बीएसएफ जवान पंचतत्वों में विलीन: मणिपुर में नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान हुआ था शहीद, राजकीय सम्मान से हुआ अंतिम संस्कार  

Sub-Divisional Magistrate Ashish Kumar paying tribute to the martyr by offering a wreath and Army pe
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शहीद को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि देते उपमंडलाधीश आशीष कुमार व शहीद के परिजनों को तिरंगा सौंपते सेना के जवान। 
रोहतक में मणिपुर में नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए बीएसएफ जवान सुनील कुमार का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

रोहतक: 22 दिसंबर को मणिपुर में नक्सली हमले में शहीद हुए (BSF) बीएसएफ जवान सुनील कुमार का मंगलवार को उनके पैतृक गांव किलोई में राजकीय सम्मान के साथ गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। जिला प्रशासन की तरफ से उपमंडलाधीश आशीष कुमार ने शहीद सुनील कुमार के पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। अंतिम संस्कार के दौरान पूरा माहौल सुनील कुमार अमर रहे के नारों से गुंजायमान हो गया।

मणिपुर में तैनात था शहीद

गांव किलोई निवासी बीएसएफ जवान सुनील कुमार मणिपुर (Manipur) में तैनात था। 22 दिसंबर को देश की सेवा करते हुए नक्सली हमले में वह शहीद हो गया। सुनील की शहादत की सूचना मिलते ही परिजनों के अलावा पूरा गांव और आसपास का क्षेत्र गम के माहौल में डूब गया। मंगलवार सुबह सेना के विशेष वाहन में तिरंगे से लिपटा हुआ सुनील का पार्थिव शरीर जैसे ही गांव में पहुंचा, पूरा गांव उनके अंतिम दर्शन के लिए घरों से बाहर निकल आया। पूरी अंतिम यात्रा के दौरान शहीद सुनील कुमार अमर रहे के नारों से आसमान गूंजता रहा। सेना के जवानों ने परिजनों को देश की आन बान और शान तिरंगा परिजनों को सौंपा।

शहीद का राजकीय सम्मान से किया अंतिम संस्कार

सेना की टुकड़ी ने आसमान में गोली दाग कर और मातमी धुन बजाकर शहीद सुनील कुमार को अंतिम विदाई दी। जिला प्रशासन की तरफ से उपमंडलाधीश (SDM) आशीष कुमार ने शहीद सुनील कुमार के पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शहीद सुनील कुमार के परिजनों ने कहा कि उनको सुनील की शहादत पर गर्व है। सुनील कुमार करीब 18 वर्ष पहले बीएसएफ में भर्ती हुआ था। उसकी दो बेटियां हैं, बड़ी बेटी स्वाति करीब 18 वर्ष की है और छोटी बेटी सिमरन करीब 14 वर्षीय है। शहीद सुनील कुमार कुछ दिन पहले ही छुट्टी काटकर अपनी ड्यूटी पर गया था। अंतिम संस्कार में भारी संख्या में ग्रामीण व अन्य गणमान्य नागरिक शामिल रहे।

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