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World Water Day: बेंगलुरु जैसे हालात पूरे देश के न हो इसके सेव वॉटर कैंपेन को बड़े लेवल पर चलाना होगा। जल जन जोड़ो अधियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ संजय सिंह ने पानी की किल्लत और उसके निराकरण पर भी चर्चा की।

World Water Day: जल ही जीवन है, जल है तो कल है....  यह कुछ ऐसे कोट है जो हम आए दिन सुनते रहते हैं, लेकिन क्या वास्तव में जल, जीवन के लिए इतना जरुरी है, इसका अंदाज बेंगलुरु के उदाहरण से लिया जा सकता है। जहां पानी का संकट गहराता जा रहा है, पीने के पानी से लेकर नहाने-धोने तक के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। कर्नाटक सरकार ने कहा कि बेंगलुरु में हर दिन 500 मिलियन लीटर पानी की कमी पड़ रही है, जो शहर की रोजमर्रा की जरूरत का पांचवा हिस्सा है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि पानी जीवन के लिए कितना जरुरी है साथ ही इससे ये भी पता चलता है कि हमें जल बचाव के अभियान को ओर भी तीव्रता के साथ चलाया जाना चाहिए।

जल संरक्षित करना जरूरी
आज विश्व जल दिवस पर हरिभूमि ने जल जोड़ो अभियान सहित पानी बचाओ अभियान को सार्थक रुप देते लोगों से बातचीत की और जाना कि आखिर कैसे केवल मानसून पर ही जल के लिए निर्भर नहीं रहा जा सकता बल्कि अन्य उपायों से भी जल संरक्षित किया जा सकता है। जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ संजय सिंह ने पानी की किल्लत के  कारण और निवारण दोनों पर चर्चा की। 

मांग व आपूर्ति की अनियमितता कारण
जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ संजय सिंह ने कहा कि भारत में भूगर्भीय जल का स्तर नीचे जा रहा है और 2019 में इसकी व्यापक चर्चा भी हुई थी, सरफेस लेवल पर सप्लाई का आंकड़ा भी बिगड़ता जा रहा है, बांधों की स्टोरेज क्षमता भी कम है और जमीन के नीचे तथा जमीन के ऊपर के पानी में लगातार कमी आ रही है। जिसका एक कारण वर्षा की अनियमितता भी है। इसके साथ ही जल को ठीक समय पर रेगुलेट ना करना भी एक कारण कहा जा सकता है। वहीं जनसंख्या की लगातार वृद्धि से मांग व आपूर्ति की अनियमितता की वजह से जल संकट की स्थिति देखी जाती है। जिसका हल म्युनिसिपालिटी द्वारा पानी सप्लाई के समय में कमी करके किया जाता है। लेकिन यह कोई स्थाई हल नहीं है। रतलाम, इंदौर के साथ अब भोपाल में भी वॉटर क्राइसिस की समस्या सामने आई है।

घरेलू उपयोग में कम पानी प्रयुक्त तकनीकों का करना होगा प्रयोग
उन्होंने कहा कि सेव वॉटर या जल संरक्षण के लिए भारत सरकार को सेव वाटर कैंपेन बड़े लेवल पर चलना होगा, जल उपयोग स्वच्छता के साथ ही खेती में पानी का कम प्रयोग हो इसकी व्यवस्था करनी होगी, साथ ही कम पानी अब्जॉर्ब करने वाली फसलों को लगाने और घरेलू उपयोग में भी पानी का कम प्रयोग हो ऐसी तकनीकों पर कार्य करना होगा, नहीं तो आने वाले समय में जो हालात बेंगलुरु में है वो पूरे देश में भी हो सकते हैं। 

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