Infosys Buyback: इंफोसिस की 18,000 करोड़ की बायबैक खुली विंडो, जानिए कैसे लें भाग
(एपी सिंह) मुंबई। इंफोसिस का 18,000 करोड़ रुपए का शेयर बायबैक गुरुवार 20 नवंबर से शुरू हो चुका है और यह 26 नवंबर तक चलेगा। यह कंपनी के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा बायबैक है, जिसमें शेयरों को 1,800 रुपए प्रति शेयर के प्रीमियम मूल्य पर खरीदा जाएगा। गौर करने वाली बात यह है कि यह पिछले बायबैक (2022 में 9,300 करोड़ रुपए) से दोगुना बड़ा है। कंपनी ने बायबैक को दो श्रेणियों में बांटा है-छोटे शेयरधारक और सामान्य श्रेणी। छोटे निवेशकों के लिए 15% आरक्षित कोटा रखा गया है, कि उन्हें बेहतर एक्सेप्टेंस रेशियो मिल सके।
छोटे निवेशकों के लिए लाभ का अवसर
छोटे शेयरधारक उन निवेशकों को माना जाता है जिनके पास रिकॉर्ड डेट यानी 14 नवंबर को 2 लाख रुपए तक के शेयर रहे हों। ऐसे शेयरधारकों की संख्या लगभग 25.85 लाख है। आरक्षित श्रेणी में बायबैक अनुपात 2:11 है, यानी हर 11 शेयर पर 2 शेयर टेंडर करने का अधिकार मिलेगा, जबकि सामान्य श्रेणी में यह अनुपात 17:706 तय किया गया है। बायबैक टेंडर रूट के जरिए हो रहा है। जिन निवेशकों के पास इंफोसिस के शेयर हैं, वे अपने ब्रोकर के माध्यम से बायबैक प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं। अगर निवेशकों के शेयर बायबैक के लिए स्वीकार किए जाते हैं तो कंपनी उन्हें उनके ट्रेडिंग खाते में शेयरों के मूल्य का भुगतान कर देगी।
प्रमोटर्स नहीं ले रहे बायबैक में हिस्सा
एंटाइटलमेंट का मतलब है कि रिकॉर्ड डेट पर आपके पास जितने शेयर थे, उसके अनुसार आप कितने शेयर बायबैक में टेंडर कर सकते हैं। अंतिम स्वीकृति इससे अधिक या कम हो सकती है, जो मांग और आरक्षण पर निर्भर करता है। इस बायबैक को लेकर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कंपनी के प्रमोटर्स जैसे नंदन नीलेकणी, नारायण मूर्ति, सुधा मूर्ति और रोहन व अक्षता मूर्ति ने घोषणा की है कि वे बायबैक में हिस्सा नहीं लेंगे। बायबैक में प्रमोटर्स का न भाग लेना बाजार के लिए सकारात्मक संकेत माना जाता है, क्योंकि यह कंपनी के भविष्य को लेकर उनके विश्वास को दर्शाता है।
निवेशक के स्लैब के हिसाब से बायबैक पर टैक्स
इससे खुदरा निवेशकों का एंटाइटलमेंट और स्वीकृति अनुपात और बेहतर होने की संभावना रहती है। ब्रोकरेज फर्मों और मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार, प्रमोटर्स का न बिकना इसका संकेत है कि वे कंपनी के भविष्य को लेकर आश्वस्त हैं। यह निवेशकों का भरोसा मजबूत करता है और आईटी सेक्टर में बढ़ते बुलिश ट्रेंड को और बल देता है। हालाँकि, बायबैक के साथ टैक्स से जुड़ी गणनाएं भी महत्वपूर्ण हैं। अक्टूबर 2024 से बायबैक को डिविडेंड की तरह टैक्स किया जाता है और यह निवेशक की टैक्स स्लैब के हिसाब से पूरी तरह टैक्सेबल होता है।
उच्च टैक्स स्लैब वाले निवेशकों को कम लाभ
यानी 30% या इससे ऊपर के टैक्स स्लैब में आने वाले निवेशकों के लिए बायबैक का लाभ काफी कम हो जाता है। ऐसे निवेशकों के लिए कई बार बाजार में शेयर बेच देना अधिक फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन लो-टैक्स ब्रैकेट या टैक्स-एक्जेम्प्ट निवेशकों के लिए यह बायबैक बहुत फायदेमंद हो सकता है क्योंकि यहां उनका नेट गेन काफी अधिक रह सकता है। इंफोसिस यह बायबैक पूरी तरह अपनी आंतरिक नकदी और रिज़र्व से कर रही है, जो कंपनी की मजबूत बैलेंस शीट और कैश फ्लो की स्थिति को दर्शाता है।
टैक्स ब्रैकेट के अनुसार शेयर बेचें, तो अच्छा रिटर्न
कंपनी के लिए यह कदम अपने अतिरिक्त धन को शेयरधारकों को लौटाने का एक तरीका है और इससे शेयरों की संख्या कम होकर ईपीएस और आरओई जैसे वित्तीय अनुपात भी बेहतर होते हैं, जो लंबे समय के निवेशकों के लिए सकारात्मक है, भले ही वे बायबैक में भाग न लें। कुल मिलाकर, यह बायबैक खुदरा निवेशकों के लिए इसलिए बेहतर माना जा रहा है क्योंकि प्रमोटर्स के बाहर रहने से स्वीकार्यता अनुपात बढ़ सकता है और 1,800 रुपये का प्रीमियम बाजार भाव से काफी अधिक है। यदि निवेशक टैक्स ब्रैकेट के अनुसार सही रणनीति अपनाते हैं, तो यह अवसर उन्हें अच्छे रिटर्न दे सकता है।