छोटी उम्र में बड़ी सर्जरी: 11 माह की बच्ची के जबड़े में 4 इंच से बड़ा ट्यूमर, एम्स के डॉक्टरों ने दिया नया जीवन

Bhopal AIIMS News
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Bhopal AIIMS News : भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने सतत 4 घंटे की जटिल सर्जरी कर 11 माह की बच्ची के जबड़े से बड़ा ट्यूमर निकाल दिया। वहीं, दो अन्य ट्यूमर पीड़ितों को भी नया जीवन मिला।

Bhopal AIIMS News : भोपाल एम्स के डॉक्टरों ने 11 महीने की बच्ची के जबड़े से बड़ा ट्यूमर निकाला। डॉक्टरों ने 4 घंटे की जटिल सर्जरी को पूरा कर मासूम को नया जीवन दिया। डॉक्टरों के मुताबकि इस बच्ची में बड़ी उम्र के लोगों जैसा ट्यूमर पाया गया था।

डॉक्टरों ने बताया कि यह पिछले 6 माह से लगातार बढ़ रहा था, जिससे बच्ची का मुंह खुलना बंद हो गया था। बच्ची के परिजन कई अस्पतालों में इलाज के लिए भटके लेकिन फायदा नहीं हुआ। आखिरकार परिजन एम्स पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने बच्ची के जबड़े में ट्यूमर होने की पुष्टि की। विशेषज्ञों के अनुसार, इतनी छोटी आयु में यह बीमारी पहली बार देखने को मिली। सर्जरी में देरी से यह जानलेवा हो सकता था। इसके अलावा कैंसर से पीड़ित दो अन्य मरीजों की भी जटिल सर्जरी एम्स के डॉक्टरों ने की। फिलहाल तीनों मरीज पूरी तरह स्वस्थ हैं।

बड़ी उम्र में होने वाला ट्यूमर 11 माह की बच्ची में

विदिशा निवासी रितिका (11) कुछ खा पी नहीं पा रही थी। स्थानीय डॉक्टर ने उन्हें मुंबई-दिल्ली जैसे बड़े शहर में जाकर इलाज कराने की सलाह दी। एम्स के दंत रोग विभाग में बच्ची की जांच में पता चला कि उम्र देखते हुए यह ऑपरेशन करना बेहद कठिन है। विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. अंशुल राय ने बताया कि बच्ची की जान बचाने के लिए ऑपरेशन ही एक विकल्प था। ऐसे में एनेस्थीसिया विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस ऑपरेशन के लिए खास योजना बनाई गई। यह जबड़े का ट्यूमर आमतौर पर वयस्कों में होता है। इतनी छोटी बच्ची में इस तरह का ट्यूमर बेहद दुर्लभ है। पहली बार इतने छोटे बच्चे में चार घंटे चली इस जटिल सर्जरी को किया गया।

'व्हीपल तकनीक' से कैंसर से ग्रसित छोटी आंत निकाली

पीलिया और अनियंत्रित डायबिटीज से पीड़ित 53 साल की महिला डुओडेनम (छोटी आंत का ऊपरी हिस्सा) के कैंसर से पीड़ित थी। वहीं, 46 साल का व्यक्ति पैंक्रियाज के कैंसर से पीड़ित था। इन दोनों केस में कैंसर उनके आमाशय, पित्त की नली और छोटी आंत सहित अन्य हिस्सों तक फैल गया था।

डॉक्टरों के अनुसार, ट्यूमर को हटाना सबसे जटिल काम था। चूक होने पर मरीज की मौत तक हो सकती है। दुनिया में सबसे जटिल मानी जाने वाली व्हीपल तकनीक से दोनों मरीजों की सर्जरी जर्नल सर्जरी विभाग द्वारा की गई। इस तकनीक में एंडोस्कोप (कैमरे से लैस लचीली ट्यूब और एक छोटा क्लिपर) शरीर में डाला गया। इसके उपयोग से छोटी आंत समेत कैंसर से प्रभावित अन्य हिस्से को निकाला गया। इसके बाद सभी अंग को अमाशय से जोड़ा गया। इन दोनों ऑपरेशन में 10 से 12 घंटे का समय लगा।

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