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हरियाणा के यमुनानगर में वन विभाग की टीम ने तस्करी कर ले जाई जा रही 18.75 क्विंटल खैर की लकड़ी के साथ पिकअप गाड़ी को पकड़ा है। टीम से घिरा देखकर गाड़ी चालक व तस्कर गाड़ी को छोड़कर मौके से फरार हो गए। धार्मिक व औषद्यीय महत्व होने के कारण यह महंगी होने से से खैर की तस्तकरी तस्करों की प्राथमिकता में रहती है।

यमुनानगर। वन विभाग की टीम ने साढौरा कालाआम रोड पर पहाड़ीपुर नाके के पास नाकाबंदी कर बोलेरो पिकअप गाड़ी से 18.75 क्विंटल खैर की लकड़ी बरामद की है। आरोपी खैर तस्कर मौके से भागने में कामयाब हो गए। पुलिस ने अज्ञात खैर तस्करों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी। मंहगी होने के कारण खैर की तस्करी तस्करों की प्राथमिकता रहती है।

सूचना पर की कार्रवाई

जानकारी के अनुसार साढौरा के वन राजिक अधिकारी ने बताया कि उसे रात सूचना मिली थी कि कुछ खैर तस्कर बोलेरो पिकअप गाड़ी में खैर की लड़की को भरकर उसे बेचने के लिए जा रहे हैं। सूचना मिलते ही उसने टीम गठित कर जिसमें आशिक अली, रामपाल, वन रक्षक परवेज खान को शामिल किया गया। टीम ने पहाड़ीपुर नाके के पास नाका लगाकर वाहनों की जांच शुरू कर दी।

40 पीस लकड़ी का वजन 18.75 क्विंटल

जांच के दौरान टीम को कुछ देर बाद उन्हें एक गाड़ी आती दिखाई दी। जब उन्होंने गाड़ी को रूकने का इशारा किया तो आरोपी खैरतस्करों ने गाड़ी को तेज गति से भगा लिया। टीम ने आरोपियों का पीछा कर नदी पुल के पास उन्हें रोक लिया। इसके बाद आरोपी गाड़ी छोड़कर मौके से भाग गए। जांच करने पर गाड़ी से खैर के 40 पीस बरामद हुए। जिनका वजन 18.75 क्विंटल था। उसने मामले की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मामले की जांच के बाद अज्ञात खैर तस्करों के खिलाफ केस दर्ज कर कर्रवाई शुरू कर दी।

सवालों के घेरे में वन विभाग के अधिकारी 

यमुनानगर में खैर की लकड़ी की तस्करी के मामले अक्सर प्रकाश में आते रहते हैं। बावजूद इसके वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारी इनता बढ़ा तामझाम होने पर भी लकड़ी की तस्करी पर प्रभावी ढंग से रोक नहीं लगा पाते। जिससे तस्करी की मामलों को लेकर वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर भी संदेश के घेरे में रहती है। यमुनानगर में अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं।

खैर की लड़की की खास बातें 

खैर की लकड़ी पूजा के लिए प्रयोग होने वाली नवग्रह लकड़ियों में से एक मानी जाती है। चर्म रोग सहित कई प्रकार की बीमारियों की रोकथाम के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। पान में प्रयोग होने वाला कत्था भी खैर की खाल से ही तैयार होता है। मत्स्याखेट के जाल, नावों के पालों व डाक के थैलों को रंगने में भी खैर की लड़की प्रयोग में लाई जाती है। इसमें दीमक नहीं लगती तथा कठोर व टिकाऊ भी माना जाता है तथा  पॉलिश इस पर अच्छे से चढ़ती है।

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