FPI Selling: नवंबर में 3765..2025 में 1.43 लाख करोड़ की बिकवाली, भारत को लेकर क्यों विदेशी निवेशकों में घबराहट?

FPI Selling:नवंबर में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से 3765 करोड़ निकाले, अक्टूबर की रुकावट के बाद फिर से बिकवाली बढ़ी। वैश्विक अनिश्चितता, टेक सेक्टर की अस्थिरता और घरेलू हाई वैल्यूएशन ने निवेशकों को सतर्क रखा है।

Updated On 2025-11-30 15:34:00 IST

भारतीय शेयर बाजार में क्यों बिकवाली हो रही?

FPI Selling: इस साल अक्टूबर में थोड़ी राहत के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक नवंबर में एक बार फिर भारतीय शेयर बाजार से दूरी बनाते दिखे। डिपॉजिटरी डेटा के मुताबिक, एफपीआई ने नवंबर में भारतीय इक्विटीज से 3,765 करोड़ की बिकवाली की। यह गिरावट ठीक उस समय आई जब अक्टूबर में 14,610 करोड़ का नेट इनफ्लो मिला था, जिसने तीन महीनों की लगातार बिकवाली की लकीर तोड़ी थी।

जुलाई में 17,700 करोड़, अगस्त में 34,990 करोड़ और सितंबर में 23,885 करोड़ की भारी निकासी हुई थी।

नवंबर की कमजोरी के पीछे क्या थे बड़े कारण?

नवंबर का रुख वैश्विक और घरेलू दोनों ही मोर्चों पर दबावपूर्ण रहा। वैश्विक स्तर पर, अमेरिका के फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती को लेकर अनिश्चितता, मजबूत अमेरिकी डॉलर, उभरते बाज़ारों में कमजोर जोखिम विकल्प और भू-राजनीतिक तनावों ने एफपीआई की धारणा को नकारात्मक बनाया। कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने भी निवेशकों के मूड को बिगाड़ा।

मॉर्निंग स्टार इंवेस्टमेंट रिसर्च के हिमांशु श्रीवास्तव के अनुसार, इन परिस्थितियों ने एफपीआई को सतर्क रुख अपनाने पर मजबूर किया। घरेलू मोर्चे पर, कुछ सेक्टर्स में हाई वैल्यूएशन और कमजोर इंडस्ट्रियल संकेतकों ने भी निवेशकों के भरोसे को प्रभावित किया, बावजूद इसके कि भारत की मैक्रो स्थिति स्थिर बनी हुई।

कौन से सेक्टर रहे सबसे ज्यादा प्रभावित?

एंजेल वन के वरिष्ठ एनालिस्ट वकार जावेद खान के मुताबिक, नवंबर की बिकवाली मुख्य रूप से ग्लोबल रिस्क अवर्जन और टेक सेक्टर की अस्थिरता के कारण हुई। आईटी सर्विसेज, कंज्यूमर सर्विसेज और हेल्थकेयर सेक्टरों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा।

क्या यह लंबे समय की मंदी का संकेत है?

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अभी एफपीआई फ्लो में ट्रेंड रिवर्सल का स्पष्ट संकेत नहीं है। उन्होंने बताया कि नवंबर में एफपीआई कई दिनों में खरीदार भी रहे और कई दिनों में विक्रेता,ये दिखाता है कि परिस्थितियों के अनुसार प्रवाह बदल सकता है।

बाजार के मनोबल में सुधार का बड़ा कारण यह है कि निफ्टी और सेंसेक्स ने 27 नवंबर को 14 महीने बाद नए रिकॉर्ड हाई छुए। साथ ही, क्वार्टर-2 के मजबूत नतीजे और क्वार्टर-3 व क्वार्टर-4 में बेहतर परफॉर्मेंस की उम्मीद ने भी सेंटीमेंट को सपोर्ट दिया।

दिसंबर में क्या रहेगा गेमचेंजर?

दिसंबर में एफपीआई का रुख मुख्य रूप से दो चीजों पर निर्भर करेगा- पहला अमेरिकी फेड के रेट-कट संकेत और दूसरा भारत–अमेरिका ट्रेड डील की प्रोग्रेस। 2025 की अबतक की अगर बात करें तो एफपीआई भारतीय इक्विटीज से 1.43 लाख करोड़ से अधिक निकाल चुके हैं। वहीं, डेट मार्केट में सामान्य लिमिट के तहत 8,114 करोड़ का निवेश हुआ जबकि वॉलंटरी रिटेंशन रूट से 5,053 करोड़ की निकासी हुई।

(प्रियंका कुमारी)

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