Uddhav Thackrey Moves Supreme court: महाराष्ट्र में असली शिवसेना को लेकर शिवसेना शिंदे गुट और शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के बीच तकरार थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे गुट को असली शिवसेना घोषित कर दिया था।  विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने 11 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली गुट को असली शिवसेना करार दिया था। उद्धव ठाकरे ने विधायकों की अयोग्यता पर नार्वेकर के फैसले काे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 

फैसले पर उद्धव ने जाहिर की थी नाराजगी
विधानसभा स्पीकर के  फैसले पर उद्धव ठाकरे ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी। उद्धव ठाकरे ने कहा था कि अगर हमारा पार्टी संविधान वैध नहीं था तो हमें अयोग्य घोषित क्यों नहीं किया गया। विधानसभा अध्यक्ष ने एक चोर को ही राजा बना दिया। क्या नार्वेकर को इस बात का कोई आइडिया नहीं था कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने क्या काम सौंपा है। ठाकरे ने शिंदे गुट और विधानसभा अध्यक्ष के बीच पहले से सांठ-गांठ होने का आरोप लगाया था। उद्धव ने कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष सिर्फ एक ट्रिब्यूनल की भूमिका में थे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करना था। हालांकि, नार्वेकर ने ऐसा नहीं किया। एक ट्रिब्यूनल कोर्ट से ऊपर कैसे हो सकता है।

उद्धव ने पहले ही कहा था कि फैसले को चुनौती देंगे
उद्धव ठाकरे ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को लेकर कहा था  कि यह सुप्रीम कोर्ट का अपमान है। विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले से लोकतंत्र की हत्या हुई है। उद्धव ने पहले ही कह दिया था कि शिवसेना यूबीटी गुट इस फैसले को चुनौती देगा। शिवसेना ने दावा किया था कि यही फैसला सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष ने निर्णय लेते वक्त सुप्रीम कोर्ट की ओर से उन्हें दिए गए फ्रेमवर्क का पालन नहीं किया है। 

विधायकों की अयोग्यता पर क्या बोले थे स्पीकर?
11 जनवरी को महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर ने कहा था कि शिवसेना के पास 55 विधायक थे। इनमें से 37 विधायकों ने शिंदे गुट का समर्थन किया था। स्पीकर राहुल नार्वेकर ने  शिंदे गुट को ही असली शिवसेना करार दिया था। स्पीकर ने उद्धव गुट की ओर से नामि पार्टी के चीफ व्हीप सुनील प्रभु की ओर से विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने को गलत बताया था। स्पीकर ने कहा था कि सुनील प्रभु को चीफ व्हीप बनाने से पहले ही शिंदे गुट शिवसेना से अलग हो गया था। ऐसे में शिंदे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाना सही नहीं था।