Subrata Pathak on Akhilesh Yadav: उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के मैदान में उतरने के बाद मुकाबला दिलचस्प हो गया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हराने वाले भाजपा सांसद सुब्रत पाठक एक बार फिर मुकाबले के लिए तैयार हैं। उन्होंने गुरुवार, 25 अप्रैल को कन्नौज लोकसभा चुनाव की तुलना भारत बनाम पाकिस्तान क्रिकेट मैच से कर दी।

वहीं, जब यह बात अखिलेश यादव के चाचा और सपा महासचिव राम गोपाल यादव तक पहुंची तो उन्होंने सुब्रत पाठक को पागलखाने भेजने की बात कह डाली। कुछ भी हो, लेकिन कन्नौज में करारा मुकाबला होने वाला है। 

पहले मैच भारत बनाम जापान का था
अखिलेश यादव ने कन्नौज से आज पर्चा भर दिया है। इससे पहले सपा ने यहां मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप को अपना प्रत्याशी बनाया था। भाजपा उम्मीदवार और मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक ने भी गुरुवार को नामांकन किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव सबसे बड़ा त्‍योहार होता है। जब चुनाव होते हैं तो दिलचस्प होने चाहिए। जब अखिलेश यादव ने तेज प्रताप को यहां भेजा तो उन्हें समझ आ गया। अगर तेज प्रताप के साथ मैच होता तो भारत बनाम जापान का क्रिकेट मैच होता। अब मैच भारत बनाम पाकिस्तान (अखिलेश यादव बनाम सुब्रत पाठक) जैसा होगा। 

राम गोपाल ने सुब्रत को बताया पागल
सुब्रत पाठक की 'भारत बनाम पाकिस्तान क्रिकेट मैच' वाली टिप्पणी पर समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें (सुब्रत पाठक) पागलखाने भेज देना चाहिए। क्योंकि पागल लोग चुनाव नहीं लड़ सकते। अगर वह ऐसा कह रहा है तो वह पागल है उसे पागलखाने भेज देना चाहिए।

अखिलेश के पुराने सहयोगी जयंत ने भी कसा तंज
अखिलेश यादव की कन्नौज से उम्मीदवारी पर उनके पूर्व सहयोगी और आरएलडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि आइए इंतजार करें और देखें। हो सकता है कि अगले दिन कोई और उम्मीदवार बन जाए। दरअसल, अखिलेश यादव ने यूपी की कई सीटों पर कई बार प्रत्याशी बदले हैं। 2019 चुनाव तक यादव परिवार की पारंपरिक सीट कन्नौज भी इससे अछूता नहीं रही। 

जयंत चौधरी ने कहा कि सच्चाई यह है कि मुझे उत्तर प्रदेश में विपक्ष जीतता नहीं दिख रहा है। यह (भारत गठबंधन) वास्तव में फ्लॉप हो रहा है। उनके बीच बहुत सारे आंतरिक झगड़े हैं, वे लड़ रहे हैं। इसलिए, जब वे चुनाव से पहले ही लड़ रहे हैं, तो चुनाव के बाद उनका अस्तित्व क्या होगा।

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