Assembly Elections 2024: मैदान में नेता वहीख् लेकिन बदल गई पार्टियां

Possible candidates for the Vis elections
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विस चुनाव को लेकर संभावित उम्मीदवार।
नया साल चुनावी वर्ष को लेकर आया है। साल के पहले 10 महीनों में लोकसभा व विधानसभा चुनाव हैं। खास बात यह है कि प्रत्याशी वही हैं, लेकिन उनकी पार्टियों के चेहरे बदल गए हैं।

सुरेन्द्र असीजा/फतेहाबाद : नया साल चुनावी वर्ष को लेकर आया है।साल के पहले 10 महीनों में आम जनता को दो बार वोट डालने का मौका मिलेगा। मई में लोकसभा व उसके बाद दीपावली के आसपास विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे मे इस नए साल में राजनीतिक सरगर्मियां देखने को मिलेंगी। क्यास तो यह लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के दो महीने बाद ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव करवाए जा सकते हैं। ऐसे में लोकल राजनीतिक परिदृश्य पर नजर डाली जाए तो 2019 के बाद अब 2024 में विधानसभा चुनाव दुड़ाराम वर्सेज अन्य में लड़ा जा सकता है। फर्क सिर्फ इतना है कि नेताओं ने पार्टियां बदली हैं। नेता वही के वही है। जो नेता कांग्रेस में थे, अब वे भाजपा में है और जो नेता भाजपा या जजपा में थे, वे अब कांग्रेस में हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव रोचक हो सकता है।

फरवरी के आसपास लग सकती है आचार संहिता

मई माह में लोकसभा चुनाव होने हैं और अक्टूबर में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। मई में लोकसभा चुनाव से पूर्व ही फरवरी के आसपास चुनाव आचार संहिता लग जाएगी। यानि अब सरकार के पास विकास कार्यों के लिए ज्यादा से ज्यादा दो मास का समय है और आम जनता इस साल दो बार वोट डालेगी। मई में लोकसभा और उसके बाद विधानसभा चुनाव में खास बात यह है कि फतेहाबाद विधानसभा सीट पर वोट लेने वाले वहीं नेता होंगे, जिन्होंने पिछले बार भी चुनाव लड़ा था। फर्क सिर्फ इतना है कि नेता अदल-बदल कर दूसरी पार्टियों में चले गए हैं।

विधायक दुड़ाराम ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का थामा था दामन

फतेहाबाद से मौजूदा भाजपा विधायक दुड़ाराम 2019 में कांग्रेस में थे और दल-बदलकर ऐन वक्त पर भाजपा की टिकट लाकर चुनाव लड़ा। 2019 में डॉ. विरेन्द्र सिवाच भी भाजपा में थे लेकिन टिकट मिलने से नाराज होकर ऐन वक्त पर जजपा में शामिल हुए और जजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे। वह दुड़ाराम से मात्र तीन हजार वोटों से पराजित हुए। अब डॉ. सिवाच जजपा को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। 2019 में ही पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया भाजपा में थे। हालांकि उस समय उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। बाद में वह कुमारी शैलजा के गुट में कांग्रेस में शामिल हो गए। पूर्व विधायक प्रहलाद सिंह गिलांखेड़ा कांग्रेस में सबसे पुराने नेता के रूप में अपनी पहचान रखते हैं।

फतेहाबाद में भाजपा के पास दुड़ाराम से कद्दावर नेता दूसरा नहीं

राजनीतिक समीकरण बता रहे हैं कि इस चुनाव में भाजपा के पास दुड़ाराम से कद्दावर कोई नेता फतेहाबाद में नहीं है। हालांकि बीते चुनाव में भाजपा के पास ऐसे नेता थे, जो दुड़ाराम को हराने की बात कर भाजपा की टिकट चाहते थे लेकिन भाजपा ने ऐन वक्त पर दुड़ाराम को टिकट दिया। बात करें कांग्रेस की तो यहां शैलजा गुट से पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया व हुड्डा गुट से डॉ. विरेन्द्र सिवाच व प्रहलाद सिंह गिलांखेड़ा मजबूत नेता के रूप में स्थापित हैं और कांग्रेस टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। इसके अलावा ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव व राहुल गांधी के करीबी विनीत पूनियां भी कांग्रेस टिकट पर दावेदारी जता रहे हैं। इस समय भाजपा के पास एकमात्र प्रत्याशी दुड़ाराम ही हैं तो कांग्रेस में टिकटार्थियों की रेस लगी हुई है।

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