Saurabh Sharma case में बड़ा खुलासा: पूर्व आरक्षक को सरकारी नौकरी दिलाने में इस दिग्गज नेता का हाथ, सिफारिशी लेटर वायरल

Saurabh Sharma got a job in RTO with the recommendation letter of Narottam Mishra
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Saurabh Sharma case में बड़ा खुलासा: पूर्व RTO आरक्षक को सरकारी नौकरी दिलाने में इस दिग्गज नेता का हाथ, सिफारिशी लेटर वायरल
मध्य प्रदेश परिवहन विभाग (RTO) के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा केस में सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। एमपी के पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सौरभ की नियुक्ति के लिए अनुशंसा की थी।

Saurabh Sharma case: मध्य प्रदेश परिवहन विभाग (RTO) के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा केस में सबसे बड़ा खुलासा हुआ है। एमपी के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सौरभ की नियुक्ति की अनुशंसा की थी। शुक्रवार (3 जनवरी) को आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत साहू ने नियुक्ति लेटर जारी किया है। लेटर में 2016 में नरोत्तम के लेटर हैड पर सौरभ की अनुकंपा नियुक्ति के लिए अनुशंसा करने का जिक्र है। संकेत साहू ने लोकायुक्त से इसकी शिकायत भी की है। सौरभ की नियुक्ति की अनुशंसा करने वाला पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस पत्र को लेकर खबर लिखे जाने तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। हरिभूमि भी इसकी पुष्टि नहीं करता है।

पढ़िए लेटर में क्या लिखा है
आरटीआई एक्टिविस्ट साहू ने जो पत्र जारी किया है वह तत्कालीन मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने 12 अप्रैल 2016 को लिखा है। पत्र में लिखा है कि सौरभ शर्मा प़ुत्र स्व. राकेश कुमार शर्मा निवासी 47 विनय नगर सेक्टर-2 ग्वालियर के पिता का डॉ. राकेश शर्मा जो कि डीआरपी लाइन चिकित्सालय में पदस्थ थे। जिनका 20 नवंबर 2015 को सेवा के दौरान निधन होने के कारण जिले में तृतीय श्रेणी के किसी भी पद पर या संगणक रिक्त पद पर योग्यता अनुसार अनुकंपा नियुक्ति दिलाए जाने का अनुरोध किया है।

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संकेत ने लोकायुक्त से क्या की शिकायत
सूत्रों के मुताबिक, आरटीआई एक्टिविस्ट संकेत ने लोकायुक्त से भी शिकायत की थी। संकेत ने शिकायत में कहा है कि आरटीओ के पूर्व कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा की नियुक्ति गैर कानूनी है। सौरभ के पिता राकेश कुमार शर्मा का आकस्मिक निधन 20 नवंबर 2015 को हुआ था। निधन के बाद सौरभ की मां उमा शर्मा ने शासन को एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया था।

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बड़े बेटे सचिन की जानकारी छिपाई
उमा शर्मा ने पत्र में अपने बड़े बेटे सचिन शर्मा की छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी की जानकारी छुपाई थी। मां ने छोटे बेटे सौरभ शर्मा को तृतीय श्रेणी के पद पर नियुक्ति के लिए अनुरोध किया था। जबकि सौरभ इस नियुक्ति के लिए योग्य नहीं था। सौरभ का भाई पहले से वहां नौकरी कर रहा है। फिर भी, कुछ लोगों की सांठगांठ से सौरभ शर्मा को 2016 में परिवहन विभाग में नियुक्ति मिल गई।

सिलसिलेवार जानिए पूरा मामला
लोकायुक्त ने 19 दिसंबर को आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के घर और दफ्तर पर छापामार कार्रवाई की थी। लोकायुक्त को 2.95 करोड़ कैश, दो क्विंटल वजनी चांदी की सिल्लियां, सोने-चांदी के जेवरात और कई प्रापर्टी के दस्तावेज मिले थे। गुरुवार (19 दिसंबर) रात को ही भोपाल के मेंडोरी के जंगल में एक कार से 54 किलो सोना और 11 करोड़ कैश मिले थे। कार सौरभ के दौस्त चेतन सिंह की थी। मामले में 23 दिसंबर को ईडी की एंट्री हुई थी। ईडी ने सौरभ और उसके सहयोगी चेतन गौर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। सौरभ शर्मा केस में ED, IT और लोकायुक्त सहित सभी जांच एजेंसियों की कार्रवाई अभी जारी है।

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जानें कब तक जांच एजेंसियों को क्या-क्या मिला
ED, IT और आयकर विभाग को अब तक चली जांच-पड़ताल में लगभग 100 करोड़ का माल मिला है। लोकायुक्त को कैश, सोने, चांदी, हीरों के जवरात सहित कुल 7.98 करोड़ का माल मिला। आयकर विभाग को 41.60 करोड़ के सोने, चांदी और हीरों के जेवरात मिले हैं। 11 करोड़ कैश सहित कुल 52.60 करोड़ का माल मिला है। ED को जांच-पड़ताल में 4 करोड़ का बैंक बैलेंस, 6 करोड़ की FD, 23 करोड़ की संपत्ति सहित 33 सहित 33 करोड़ से अधिक का माल मिला है। तलाशी अभियान के दौरान विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज भी मिले हैं।

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