मर कर भी अमर हो गई रमेश देवी: अंतिम इच्छा के तहत परिवार ने दान किया पार्थिव शरीर, बेटियों ने दिया कंधा  

Ramesh Devi (file photo)
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रमेश देवी (फाइल फोटो) 
हरियाणा के हांसी में 74 वर्षीय रमेश देवी के मरने के बाद उसके परिजनों ने शरीर को एसकेएच मेडिकल कॉलेज और रिसर्च सेंटर को दान कर दिया। मृतका की बेटियों ने अर्थी को कंधा दिया।

Hansi: कहते हैं कि मानव सेवा ही सच्ची सेवा है, लोग जीते जी मानवता की सेवा निभाते हैं, वहीं कुछ लोग मरकर भी इंसानियत के काम आ जाते हैं। ऐसा ही काम बोगा राम कॉलोनी हांसी की रहने वाली 74 वर्षीय रमेश देवी ने किया है। रमेश देवी ने जहां अपना सारा जीवन मानव सेवा का धर्म निभाते हुए गुजार दिया। वहीं मरने के बाद भी अपने शरीर को दान कर दिया। बता दें कि रमेश देवी की अंतिम इच्छा थी कि मृत्यु के उपरांत उनका शरीर दान कर दिया जाए। जिसको पूरा करते हुए रमेश देवी के पुत्रों ने उनके शरीर को मथुरा के एसकेएच मेडिकल कॉलेज और रिसर्च सेंटर को दान कर दिया है।

धार्मिक विचारों वाली थी मृतक रमेश देवी

गौरतलब है कि 74 वर्षीय रमेश देवी शुरूआत से ही धार्मिक विचारों की महिला थी। धर्म के रास्ते पर चलकर उनके पूरे परिवार में यह भावना प्रबल थी कि खुद से पहले दूसरों के प्रति सोचा जाए। 29 अप्रैल को जब रमेश देवी ने अपने शरीर को त्यागा तो रमेश देवी के बेटों ने उनकी अंतिम इच्छा पूरे परिवार के सामने रखी। उसके बाद सभी परिजनों ने रमेश देवी की अंतिम इच्छा को पूरा करते हुए उनके शरीर को मथुरा के मेडिकल कॉलेज के लिए दान कर दिया।

बेटियों ने दिया अर्थी को कंधा

शरीर दान के साथ-साथ बेटा-बेटी एक समान की मुहिम को सार्थक करते हुए रमेश देवी की बेटियों ने उनकी अर्थी को कंधा दिया। उनकी अर्थी को फूलों से सजी हुई एंबुलेंस में उनके शरीर को रखकर मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना किया। मथुरा के एसकेएच मेडिकल कॉलेज और रिसर्च सेंटर में दान किए गए उनके शरीर के कुछ अंग जैसे आंखें, किडनी और यहां तक कि चमड़ी भी दूसरे मरीजों के काम आ सकती है। वही बाकी शरीर पर मेडिकल की पढ़ाई करने वाले बच्चे रिसर्च करके सीखते हैं।

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