IMF ने बढ़ाया लक्ष्य: एक साल देर से $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनेगा भारत, जानें क्या हैं कारण
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने अपनी पिछली रिपोर्ट में यह लक्ष्य FY28 में हासिल होने की उम्मीद जताई थी। मौजूदा स्थिति को देखते हुए आईएमएफ ने इसे एक साल आगे बढ़ा दिया है। पढ़ें पूरी खबर...
(एपी सिंह ) नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत अब पहले के अनुमान की तुलना में एक वर्ष देर से 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनेगा। पहले यह लक्ष्य वित्त वर्ष 2028 (FY28) में हासिल होने की उम्मीद थी, लेकिन अब IMF ने अपनी नई स्टाफ कंसल्टेशन रिपोर्ट में कहा है कि भारत FY29 में इस मुकाम पर पहुंच पाएगा। इस देरी की दो मुख्य वजहें बताई गई हैं पहला, उम्मीद से कम GDP ग्रोथ और दूसरा रुपए में आई तेज गिरावट, जिसने डॉलर के मुकाबले जीडीपी के मूल्य को घटा दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था FY26 में 4 ट्रिलियन डॉलर का स्तर को पार कर लेगी और FY28 में लगभग 4.96 ट्रिलियन डॉलर पर जा पहुंचेगी, यानी लक्ष्य से सिर्फ थोड़ा कम। बता दें, फरवरी 2025 में IMF ने अनुमान लगाया था कि भारत की GDP FY28 में 5.15 ट्रिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंच जाएगी। नए प्रोजेक्शन इससे लगभग 200 बिलियन डॉलर कम है। यही नहीं, यदि 2023 की IMF रिपोर्ट से तुलना करें तो अंतर और भी बड़ा दिखता है। 2023 में IMF को उम्मीद थी कि FY28 तक भारत 5.96 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा पार कर लेगा।
2025 की रिपोर्ट में यही अनुमान करीब 0.5 ट्रिलियन डॉलर कम हो गया है, जिससे पता चलता है कि पिछले दो वर्षों में एक्सचेंज रेट की धारणाएं कितनी बदली हैं। इस बार रुपए की कमजोरी GDP के डॉलर मूल्य पर सबसे ज्यादा असर डाल रही है। IMF की मान्यताओं के अनुसार FY25 के लिए अनुमानित डॉलर-रूपया विनिमय दर 2023 की तुलना में 82.5 रुपए से बढ़कर 84.6 रुपए कर दी गई है। FY26 में इसके 87 रुपए और FY27 में 87.7 रुपए प्रति डॉलर तक जाने की संभावना जताई गई है। रुपए के इन लगातार कमजोर होने के अनुमान से भारत की GDP डॉलर में कम दिखाई देती है, भले ही घरेलू अर्थव्यवस्था की वास्तविक मजबूती बनी रहे।
इसका सरल अर्थ यह है कि भारत की वास्तविक आर्थिक प्रगति अच्छी गति से जारी है, लेकिन डॉलर के मुकाबले रुपए की गिरावट के कारण GDP का अंतरराष्ट्रीय मूल्यांकन थोड़ा नीचे दिख रहा है। इसलिए 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य अब एक साल आगे खिसककर FY29 में पहुंच गया है। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि रुपए की स्थिरता बेहतर होती है और नाममात्र वृद्धि उम्मीद के अनुसार रहती है, तो यह लक्ष्य समय पर हासिल किया जा सकता है या फिर उससे भी पहले।