Gold Price: पिछले 3 हफ्तो में सोने का भाव करीब ₹9,500 टूटा, चांदी भी लुढ़की; जानें ताजा रेट
पिछले 3 हफ्तों में सोने-चांदी की कीमतों में तेजी से गिरावट आई है। इन 3 हफ्तों में सोना करीब ₹9,500 तक गिरा है। वहीं, चांदी भी ₹850 लुढ़कर ₹1,48,275 पर आ गई है।
पिछले 3 हफ्तो में सोने का भाव करीब ₹9,500 टूटा, चांदी में भी दिखीं सुस्ती।
सोने-चांदी की कीमतें फेस्टिव सीजन में ऑल-टाइम हाई के रिकॉर्ड के बाद अब लुढ़कती दिख रही है। इस हफ्ते गोल्ड और सिल्वर के दाम में गिरावट आई हैं। इंडियन बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, दिवाली से पहले यानी 17 अक्टूबर को गोल्ड का प्राइस सोना ₹1,29,584 प्रति 10 ग्राम पर था। वहीं, दिवाली के बाद 31 अक्टूबर को सोने के दाम गिरकर ₹1,20,770 प्रति 10 ग्राम हो गए। यह गिरावट का दौर लगातार तीसरे हफ्ते भी जारी रहा और 7 नवंबर तक 670 रुपए कम होकर सोना 1,20,100 रुपए प्रति 10 ग्राम पर आ गया।
यानी पिछले तीन हफ्तों के अंदर सोने के दामों करीब ₹9,500 की गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह चांदी भी कमजोर हुई है। पिछले हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन 31 अक्टूबर को ₹1,49,125 प्रति किलोग्राम थी , जो अब इस हफ्ते यानी 7 नवंबर को 850 रुपए कम होकर ₹1,48,275 पर आ गई है। लगातार तीसरे सप्ताह के इस गिरावट के चलते निवेशक सतर्क नजर आ रहे हैं।
सोना-चांदी के दाम में गिरावट के क्या है कारण?
सोने-चांदी की कीमतों में लगातार गिरावट के पीछे कई कारण है। इनमें प्रमुख भारत में फेस्टिव सीजनल खरीदी का खत्म होना है। दरअसल, दीवाली जैसे बड़े त्योहार के बाद देशभर में गोल्ड-सिल्वर की खरीदारी थम गई है। जिसके चलते कीमती धातु की डिमांड में कमी आई।
साथ ही, दूसरा कारण ग्लोबल तनाव में कमी होना भी है। सोना और चांदी को 'सेफ-हेवन' संपत्ति माना जाता है, यानी जब आर्थिक या राजनीतिक स्थिति खराब होती है, तो लोग इन्हें सुरक्षित निवेश के रूप में खरीदते हैं। लेकिन अब ग्लोबल टेंशन कम होने के कारण इनकी कीमतों में गिरावट आई है।
इसके अलावा, कीमती धातुओं की कीमतों में तेज़ी के बाद निवेशक अब मुनाफा निकाल रहे हैं। टेक्निकल इंडिकेटर्स जैसे रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) यह दिखा रहे थे कि कीमतें ओवरबॉट (बहुत ज्यादा बढ़ी हुई) हो चुकी थीं। इसका मतलब था कि बाजार में ज्यादा खरीदारी हो चुकी थी और अब कीमतें गिर सकती थीं। इसलिए, ट्रेंड फॉलो करने वाले और डीलर्स ने बिकवाली करना शुरू कर दिया है।
शहरों में सोने के अलग-अलग दाम होने की 4 बड़ी वजहें
1. ट्रांसपोर्टेशन का खर्च:
सोना एक भौतिक वस्तु है, इसलिए इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में लागत आती है। भारत में अधिकतर सोने का आयात हवाई मार्ग से किया जाता है, जिसके बाद उसे देश के अलग-अलग इलाकों तक पहुंचाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में ईंधन, सुरक्षा, वाहन और कर्मचारियों के खर्च शामिल होते हैं, जो अलग-अलग शहरों में सोने की कीमतों पर असर डालते हैं।
2. डिमांड और खरीद की मात्रा:
हर शहर या राज्य में सोने की मांग अलग होती है। उदाहरण के तौर पर, दक्षिण भारत देश की कुल सोने की खपत का लगभग 40% हिस्सा रखता है। यहां ज्वेलर्स बड़ी मात्रा में सोना खरीदते हैं, जिससे उन्हें थोक दर पर छूट मिलती है और कीमतें तुलनात्मक रूप से कम रहती हैं। वहीं, छोटे या टियर-2 शहरों में कम मांग होने के कारण रेट थोड़ा अधिक होता है।
3. लोकल ज्वेलरी एसोसिएशन का प्रभाव:
अलग-अलग राज्यों में स्थानीय ज्वेलर्स एसोसिएशन सोने के रेट तय करती हैं। जैसे तमिलनाडु में "ज्वेलर्स एंड डायमंड ट्रेडर्स एसोसिएशन" दाम तय करता है। इसी तरह हर राज्य या शहर में अपनी एसोसिएशन होती है, जो अंतरराष्ट्रीय बाजार और स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर दाम निर्धारित करती है।
4. ज्वेलर्स का खरीद मूल्य (पर्चेज प्राइस):
यह एक महत्वपूर्ण कारण है जो शहरों के बीच सोने की कीमत में फर्क लाता है। जो ज्वेलर्स पहले से कम दाम पर स्टॉक खरीद चुके होते हैं, वे ग्राहकों को तुलनात्मक रूप से सस्ता सोना बेच सकते हैं। वहीं जिन्होंने ऊंचे दाम पर खरीदा है, वे अपनी लागत के अनुसार ज्यादा रेट रखते हैं।
सोना खरीदते समय इन बातों का ध्यान रखें
1. BIS का लोगो जरूर देखेंआभूषण खरीदें
2. कैरेट में शुद्धता (जैसे 22K, 18K) जांचें
3. 6 अंकों का HUID नंबर हर गहने पर जरूर है
ध्यान रहे, सोना सिर्फ एक आभूषण नहीं, एक निवेश है। इसलिए अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए हॉलमार्क गोल्ड ही खरीदें। BIS Care App से जांचें, शुद्धता की पूरी जानकारी पाएं और धोखाधड़ी से बचें।