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आल इंडिया सिविल सेवा शॉर्ट प्ले स्पर्धा में वर्ष 1998 में अगरतला (त्रिपुरा) वर्ष 2001 में भोपाल और वर्ष 2003 में पटना (बिहार) में मध्य प्रदेश के कलाकारों ने  6 पुरस्कार प्राप्त  कर मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया। आज  जो 25 आर्टिस्ट एकत्र हुए उनमें चार आईएएस अफसर भी शामिल थे।

भोपाल। भारतीय भाषाओं के नाटकों के बीच हिंदी नाटकों ने विशेष जगह बनाई है और हिंदी बहुल राज्यों के कलाकारों को यह श्रेय जाता है कि देश के विभिन्न प्रदेशों तक हिंदी नाटकों की उत्कृष्टता  के प्रमाण दिए गए हैं। मध्य प्रदेश सिविल सेवा खेल मंडल के अनेक पूर्व सदस्यों ने बीते 25 वर्ष के अनुभव साझा करने के लिए नव वर्ष की पूर्व संध्या पर एक आत्मीय  मुलाकात में संस्मरण साझा किए।  इस दौरान यह बात सामने आई कि आल इंडिया सिविल सेवा शॉर्ट प्ले स्पर्धा में वर्ष 1998 में अगरतला (त्रिपुरा) वर्ष 2001 में भोपाल और वर्ष 2003 में पटना (बिहार) में मध्य प्रदेश के कलाकारों ने  6 पुरस्कार प्राप्त  कर मध्य प्रदेश का नाम रोशन किया। आज  जो 25 आर्टिस्ट एकत्र हुए उनमें चार आईएएस अफसर भी शामिल थे।

अधिकारी कर्मचारियों को प्रदान किया मंच
गौरतलब है कि सरकारी विभागों के ऐसे अधिकारी कर्मचारी जो खेलों के साथ ही नाटक और संगीत में रुचि रखते हैं,उनको प्रतिभा प्रदर्शन का मंच देने के लिए मध्य प्रदेश सिविल सेवा खेल मंडल कई वर्ष से कार्य कर रहा है। सामान्य प्रशासन विभाग अखिल भारतीय टूर्नामेंट की तैयारी के लिए प्रतिभागियों को कुछ दिन विशेष अवकाश भी  प्रदान करता है। मध्य प्रदेश ने कई अवसरों पर नाटकों में अभिनय मंच सज्जा, प्रकाश संयोजन और संगीत के अवार्ड जीते हैं।

अशोक मनवानी ने किया जननेता का रोल प्ले 
रिटायर्ड भोपाल कमिश्नर कवींद्र कियावत ने बताया कि वे एक्सीडेंटल ड्रामा आर्टिस्ट बने और एन वक्त पर अगरतला जाने वाली टीम में उन्हें भूमिका मिली। जयश्री कियावत एक मुस्लिम महिला के किरदार में बुर्का पहनकर नाटक में आई थीं। संगीत साधक उल्हास तैलंग जी ने भिखारी का रोल किया था। अशोक मनवानी  ने जननेता का रोल किया था।

रेनू ने निभाया था विक्षिप्त स्त्री का किरदार 
 रेनू तिवारी ने कहा उन्होंने विक्षिप्त स्त्री का किरदार निभाया था जो बहुत चुनौती पूर्ण था। वर्ष 2001 में डा रमेश के लिखे पंचायत नाटक के बाद प्रश्न खड़ा हुआ कि कहीं सरकार की पंचायत राज व्यवस्था पर हमला तो नहीं है लेकिन नाटक का संदेश बहुत साफ था। ग्राम पंचायतें निष्पक्षता से विकास कार्य करें। लक्ष्मीकांत वैष्णव के लिखे नाटक, नाटक नहीं की प्रस्तुति त्रिपुरा में हुई तो तब के त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक सरकार ने तारीफ की थी।

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