जिला परिषद अविश्वास प्रस्ताव केस: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में होगी सुनवाई, रिजल्ट को लेकर अदालत लेगी फैसला

No-Confidence Motion Case
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जिला परिषद अविश्वास प्रस्ताव केस।
No-Confidence Motion Case: जिला परिषद चेयरमैन दीपक मलिक के खिलाफ अविश्वास के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।

No-Confidence Motion Case: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में आज सोमवार को जिला परिषद चेयरमैन दीपक मलिक के खिलाफ अविश्वास के मामले में सुनवाई होगी। कोर्ट के फैसले के बाद ये भी तय होगा कि चौधर का ताज किसके सिर पर सजेगा। बता दें कि चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास की शुरुआत बीजेपी और जेजेपी का गठबंधन टूटते ही हो गई थी। इससे पहले भी दोनों पार्टी के बीच घमासान देखने को मिला था।

कोर्ट ने मांगा था जवाब

लोकसभा चुनावों के बाद से जेजेपी समर्थित चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर उसे हटाने की साजिश रची गई, जिसके चलते 12 जुलाई को बीजेपी समर्थित 15 पार्षदों ने डीसी को अविश्वास का शपथ पत्र दिया। इसके बाद चेयरमैन के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया तो यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया।

कोर्ट में 19 जुलाई को सुनवाई के बाद अविश्वास प्रस्ताव के लिए होने वाली वोटिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन चुनाव के रिजल्ट घोषित करने के लिए फैसले का इंतजार करने को कहा। वहीं, कोर्ट ने इस मामले को लेकर हरियाणा सरकार से इसका जवाब मांगा था। जिला प्रशासन ने इस मामले में अपना जवाब पेश किया, जिसमें अविश्वास को संवैधानिक और नियमों के अनुसार बताया गया।

वोटिंग के दौरान ये पार्षद नहीं थे मौजूद

दरअसल, 19 जुलाई को 20 में से 17 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अपनी वोटिंग की थी। इनमें चेयरमैन दीपक मलिक के अलावा वार्ड 12 से नेहा तंवर और वार्ड 18 से राकेश खानपुर वोटिंग करने के लिए नहीं पहुंचे थे। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान प्रशासन की ओर से एडीसी और जिला परिषद सीईओ जया श्रद्धा के साथ डीसी प्रशांत पंवार भी मौजूद थे।

प्रशासन द्वारा वोटिंग करवाने के बाद हाईकोर्ट के आदेशों के कारण रिजल्ट घोषित नहीं गया था। इस मामले को लेकर कोर्ट में आज सोमवार को सुनवाई होगी। वहीं, ऐसा माना जा रहा है कि हाईकोर्ट इस मामले में आज अपना फैसला भी सुना सकता है।

दीपक मलिक ने कोर्ट में कही ये बात

इसके बाद चेयरमैन दीपक मलिक ने अविश्वास प्रस्ताव को असंवैधानिक बताया और कोर्ट को इसकी कई कमियां बताई हैं। उनके अनुसार इस प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया। डीसी द्वारा अविश्वास के बैठक बुलाने के लिए जो 12 जुलाई को नोटिस जारी किया गया था, जो उन्हें 16 जुलाई को मिला। इस नोटिस मुताबिक, 19 जुलाई को अविश्वास पर वोटिंग होनी थी।

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उसको अपनी तैयारी के लिए बस तीन दिन ही मिले, जबकि एक्ट के अनुसार अविश्वास लाने से पहले संबंधित चेयरमैन को सात दिन का समय देना अनिवार्य होता है। इस ग्राउंड को आधार बनाते हुए दीपक ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा। जिस पर हाईकोर्ट ने चुनाव करवाने की प्रक्रिया पर रोक तो नहीं लगाई, लेकिन रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी।

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