कौन थे विन्सेंट वैन डेर मेरवे?: MP को दुनिया में दिलाई पहचान; PM मोदी के 'ड्रीम प्रोजेक्ट' को कैसे किया सच...जानिए

Who was Vincent van der Merwe
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Who was Vincent van der Merwe
प्रसिद्ध चीता विशेषज्ञ विन्सेंट वैन डेर मेरवे दुनिया में नहीं रहे। सऊदी अरब के रियाद में उनका शव मिला। MP के कूनो में चीतों को बसाने में विन्सेंट की अहम भूमिका थी।

Who was Vincent van der Merwe: मध्यप्रदेश के 'कूनो में चीतों को बसाने वाले महशूर चीता एक्सपर्ट अब हमारे बीच नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'ड्रीम चीता प्रोजेक्ट' की सफलता के पीछे अहम भूमिका निभाने वाले साउथ अफ्रीका के संरक्षणवादी विन्सेंट वैन डेर मेरवे का निधन हो गया है। मेरवे का शव रियाद में मिला है। मेरवे सऊदी अरब में चीतों को फिर से बसाने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। उनके निधन से दुनियाभर के वन्यजीव संरक्षणवादियों में शोक की लहर दौड़ गई है।

कैसे हुआ निधन?
विन्सेंट वैन डेर मेरवे की संस्था TMI चीतों की आबादी को बढ़ाने और उनकी सुरक्षा के लिए काम करती है। उनकी संस्था 'द मेटापॉपुलेशन इनिशिएटिव' इन दिनों सऊदी अरब सरकार के साथ मिलकर चीतों को बसाने की योजना पर काम कर रही थी। इसी सिलसिले में विन्सेंट रियाद गए थे। रियाद में उनके अपार्टमेंट बिल्डिंग के हॉलवे में विन्सेंट का शव मिला। CCTV फुटेज से पता चला कि मेरवे अचानक गिरे और सिर पर चोट लग गई। गंभीर चोट लगने के कारण उनकी जान चली गई।

कौन थे विन्सेंट वैन डेर मेरवे?
विन्सेंट का जन्म 1983 में साउथ अफ्रीका में हुआ था। वन्यजीवों के प्रति उनके प्रेम ने उन्हें संरक्षण जीव विज्ञान में एक शानदार करियर की ओर अग्रसर किया। 'द मेटापॉपुलेशन इनिशिएटिव' (TMI) के संस्थापक थे। चीतों की आबादी को बढ़ाने और उनकी सुरक्षा के लिए कई प्रयास किए। विन्सेंट ने चीतों को विभिन्न अभ्यारण्यों में सफलतापूर्वक फिर से बसाया।

217 चीतों के साथ हुई थी शुरुआत
विन्सेंट के 'चीता मेटापॉपुलेशन प्रोजेक्ट' की शुरुआत साउथ अफ्रीका के 41 वन्यजीव अभ्यारण्यों में 217 चीतों के साथ हुई थी। आज यह प्रोजेक्ट साउथ अफ्रीका, मलावी, जाम्बिया, जिम्बाब्वे, मोजाम्बिक और भारत में 75 अभ्यारण्यों में 537 चीतों तक फैल चुका है।

एमपी में चीते बसाने में अहम भूमिका
भारत में पीएम नरेंद्र मोदी के 'प्रोजेक्ट चीता' की सफलता के पीछे विन्सेंट की अहम भूमिका रही। नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी 'प्रोजेक्ट चीता' से विन्सेंट गहरे तौर पर जुड़े थे। इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों को फिर से बसाया। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए चीतों को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल ढालने में उनकी भूमिका बेहद अहम थी।

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