Civil Hospitals में लागू हुआ ड्रेस कोड: अस्पताल में नहीं चलेगी जींस, स्कर्ट व फंकी हेयरस्टाइल

Deputy MS Dr. Rajesh Bhola of Civil Hospital. Doctor on duty without dress code in emergency ward
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नागरिक अस्पताल के डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला। इमरजेंसी वार्ड में बिना ड्रेस कोड के ड्यूटी करते हुए चिकित्सक। 
नागरिक अस्पतालों में ड्रेस कोड लागू हो गया है। अब डॉक्टर व नर्स हेयर स्टाइल, भारी गहने, जींस, स्कर्ट, लंबे नाखून व श्रृंगार करके अस्पताल में काम नहीं करेंगे।

Jind: नागरिक अस्पतालों में शुक्रवार से ड्रेस कोड लागू हो गया है। ड्रेस कोड के तहत पश्चिमी सभ्यता वाले कपड़े, हेयर स्टाइल, भारी गहने, असेसरीज श्रृंगार, लंबे नाखून वर्किंग ऑवर के दौरान अस्वीकार्य किए गए हैं। इसके अलावा नेम प्लेट पर कर्मचारी का नाम और पदनाम दर्ज होना भी अनिवार्य है लेकिन जींद अस्पताल में चिकित्सकों पर यह नियम अभी लागू नहीं हुआ है। शुक्रवार को कई चिकित्सक बिना ड्रेस कोड के काम करते हुए दिखाई दिए। हालांकि स्टाफ नर्स, एचकेआरएनएल के तहत लगे कर्मी ड्रेस कोड में दिखे लेकिन उनके पास भी नेम प्लेट नहीं थी।

चिकित्सक बिना ड्रेस कोड के दिखे, स्टाफ ने पहनी ड्रेस

नागरिक अस्पताल में शुक्रवार को विश्व हियरिंग दिवस पर कार्यक्रम था, जिसके चलते चिकित्सक उसमें व्यस्त थे। हालांकि इमरजेंसी में सेवाएं चालू थी। जब इमरजेंसी का दौरा किया गया तो वहां चिकित्सक बिना ड्रेस कोड के काम कर रहे थे जबकि अन्य स्टाफ ड्रेस कोड में दिखा। इसके अलावा एचकेआरएन के तहत लगे कर्मी ड्रेस कोर्ड में दिखाई दिए लेकिन उनके पास नेम प्लेट नहीं थी।

ड्रेस कोड के यह हैं नियम

अस्पताल के स्टाफ को नेम प्लेट लगाना अनिवार्य किया गया है। नर्सिंग कैडर को छोड़ कर संबंधित पदनाम के प्रशिक्षु सफेद शर्ट और नेम प्लेट के साथ काली पेंट कोई भी पहन सकता है। इस पॉलिसी में ड्रेस कोड वीक में 24 घंटे, 7 दिन, वीकेंड, शाम और रात की शिफ्ट सहित लागू होगा। कपड़े ठीक से फिट होने चाहिए और इतने तंग या ढीले भी न हों जो व्यक्तिगत रूप से अलग हो जाएं। इसके अलावा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) सेवाओं के तहत काम करने वाले कर्मचारी नेम प्लेट के साथ ड्रेस कोड की अपनी प्रणाली के साथ कार्य पर रहेंगे। यदि प्रस्तावित ड्रेस कोड नीति में कोई पदनाम पद छूट गया है तो कर्मचारी द्वारा पदनाम पर ड्रेस कोड पहना जाएगा। आदेश दिए गए कि प्रदेश के सभी सिविल सर्जन विभिन्न स्वास्थ्य सुविधाओं में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अनुमोदित पदनामवार ड्रेस कलर कोड सुनिश्चित करवाएंगे।

महिला कर्मचारी नहीं पहन सकती डेनिम स्कर्ट

डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला ने बताया कि ड्रेस कोड में किसी भी रंग की जींस, डेनिम स्कर्ट और डेनिम ड्रेस को पेशेवर ड्रेस नहीं माना गया है। इनको पहनने की अनुमति नहीं होगी। स्वेट शर्ट, स्वेट सूट, शॉर्ट्स की अनुमति भी नहीं होगी। स्लेक्स, ड्रेस, स्कर्ट और प्लाजो को पहनने की अनुमति भी नहीं होगी। ऐसे ही टी शर्ट, स्ट्रेच टीशर्ट, स्ट्रेच पेंट, फिटिंग पेंट, चमड़े की पेंट, कैपरी, स्वेट पेंट, टैंक टॉप, स्ट्रेपलेस, बैकलेस टॉप, नेक लाइन वाला टॉप आदि की अनुमति नहीं होगी। जूतों के संबंध में नीति के तहत जूते काले आरामदायक और सभी सजावट से मुक्त होने चाहिए तथा साफ भी होने चाहिए। काम के दौरान खासतौर पर अस्पतालों में तरह-तरह के बाल संवरे, भारी गहने पहनने, मेकअप और लंबे नाखून रखना अस्वीकार्य है।

ड्रेस कोर्ड का उल्लंघन करने पर अनुशासनात्मक की जाएगी कार्रवाई : सीएमओ

सीएमओ डॉ. गोपाल गोयल ने कहा कि ड्रेस कोड नियमों की जानकारी सभी चिकित्सकों व स्टाफ को उपलब्ध करवा दी गई थी। सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत कर्मियों को विशेष वर्दी सहित ड्रेस कोड का पालना करना होगा। इस ड्रेस कोड का 24 घंटे पालन किया जाना है। जिसमें सप्ताहांत, शाम और रात की शिफ्ट भी शामिल हैं। इसका उल्लंघन करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। बिना ड्रेस कोड के अस्पताल में मरीजों और कर्मचारियों में अंतर करना मुश्किल होता है। ड्रेस कोड लागू करने से अस्पतालों के कामकाज में सुधार आएगा।

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