Sirsa में भाजपा की कांटों भरी राह: अशोक तंवर को अपना, पार्टी व वर्तमान एमपी की नाराजगी का झेलना पड़ रहा विरोध

Villagers protesting against BJP candidate Ashok Tanwar in rural areas of Fatehabad. File photo
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फतेहाबाद के ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर का विरोध करते ग्रामीण। फाइल फोटो। 
सिरसा लोकसभा सीट को जीतना भाजपा उम्मीदवार अशोक तंवर के लिए आसान नहीं है। अशोक तंवर को स्वयं का, भाजपा, वर्तमान विधायक व सांसद के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

सुरेंद्र असीजा, Fatehabad: सिरसा लोकसभा सीट पर सबसे पहले भाजपा द्वारा घोषित किए गए उम्मीदवार अशोक तंवर की डगर आसान दिखाई नहीं पड़ रही। भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रत्याशियों की सूची जारी करते समय जो परिस्थितियां थी, अब परिस्थितियां उसके विपरीत दिखाई पड़ रही हैं। किसी ओर राजनीतिक दल द्वारा अभी प्रत्याशियों की घोषणा न किए जाने के चलते मैदान में अभी एक ही खिलाड़ी है, इसके बावजूद लोग उस पर बाजी लगाने को तैयार नहीं है। हालात यह है कि जब से अशोक तंवर क्षेत्र के गांव-गांव जा रहे हैं, उन्हें मुखर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इस समय तंवर क्षेत्र में तीन तरह के लोगों का विरोध झेल रहे हैं। एक अपना, एक पार्टी का और एक वर्तमान विधायक व सांसद की कार्यप्रणाली का। बरहाल, लोग अभी कांग्रेस के उम्मीदवार का बड़ी उत्सुकता से इंतजार कर रहे हैं।

भाजपा ने सुनीता दुग्गल को किनारे कर अशोक तंवर को मैदान में था उतारा

दरअसल भाजपा ने वर्तमान सांसद सुनीता दुग्गल को किनारे कर आम आदमी पार्टी से आए अशोक तंवर को यहां से मैदान में उतारा। अशोक तंवर को टिकट मिलने के बाद मतदाता कांग्रेस उम्मीदवार के नाम का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि अगर यहां से कुमारी सैलजा कसे तंवर के सामने उतारा जाता है तो तंवर के लिए यहां से सीट निकालना आसान नहीं होगा। कुमारी सैलजा की यह पैतृक सीट मानी जाती है और उनका यहां विरोध भी नहीं है, जबकि तंवर की दल-बदल की छवि के चलते लोगों में उनके प्रति नाराजगी भी है। तंवर ने अपने कार्यकाल में भी यहां कोई खास काम नहीं करवाए। पिछले कई दिनों से तंवर लोकसभा चुनाव को लेकर गांव-गांव का दौरा कर रहे हैं। हालात यह है कि उन्हें करीब-करीब हर गांव में विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

अशोक तंवर को भाजपा के विरोध का करना पड़ रहा सामना

अशोक तंवर को न केवल अपने कार्यकाल के दिनों को लेकर विरोध सहना पड़ रहा है बल्कि भाजपा का विरोध कर रहे किसानों से भी दो-चार होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, वर्तमान विधायक व सांसद की नाराजगी का नजला भी उन पर गिर रहा है। बीते दिन गांव चनकोठी, कारियां, अहलीसदर, अलीका, दादूपुर, हुकमावाली, हड़ौली सहित रतिया व कुलां में उन्हें किसानों का भारी विरोध सहना पड़ा। तंवर तीन दिन से रतिया क्षेत्र में दौरे पर है। मंगलवार को वह हिजरावां कलां, अहलीसदर व कारियां में गए तो उन्हें खासा विरोध सहना पड़ा। गांव हिजरावां में ग्रामीणों ने 10 साल पहले कांग्रेस के शासन के समय दी गई 10 लाख की ग्रांट आज तक न आने की शिकायत की तो गांव कारियां के ग्रामीणों ने भाजपा शासनकाल में उनके गांव को एमपी-एमएलए फंड से एक रुपया भी खर्च न करने पर विरोध जताया। अनेक लोग भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल की नाराजागी का जवाब भी तंवर से मांग रहे हैं।

कुमारी सैलजा के सामने तंवर की राह नहीं आसान

क्षेत्र के बुद्धिजीवी लोगों का मानना है कि भाजपा ने वर्तमान सांसद सुनीता दुग्गल की इस सर्वे के आधार पर टिकट काटी थी कि उनकी एंटी इंकबेंसी है। फिर इसी आधार पर यह लोग यह भी कह रहे हैं कि वोट मोदी के नाम पर डाले जाएंगे। अगर वोट मोदी के नाम पर डाले जाते हैं तो सांसद दुग्गल की टिकट काटने की जरूरत नहीं थी और अगर वोट कैंडिडेट ने लेने हैं तो उसके लिए तंवर दो बार पहले ही हार चुके हैं। कांग्रेस उम्मीदवार की बात करें तो लोगों का मानना है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री कुमारी सैलजा यहां से मैदान में उतरती हैं तो तंवर के लिए यह राह बिल्कुल भी आसान नहीं होगी।

सैलजा परिवार का सिरसा सीट पर रहा दबदबा

कांग्रेस हाईकमान द्वारा हरियाणा पर उम्मीदवारों को लेकर जिन नामों पर चर्चा की जा रही है, उनमें कुमारी सैलजा का नाम अम्बाला और सिरसा दोनों लोकसभा सीट पर चल रहा है। सिरसा लोकसभा सीट पर अब तक 14 आम, जबकि 1 उपचुनाव हुआ, जिसमें 8 बार कांग्रेस के सांसद चुने गए तो 6 बार इनेलो के उम्मीदवार सांसद बने। पहली बार 2019 में यहां पर कमल खिला। कुमारी सैलजा के पिता व पूर्व केन्द्रीय मंत्री दलबीर सिंह सर्वाधिक चार बार सांसद चुने गए तो 2 बार कुमारी सैलजा स्वयं यहां से सांसद निर्वाचित हुई। सबसे अधिक वोटों से जीतने का रिकॉर्ड 2019 में बना।

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