Gyanvapi Masjid Controversy: ज्ञानवापी के तहखाने में कभी किसी मुस्लिम ने नहीं पढ़ी नमाज, हिंदू पक्ष ने रखा तर्क; इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

VHP demands on Gyanvapi Masjid controversy
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विश्व हिंदू परिषद ने रविवार को कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद का रखरखाव करने वाली इंतेजामिया कमेटी को अब ढांचे को हिंदुओं को सौंप देना चाहिए।
Gyanvapi Masjid Controversy: हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन और विष्णु शंकर जैन पेश हुए। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बहस की।

Gyanvapi Masjid Controversy: वाराणसी में ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में पूजा-पाठ पर रोक लगाए जाने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। फैसला कब आएगा, अभी इसकी जानकारी नहीं दी गई है। वाराणसी जिला जज ने तहखाने में पूजा का अधिकार दिया था। इस फैसले के खिलाफ अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने गुरुवार शाम 4 बजे दोनों पक्षों को अपने चैंबर में बुलाया था। इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि कोर्ट फैसला सुनाएगा।

अदालत मूल आदेश में बदलाव नहीं कर सकती
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी और पुनीत गुप्ता बहस की। वकीलों ने तर्क दिया कि पूजा के अधिकार की मांग को लेकर दायर सिविल मुकदमे में अधिकारों का निर्धारण किए बिना अंतरिम आदेश के माध्यम से अंतिम राहत देना कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है। इसके अलावा, जिला न्यायाधीश ने स्वयं दो विरोधाभासी आदेश दिए हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा 152 में निहित शक्ति का प्रयोग करते हुए अदालत मूल आदेश की प्रकृति में बदलाव का आदेश नहीं दे सकती है।

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31 साल बाद ज्ञानवापी में व्यास जी के तहखाने में पूजा शुरू हुई है।

हिंदू पक्ष ने 40 मिनट रखी दलीलें
हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन और विष्णु शंकर जैन पेश हुए। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से सीएस वैद्यनाथन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बहस की। उन्होंने करीब 40 मिनट तक दलीलें पेश कीं और कहा कि तहखाना ज्ञानवापी के दाहिनी ओर स्थित है। जहां हिंदू वर्ष 1993 तक पूजा कर रहे थे। आदेश 40 नियम 1 सीपीसी के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया, इसलिए यह निर्णय किसी भी तरह से मुसलमानों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है।

वैद्यनाथन ने आगे तर्क दिया कि किसी मुसलमान ने कभी भी तहखाने में नमाज नहीं पढ़ी और जब अदालत ने वाराणसी के डीएम को रिसीवर नियुक्त किया, तो उन्होंने अदालत के आदेश का पालन किया।

31 जनवरी को पूजा की मिली थी इजाजत
वाराणसी के जिला जज डॉक्टर एके विश्वेश ने 31 जनवरी को ज्ञानवापी के व्यासजी तहखाने में पूजा की अनुमति दी थी। साथ ही जिला मजिस्ट्रेट को एक हफ्ते के भीतर पूजा के इंतजाम करने का आदेश दिया था। हालांकि मजिस्ट्रेट ने महज 7 घंटे के भीतर तहखाने में पूजा पाठ शुरू करा दी।

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