बारिश न होने से धान पर मंडराया खतरा: ट्यूबवैल से कर रहे सिंचाई, किसानों की प्रति एकड़ बढ़ी कृषि लागत 

Cotton crop wilting due to lack of rain in Fatehabad.
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फतेहाबाद में बरसात न होने से मुरझाती नरमे की फसल।
फतेहाबाद में बरसात न होने से तापमान 38 डिग्री के आसपास घूम रहा है। पारा बढ़ने के साथ ही उमस भी बढ़ रही है, जिससे धान की फसल नष्ट होने का खतरा मंडरा रहा है।

Fatehabad: पिछले तीन सप्ताह से क्षेत्र में बरसात न होने से तापमान 38 डिग्री के आसपास घूम रहा है। पारा बढ़ने के साथ ही उमस भी बढ़ रही है, इसका मुख्य कारण आसपास के जिलों में बारिश होना तथा धान की रोपाई के बाद खेतों में पानी का खड़ा होना है। उमस व तापमान बढ़ने से धान में खड़ा पानी गर्म हो रहा है। यही वजह है कि नरमे व धान की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। मानसून की बारिश का फतेहाबाद में यही हाल रहा तो धान के उत्पादन पर काफी असर पड़ सकता है।

जुलाई के प्रथम सप्ताह में हुई बारिश, फिर पड़ रहा सूखा

जुलाई से पूर्व आमतौर पर प्री-मानसून की बारिश हो जाती है। धान लगते-लगते मानसून की बौछारे होती हैं तो धान की फसल चलने लगती है जबकि नरमे की बिजाई पहले ही हो चुकी होती है। फतेहाबाद में जुलाई के प्रथम सप्ताह में करीब 150 एमएम बारिश हुई। उसके बाद से फतेहाबाद में सूखा पड़ा है। धान रोपाई के बाद से ही क्षेत्र में बारिश नहीं हुई। हालांकि जाखल, टोहाना व आसपास के गांवों में थोड़ी बरसात हुई थी जबकि बाकी जिला बारिश से अभी अछूता रहा। मौसम विभाग बार-बार पश्चिम विक्षोभ एक्टिव होने की बात कहकर बरसात की भविष्यवाणी कर रहा है। ऐसा नहीं है कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी गलत साबित हो रही है। प्रदेश के दक्षिणी जिलों में पिछले कई दिनों से बारिश हो रही है जबकि हिसार, सिरसा, फतेहाबाद व जींद जिलों में अभी बारिश का इंतजार है। इस कारण इन क्षेत्रों में नरमे की फसल सूखने लगी है।

फतेहाबाद में 1 लाख 50 हजार हैक्टेयर में रोपा है धान

फतेहाबाद जिले में इस बार 1 लाख 50 हजार हैक्टेयर के करीब धान की रोपाई हुई है, जबकि 44 हजार 750 हैक्टेयर में नरमे की बिजाई की गई है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस समय बरसात बेहद जरूरी है। तेज धूप और ठंडा पानी धान की फसल के लिए जरूरी है। बरसात न होने से पानी गर्म हो रहा है। गांव अहलीसदर के किसान रूपचंद का कहना है कि बारिश न होने के कारण धान की फसल खराब होने का खतरा बढ़ गया है जबकि नरमे की फसल पर सुंडी लगने का खतरा पैदा हो गया है। बरसात न होने से किसान ट्यूबवैल के पानी से ही धान की रोपाई कर रहे थे, जिससे उनकी फसल लागत भी बढ़ गई है। डीडीए राजेश सिहाग ने कहा कि बरसात का मौसम पिछले कई दिनों से बन रहा है लेकिन बरसात नहीं हो रही। अब एचएयू के मौसम विभाग ने बारिश की उम्मीद जताई है। बरसात होते ही धान की फसल फिर खड़ी हो जाएगी।

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