महाकुंभ 2025: 12 साल में ही क्यों होता है कुंभ मेला, कैसे होती है काल गणना? एक्सपर्ट ने दिए जवाब; बताया धार्मिक महत्व 

Maha Kumbh Mela 2025 Date Time and years religious and mythological importance
X
महाकुंभ 2025: 12 साल में ही क्यों होता है कुंभ मेला, कैसे होती है काल गणना? एक्सपर्ट ने बताया धार्मिक और पौराणिक महत्व।  
Maha Kumbh 2025: खगोल विशेषज्ञ सारिका घारू ने बताया पौराणिक मान्यता के अनुसार, महाकुंभ 12 साल में होना चाहिए, लेकिन कभी-कभी यह 11 साल में भी हो जाता है।

Maha Kumbh 2025: उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हो गया। पहले दिन पौष पूर्णिमा 60 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया। महाकुंभ सनातन परंपरा का पवित्र आयोजन है। आइए जानते हैं महाकुंभ 12 साल बाद ही क्यों होता है और इसका पौराणिक महत्व क्या है?

पूर्णिमा से आरंभ महाकुंभ के समय आम लोगों का मानना है कि किसी एक स्‍थान पर कुंभ 12 साल बाद होता है, लेकिन हर बार ऐसा हो यह जरूरी नहीं है। किसी एक स्‍थान पर कुंभ का दोबारा आयोजन 11 वर्ष बाद भी हो सकता है।

undefined
kumbh mela 2025 dates

नेशनल अवार्ड प्राप्‍त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि पौराणिक और आध्यात्मिक मान्यता के अनुसार महाकुंभ 12 साल बाद होना चाहिए, लेकिन कभी कभी यह 11 साल में हो जाता है। इसकी मुख्य वजह खगोलीय काल गणना है।

एक साल में राशि बदलता है बृहस्‍पति
दरअसल, बृहस्‍पति ग्रह एक साल में एक राशि बदलता है। इस तरह 12 साल में वह सभी राशियों से होते पुन: उसी स्थिति पर पहुंच जाता है, इसलिए 12 साल में महाकुंभ होता है।

महाकुंभ मेला ऐसे होता है तय
खागोलीय काल गणना के अनुसार, बृहस्‍पति ग्रह 4,330.5 दिन (12 साल से 50 दिन पहले) सूर्य की परिक्रमा पूरी कर लेता है। जबकि, 12 साल में 4380 दिन होते हैं। 7-8 कुंभ में 50 दिन का यह अंतर बढ़कर 1 साल हो जाता है। यही कारण है कि 7 अथवा 8वां कुंभ 11 साल में होता है।

यह भी पढ़ें: आस्था का महासंगम, पहले अमृत स्नान के लिए उमड़ा जनसैलाब; 21 तस्वीरों में देखें श्रद्धा-विश्वास का अद्भुत नजारा

हरिद्वार में 11 साल पड़ा कुंभ
हरिद्वार में जब 2010 के बाद 2021 में कुंभ हुआ तो कुछ लोगों ने सवाल उठाए, लेकिन खगोल वैज्ञानिकों ने इसे स्पष्ट किया कि 83 साल पहले 1938 में भी 11वें साल कुंभ हुआ था।

यह भी पढ़ें: कुंभ मेले का शाही आगाज, 60 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, 'गूगल बाबा' ने बरसाए फूल

आकाशीय घड़ी से होता है निर्धारण
कुंभ मेला कब होगा, इसका निर्धारण हमारी आपकी घड़ी और कैलेंडर से नहीं बल्कि आकाशीय घड़ी से किया जाता है। बृहस्‍पति और सूर्य के इसके कांटे होते हैं। यह आकाशीय घड़ी बिना किसी भेदभाव के बताती है कुंभ मेला कब पड़ेगा।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story