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School Jobs for Cash Scam: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,000 शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता हाईकाेर्ट के फैसले पर रोक लगा दी।

School Jobs for Cash Scam:  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 25,000 शिक्षकों और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी। हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार को भी सभी नियुक्ति संबंधी रिकॉर्ड को डिजिटाइज नहीं करने पर बंगाल सरकार को जमकार फटकार लगाई। इस फैसले से  उन लोगों को राहत मिली जिनकी नौकरी 22 अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के बाद खतरे में थी।

मामले में जारी रहेगी CBI की जांच
हाईकोर्ट ने स्कूलों में शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति रिश्वत लेकर करने के मामले में सुनवाई करते हुए नियमों को ताक पर रखते हुए की गई सभी नियुक्तियां रद्द कर दी थी। इसके बाद पश्चिम बंगाल ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट की आदेश को चुनौती दी थी। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रिश्वत लेकर नौकरी देने के इस घोटाले (School Jobs for Cash Scam) की CBI जांच कराने के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। हालांकि, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले की सीबीआई जांच की इजाजत दे दी। 

दोषी पाए जाने वाले शिक्षकों को लौटाना होगा वेतन
उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने की। मामले की सुनवाई करने वाली बेंच में जस्टिस जेबी पादरीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल थे।  कोर्ट ने कहा कि अगर करीब 8000 शिक्षक सीबीआई जांच में दोषी पाए जाते हैं तो हाई कोर्ट का फैसला उन पर लागू होगा। ऐसा होने पर दोषी पाए जाने वाले शिक्षकें और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों को अपना वेतन लौटाना होगा।

आपने नियुक्तियों से जुड़ा डेटा सुरक्षित नहीं रखा
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने इतनी बड़ी संख्या में हुई नियुक्तियों से जुड़े डेटा को सही ढंग से नहीं रखने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को जमकर फटकार लगाई। बेंच ने कहा कि आपके पास डेटा है, या नहीं। आपकी यह ड्यूटी थी कि आप सभी दस्तावेजों को डिजिटाइज्ड तौर पर सुरक्षित रखतेद। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि आपके पास कोई डेटा नहीं है। आप इस बात से भी अनजान हैं कि आपके सर्विस प्रोवाइडर ने दूसरी एजेंसी को रख लिया है। आपको इस पर सुपरवाइजरी कंट्रोल रखना चाहिए था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के पास यह दिखाने के लिए कुछ नहीं है कि डेटा का रखरखाव इसके अधिकारियों द्वारा किया जा रहा था।

'सरकारी नौकरियां बदनाम हो गईं तो सिस्टम में क्या बचेगा'
सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में जनता के विश्वास के महत्व पर जोर दिया और नियुक्तियों से संबंधित डेटा को संभालने के राज्य सरकार के तरीके पर सवाल उठाया। पीठ ने राज्य अधिकारियों द्वारा उचित डेटा रखरखाव नहीं करने पर फटकार लगाई। चीफ जस्टिस ने बंगाल सरकार के वकीलों से कहा कि मौजूदा समय में सरकारी नौकरियां बेहद कम हैं। अगर जनता का भरोसा उठ गया तो कुछ भी नहीं बचेगा। यह एक सिस्टेमैटिक फ्रॉड है। सरकारी नौकरियों को आज सामाजिक प्रतिष्ठा के तौर पर देखा जाता है। अगर सरकारी नौकरियां ही बदनाम हो गई तो सिस्टम में क्या बचेगा। लोगों का विश्वास खत्म हो जाएगा। 

पश्चिम बंगाल सरकार ने अपनी याचिका में क्या कहा था?
बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाईकोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा था कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में जल्दबाजी में फैसला सुना दिया। हाईकोर्ट ने यह तक नहीं सोचा कि उसके आदेश का क्या असर होगा। इससे स्कूलों में कर्मचारियों की कमी हो जाएगी। इसका छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। बंगाल सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो रहा है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से इस पहलू पर विचार करे। 

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