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Haryana News: रोहतक में सुनारिया जेल के पीछे नाले में एक मासूम मिली है। उसकी उम्र करीब एक से डेढ़ साल बताई जा रही है। मासूम को सुनील नाम के एक सफाई कर्मचारी ने फरिश्ता बनकर बचाया है। फिलहाल मासूम का इलाज का चल रहा है।

मनोज वर्मा, रोहतक: हरियाणा के रोहतक में सुनारिया जेल के पीछे नाले में मिली बेटी शायद यही कह रही है, मम्मी-पापा! तुमने तो मरने के लिए नाले में फेंक दिया, सफाई वाले अंकल ने मुझे बचा लिया, सुनील हाथ जोड़कर बोले ये बच्ची मैं पालना चाहता हूं, पत्नी के साथ बच्ची को देखने भी पहुंचा।  

मम्मी-पापा मेरा क्या कसूर था, मैं तो नन्हीं सी जान हूं, परेशान भी नहीं करती थी, अभी तो चलना भी नहीं सीखा, क्या मैं बोझ लगने लगी थी, मुझसे क्या खता हुई जो मेरे सिर से अपनी ममता का आंचल हटा दिया, ऐसा क्या हुआ कि तुमने मुझे मरने के लिए गंदे नाले में फेंक दिया। लेकिन मम्मी-पापा देखो सफाई वसाले अंकल ने मुझे बचा लिया, मैं जिंदा हूं। शायद इसी तरह के सवाल और भाव उस डेढ़ साल की बच्ची के मन में आ रहे होंगे जो बुधवार को गंदे पाले में पड़ी मिली है।

पीजीआई में बच्ची का चल रहा इलाज

बच्ची को बचाने वाले सफाई कर्मचारी सुनील की आंखों से भी आंसू नहीं रुक रहे। सुनील ने प्रशासन से हाथ जोड़कर प्रार्थना की है कि इस बच्ची का पालन पोषण मैं करना चाहता हूं। लाख मन्नतों के बाद भी हमारे घर में आज तक बच्ची पैदा नहीं हुई, तीन लड़के हैं मेरी इच्छा है कि मुझे ये बच्ची दे दी जाए। सुनील और उनकी पत्नी आशा रात को फिर पीजीआई आए और बच्ची के लिए खाने-पीने का सामान भी लाए। पूरा मामले ने सभी को भावुक कर दिया है। फिलहाल बच्ची का इलाज पीजीआई के वार्ड-11 में है और उसका इलाज चल रहा है।

सुनारिया जेल के पीछे नाले में मिली बच्ची

हुआ यूं कि सफाई कर्मचारी सुनील और शैली सुनारिया जेल के पीछे डंपिंग स्टेशन पर कूड़े की गाड़ी खाली करने गए हुए थे। दोपहर को वापस आते समय वे ड्रेन के पास लघुशंका के लिए रुके तो उन्हें एक बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी। उन्होंने आसपास देखा तो पता चला कि एक बच्ची गंदे नाले में पड़ी हुई है। बच्ची नाले के अंदर एक किनारे पर अटकी हुई थी। सुनील ने तुरंत अपने दूसरे साथियों को वहां बुलाया और बच्ची को नाले से निकाला।

मासूम की शरीर से कूड़ा लिपटा था

सुनील और उनके साथियों ने जब बच्ची को निकाला तो बच्ची के मुंह, कानों और शरीर पर कचरा लिपटा हुआ था। सांसें भी धीरे-धीरे चल रही थी। बच्ची के शरीर पर पूरे कपड़े थे और स्लीपर भी पहने हुए थे और वह कपड़े में लिपटी हुई थी। सुनील और उनके साथियों ने बच्ची को पेट भी दबाकर देखा कि कहीं नाले का पानी पेट में न चला गया हो, लेकिन ऐसा नहीं था। उन्होंने बच्ची मिलने की सूचना तुरंत पुलिस को दी।

अस्पताल में चल रहा इलाज

पुलिस ने बिना किसी देरी के बच्ची को संभाला और तब तक पीजीआई से एक एंबुलेंस भी आ चुकी थी। सुनील और उनके साथी बच्ची को एंबुलेंस में लेकर पीजीआई पहुंचे। यहां वार्ड-11 में भर्ती करवाया। बच्ची की उम्र करीब डेढ़ से दो साल है, इसलिए उम्मीद है कि वह कुछ बताएगी। फिलहाल बच्ची का इलाज चल रहा है।

अभी भी सहमी है बच्ची  

बच्ची सहमी हुई है और कुछ बोल नहीं रही। डॉक्टरों की कोशिश के बाद भी बच्ची फिलहाल कुछ नहीं बोल रही। उसकी देखभाल हरिओम सेवा दल वाले कर रहे हैं, लेकिन सुनील और उनकी पत्नी आशा भी लगातार बच्ची के संपर्क में हैं। वे रात को खाना लेकर पीजीआई भी आए बच्ची से भी मिले। उनकी इच्छा है कि ये बच्ची पालन-पोषण के लिए उन्हें दी जाए।

बच्ची की जान जा सकती थी

जिसने भी इस बच्ची को नाले में फेंक है, बहुत गलत किया। बच्ची मासूम है और सहमी हुई है। जिस समय हमने बच्ची को निकाला तो एक हाथ अकड़ा हुआ था। कुछ देर और कोई नहीं देखता तो गंदे पानी में गिरकर बच्ची की जान जा सकती थी। मेरी प्रार्थना है कि इस बच्ची को मुझे दे दिया जाए हम इसका पालन पोषण करेंगे।

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सुनील को नगर पालिका कर्मचारी संघ करेगा सम्मानित

आज नगर निगम रोहतक के सफाई कर्मचारियों को डंपिंग स्टेशन पर एक लावारिस बच्ची मिली, जिसकी हालत बहुत खराब थी। कर्मचारियों द्वारा बच्ची को उठाकर उसे साफ किया, उसकी जान बचाई और प्रशासन के हवाले किया। नगर पालिका कर्मचारी संघ हरियाणा इन कर्मचारियों को सम्मानित करेगा।

सबके जहन में उठ रहा ये सवाल

गंदे नाले में मिली बच्ची के मामले में एक बड़ा सवाल है। सवाल ये है कि कोई मां बाप डेढ़ साल की बच्ची को कैसे मरने के लिए नाले में फेंक सकते हैं। ये जांच का विषय है कि बच्ची को नाले में उसी के मां बाप फेंका है या कोई और किसी की बच्ची को फेंक गया है।

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