जबलपुर स्मार्ट सिटी से फ्रॉड: RBL बैंक मैनेजर ने खाता बदले, इंटरेस्ट डिटेल गलत दिखाया; करोड़ों का नुकसान, FIR दर्ज

RBL Bank Fraud Jabalpur
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जबलपुर स्मार्ट सिटी ने RBL बैंक के टास्क मैनेजर पर धोखाधड़ी करने और करोड़ों का नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज कराया है। जानें पूरा मामला।

RBL Bank Fraud Jabalpur: जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने आरबीएल बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी का गंभीर मामला दर्ज कराया है। आरोप है कि बैंक ने बिना इजाजत बचत खाते को चालू खाते में बदलकर 1.32 करोड़ रुपए का नुकसान कराया। इस बाबत मदन महल थाने में एफआईआर कराई गई है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। बैंक के टास्क मैनेजर कुमार मयंक को गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

RBL बैंक पर धोखाधड़ी के गंभीर आरोप
जबलपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रशासनिक अधिकारी रवि राव की शिकायत पर आरबीएल बैंक के विजय नगर शाखा (इंदौर) के टास्क मैनेजर कुमार मयंक के खिलाफ FIR दर्ज की गई। आरोप है कि बैंक ने स्मार्ट सिटी के 20 करोड़ रुपए के बचत खाते को चालू खाते में बदल दिया। इसके बाद फर्जी इंटरेस्ट दिखया। इसकी वजह से स्मार्ट सिटी को 1.31 करोड़ रुपए के ब्याज के बदले केवल 56 लाख रुपए दिखाया। इससे बैंक का करोड़ों का नुकसान हुआ।

बिना इजाजत बचत खातों को चालू खाते में बदला
शिकायत के मुताबिक, 2022 में आरबीएल बैंक के प्रतिनिधि जबलपुर स्मार्ट सिटी ऑफिस आए। बैंक के प्रतिनिधियों ने बचत खाते पर 6.25% ब्याज देने का वादा किया था। इसी आधार पर स्मार्ट सिटी ने बैंक में खाता खोला और 20 करोड़ रुपए जमा किए। लेकिन, बैंक ने बिना अनुमति बचत खाते को चालू खाते में बदल दिया, जिससे स्मार्ट सिटी को भारी नुकसान हुआ।

CSR फंड के तहत मिले 27 लाख रुपए हड़पे
स्मार्ट सिटी ने आरोप लगाया कि बैंक ने कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के तहत दिए जाने वाले 27 लाख रुपए हड़प लिए। इसके अलावा, बैंक ने फर्जी प्रमाण पत्र देकर जबलपुर स्मार्ट सिटी को धोखे में रखा। इस गबन और वित्तीय गड़बड़ी से स्मार्ट सिटी के विकास कार्यों पर भी असर पड़ा।

अब पुलिस करेगी गहराई से जांच
मदन महल थाने में मामला दर्ज होने के बाद, पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। जल्द ही जबलपुर पुलिस की एक टीम इंदौर जाकर मैनेजर कुमार मयंक से पूछताछ करेगी। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस धोखाधड़ी में और कौन-कौन शामिल हो सकता है। इस घटना ने बैंकिंग प्रोसेस की पारदर्शिता और भरोसे पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्मार्ट सिटी जैसी सरकारी संस्थाओं के साथ हुई इस धोखाधड़ी ने अन्य संस्थानों को भी सतर्क कर दिया है।

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