड डिपॉजिट या म्यूचुअल फंड के खिलाफ लोन लेते हैं, तो आपको तुरंत कैश भी मिल सकता है और निवेश भी बचा रहता है। सवाल यह है कि कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है?

एफडी पर लोन लेना सबसे आसान तरीका है। क्योंकि आपका पैसा पहले से ही बैंक में जमा है इसलिए लोन प्रोसेसिंग में ज्यादा समय नहीं लगता। कई बार कुछ ही घंटों में लोन मिल जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ब्याज दर आपके एफडी रेट से सिर्फ 1-2 फीसदी ज्यादा होती है। यानी यह सबसे सस्ते लोन में गिना जाता है। साथ ही, एफडी पर ब्याज मिलता रहता है, हालांकि बैंक उसे होल्ड पर रखता है जब तक लोन चुकाया नहीं जाता।

म्यूचुअल फंड पर लोन

म्यूचुअल फंड पर भी आप अपने यूनिट्स गिरवी रखकर बैंक या एनबीएफसी से लोन ले सकते हैं। फायदा यह है कि आपको निवेश बेचना नहीं पड़ता, जिससे कैपिटल गेन टैक्स भी नहीं लगता। लेकिन रिस्क भी ज्यादा है। अगर मार्केट नीचे गया और आपके यूनिट्स की वैल्यू घट गई, तो बैंक आपसे अतिरिक्त कोलेटरल मांग सकता है या फिर यूनिट बेचकर अपनी रिकवरी कर सकता। एमएफ लोन पर ब्याज दर भी ज्यादा होती है। आमतौर पर 9 से 12% तक।

एफडी पर लोन छोटे और तय साइज में मिलते हैं क्योंकि यह मार्केट रिस्क से जुड़े नहीं होते। जबकि म्यूचुअल फंड पर लोन लचीलापन देता है और बड़े अमाउंट तक मिल सकता है। एफडी लोन प्रोसेसिंग तुरंत होती है, वहीं एमएफ लोन में वैल्यूएशन और अप्रूवल की वजह से समय लग सकता है। छोटे और तुरंत जरूरत के लिए एफडी लोन बेहतर है, लेकिन बड़ी रकम चाहिए तो म्यूचुअल फंड लोन काम आ सकता है।

रिस्क फैक्टर किसमें ज्यादा

एफडी लोन लगभग बिना रिस्क के आते हैं। डिफॉल्ट की स्थिति में बैंक आपकी जमा राशि से रकम काट लेगा। लेकिन म्यूचुअल फंड लोन ज्यादा रिस्की है क्योंकि मार्केट वोलैटिलिटी सीधे आपके निवेश पर असर डाल सकती है। इसलिए सुरक्षित निवेशक एफडी लोन चुनते हैं, जबकि रिस्क लेने वाले एमएफ लोन की ओर झुक सकते हैं।

लंबी अवधि पर असर

एफडी पर लोन लेने पर आपकी डिपॉजिट ब्याज कमाती रहती है। म्यूचुअल फंड में भी आपका निवेश बढ़ता रहता है, लेकिन मार्केट रिस्क की वजह से लोन की शर्तें बदल सकती हैं। इसलिए शॉर्ट-टर्म जरूरतों के लिए एफडी लोन समझदारी है, जबकि लॉन्ग-टर्म प्लानिंग और बड़ी राशि के लिए एमएफ लोन लिया जा सकता है।

(प्रियंका कुमारी)

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