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महाराष्ट्र में मराठा समुदाय द्वारा लंबे समय से की जा रही रिजर्वेशन की मांग पूरी होती दिख रही है। एकनाथ शिंदे सरकार ने 10 फीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

Maratha Reservation in Maharashtra: महाराष्ट्र की आरक्षण व्यवस्था को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार बड़ा निर्णय लिया है। सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में उचित प्रतिनिधित्व देने मराठा समुदाय को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने की मंजूरी मिल गई। कैबिनेट की मंजूरी के बाद यह प्रस्ताव विधानसभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया गया, जहां ध्वनिमत से पास हो गया। राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद अब इसे कानूनी रूप दिया जाएगा। 

क्या है मराठा आरक्षण बिल (Maratha Reservation Bill) 
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने असाधारण परिस्थितियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की सिफारिश की थी। जिसमें मराठा समुदाय को 10 से 12 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रस्ताव था। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के इस प्रस्ताव को शिंदे कैबिनेट की बैठक में पेश किया गया, जहां से मंजूरी मिलने के बाद अब विधानसभा का विशेष अधिवेशन बुलाकर चर्चा के लिए रखा जाएगा। 

महाराष्ट्र में आरक्षण की अभी यह स्थिति (Reservation status in Maharashtra)
राज्य में 52% आरक्षण वर्तमान में अनुसूचित जाति 13%, अनुसूचित जनजाति 7%, ओबीसी 19%, विशेष पिछड़ा वर्ग 2%, विमुक्त जाति 3%, घुमंतू जनजाति (बी) 2.5%, घुमंतू जनजाति (सी) धनगर में विभाजित है। 3.5%, और घुमंतू जनजाति (डी) वंजारी 2%।

मराठा आरक्षण क्यों जरूरी है 

  • मराठा आरक्षण  बिल में स्पष्ट किया गया कि मराठा समाज की जनसंख्या महाराष्ट्र की कुल जनसंख्या की 28 फीसदी है। 
  • मराठा समाज की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में भागीदारी आबादी के मुताबिक कम है, इसलिए उनको पर्याप्त भागीदारी देने की जरूरी है। 
  • मराठा समाज को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा घोषित किए जाने की शिफारिश की गई है। 
  • महाराष्ट्र में अभी 52 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। इसमें कई बड़ी जातियां व वर्ग शामिल हैं। ऐसे में 28 प्रतिशत आबादी वाले माराठा समाज को ओबीसी में रखना अनुचित है। यानी इस समाज को अलग आरक्षण देना जरूरी है। 
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