हरियाणा में जमीन अब रोवर्स के हवाले : ड्रोन और सैटेलाइट की मदद से होगा सीमांकन, 'चेन सर्वे' का झंझट होगा खत्म

chain survey will end : हरियाणा में जमीन की पैमाइश और सीमांकन का सिस्टम अब पूरी तरह बदलने जा रहा है। दशकों पुरानी चेन सर्वे तकनीक को अलविदा कहते हुए, सरकार ने अब रोवर्स (ROVERs) के जरिए डिजिटल मैपिंग आधारित सीमांकन को हरी झंडी दे दी है। इसका सीधा असर जमीन से जुड़े हर आम नागरिक, किसान, संपत्ति क्रेता-विक्रेता और बैंकिंग सेक्टर पर पड़ेगा।
प्रदेश सरकार ने 300 रोवर्स खरीदे
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अगुवाई में प्रदेश सरकार ने 300 रोवर्स की खरीद की है। ये अत्याधुनिक उपकरण लार्ज स्केल मैपिंग प्रोजेक्ट के तहत खरीदे गए हैं, जो अब जमीन के सटीक सीमांकन, रियल-टाइम डेटा और डिजिटलीकरण का काम करेंगे। इसमें सैटेलाइट इमेजरी, ड्रोन सर्वे और CORS (Continuously Operating Reference Stations) आधारित जियो-रेफरेंसिंग सिस्टम शामिल किया गया है।
हर जमीन का सटीक डिजिटल नक्शा बनेगा
पहले जमीन की माप के लिए पटवारी चेन का उपयोग करते थे। इसमें मैनुअल गलती की संभावना अधिक रहती थी और विवाद आम बात थी। अब रोवर सिस्टम के तहत हर जमीन का सटीक डिजिटल नक्शा बनेगा जो सैटेलाइट डेटा पर आधारित होगा। इससे भूमि विवाद, रिकॉर्ड में हेराफेरी और बिचौलियों की भूमिका खत्म होने की उम्मीद है। नई तकनीक से अब - प्रॉपर्टी लेन-देन होगा आसान, बैंक ऋण के लिए सटीक दस्तावेज़ मिलेंगे, सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे पहुंचेगा, रिकॉर्ड छेड़छाड़ की संभावना होगी शून्य।
जनता को मिलेगा भरोसेमंद भू-नक्शा
सरकार का उद्देश्य सिर्फ जमीन नापना नहीं है, बल्कि नागरिकों को एक ऐसा भरोसेमंद, जियो-रेफरेंस्ड नक्शा उपलब्ध कराना है, जिससे कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन अपनी जमीन की स्थिति देख सके और उसका सत्यापन कर सके। ये सभी नक्शे "भू-नक्शा पोर्टल" पर अपलोड किए जाएंगे और एकीकृत रूप में जनता की पहुंच में होंगे।
पटवारियों-कानूनगो की चल रही ट्रेनिंग
नई प्रणाली को लागू करने से पहले सरकार ने पटवारियों और कानूनगो के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू कर दिया है। यह ट्रेनिंग 23 अप्रैल से 17 मई तक चलेगी और इसे भारतीय सर्वेक्षण विभाग के भू-स्थानिक निदेशालय द्वारा चंडीगढ़ में आयोजित किया जा रहा है। प्रत्येक जिले को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि - दो चार्ज किए गए रोवर्स सेट हों, CORS यूज़र ID और पासवर्ड तैयार हों, जिला अधिकारी व्यक्तिगत रूप से निगरानी करें, यह प्रशिक्षण इस बात का संकेत है कि हरियाणा अब सिर्फ डिजिटल नहीं, बल्कि स्मार्ट भूमि प्रशासन प्रणाली की ओर बढ़ रहा है।
हेराफेरी और विवादों पर लगेगा ब्रेक
नई प्रणाली में सैटेलाइट इमेज, ड्रोन से ली गई जानकारी और CORS आधारित डेटा को कैडस्ट्रल मैप्स (भूमि के नक्शों) पर सुपरइम्पोज़ किया जाएगा। इससे नक्शे होंगे एकदम सटीक और एकरूप। परिणामस्वरूप - रिकॉर्ड में किसी भी प्रकार की हेराफेरी संभव नहीं होगी, विवाद की स्थिति में तुरंत डिजिटल साक्ष्य उपलब्ध होंगे, बिचौलियों की भूमिका लगभग खत्म हो जाएगी।
440 गांवों में शुरू होगा दूसरा फेज
प्रोजेक्ट का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है, जिसमें हर जिले से एक-एक गांव (कुल 22 पायलट गांव) में जमीन का डिजिटल सीमांकन किया गया। अब अगले चरण में 440 अतिरिक्त गांवों को शामिल किया गया है। सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2025-26 तक पूरे राज्य के ततिमा नक्शों (भूमि पार्सल) को अपडेट कर भू-नक्शा पोर्टल से जोड़ा जाए।
सेवा शुल्क होगा तय, जल्द लागू होगी एकरूप संरचना
सीमांकन प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए सरकार रोवर आधारित सर्वे के लिए एक समान शुल्क संरचना तय कर रही है। बहुत जल्द यह जानकारी सभी जिलों को साझा की जाएगी। इससे सेवा शुल्क में भिन्नता और अनियमितता पर भी रोक लगेगी।
इसलिए हो रहा इतना बड़ा बदलाव
हरियाणा जैसे तेजी से विकसित होते राज्य में भूमि पर आधारित विवाद, ट्रांजेक्शन में देरी, बिचौलियों का बढ़ता प्रभाव और रिकॉर्ड की असमानता एक बड़ी समस्या रही है। डिजिटल सीमांकन, विशेषकर रोवर्स और ड्रोन आधारित सर्वेक्षण, इन सभी समस्याओं का तकनीकी समाधान है। इससे न केवल सरकारी प्रशासन को कार्यकुशलता मिलेगी, बल्कि आम नागरिक को भी अपने हक की जमीन पर कानूनी अधिकार और डिजिटल सत्यापन मिलेगा—वो भी बिना किसी परेशानी के।
‘डिजिटल हरियाणा’ की ओर एक और कदम
हरियाणा सरकार का यह कदम सिर्फ एक तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि एक नवाचार-आधारित भूमि सुधार क्रांति है। जैसे-जैसे रोवर आधारित सर्वे प्रदेश के गांवों और शहरों तक पहुंचेगा, वैसे-वैसे जनता को इसका लाभ स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।