मसाने की होली क्या है?: धधकती चिताओं के बीच रंगोत्सव, काशी के मणिकर्णिका घाट में 1 लाख श्रद्धालुओं ने खेली होली, देखें वीडियो 

Masan Ki Holi Manikarnika Ghat in Varanasi
X
Masan Ki Holi Manikarnika Ghat in Varanasi
Masan KI Holi in Varanasi: काशी के मणिकर्णिका घाट में रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन होली का उत्सव खास तरीके से मनाया जाता है। बाबा के भक्तों ने यहां जलती चिताओं के बीच रंग उत्सव मनाया।

Masan KI Holi in Varanasi: होली का उत्सव इन दिनों पूरे भारत में सवाब पर है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गुरुवार को जलती चिताओं के बीच होली खेली गई। काशी के मणिकर्णिका घाट में होली उत्सव का यह दृश्य जिसने भी देखा रोमांचित हो उठा।

काशी (वाराणसी) के मणिकर्णिका घाट पर रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन खेले जाने वाले इस रंगोत्सव को मसाने की होली कहते हैं। गुरुवार को इस होली उत्सव में एक लाख से ज्यदा श्रद्धालु शामिल हुए। होली के गीत और बाबा भोलेनाथ के भजनों की धुन जनकर थिरके। साथ ही एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाया।

भोलेनाथ ने की थी मासाने की होली की शुरूआत
बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में मसाने की होली चिताओं की भस्म से खेली जाती है। पौराणिक कथाओं में मान्यता है कि मसाने की होली की शुरुआत भगवान भोलेननाथ ने की थी। रंगभरी एकादशी के दिन गौना करने के बाद माता पार्वती के साथ वह काशी आए थे और अपने गणों के साथ जमकर होली खेली थी। इस दौरान भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष गन्धर्व और किन्नर जीव जंतु ने चिता की भस्म से होली खेली थी। जिसे बाबा के भक्त आज भी भस्म की होली खेलते हैं।

इकलौता शहर जहां धधकती चिताओं के बीच होली उत्सव
बनारस देश का इकलौता शहर है, जहां धधकती चिताओं के बीच भस्म से होली खेलने की परंपरा है। बाबा विश्वनाथ के भक्त चिता भस्म से होली खेलते हैं और भजनों की धुन पर खूब झूमते हैं। साथ ही चिता की भस्म एक दूसरे पर अर्पित कर सुख, समृद्धि के लिए भोलेनाथ से कामना करते हैं।
WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story