रावत गौत्र के 12 गांव की महापंचायत: मृत्युभोज व दिसोटन पर लगाया प्रतिबंद, दहेज पर नहीं बनी सहमति

Intellectuals discussing in the Mahapanchayat at Dhakoda Ashram.
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ढाकोड़ा आश्रम में महापंचायत में विचार विमर्श करते प्रबुद्धजन।
महेंद्रगढ़ में रावत गौत्र के 12 गांवों की महापंचायत हुई, जिसमें मृत्यु भोज, दिसोटन, छूछक जैसी प्रथाओं पर विचार करने के बाद सर्वसम्मति से रोक लगाने का निर्णय लिया।

महेंद्रगढ़: ढाकोड़ा के बाबा गोरधनदास आश्रम में रावत गौत्र के 12 गांवों की महापंचायत (Mahapanchayat) रामजीलाल जेलदार की अध्यक्षता में संपन्न हुई। महापंचायत के दौरान समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, मृत्यु भोज, दिसोटन, छूछक जैसी प्रथाओं पर विचार विमर्श किया। इसके बाद समाज के प्रबुद्धजनों ने मृत्यु भोज, दिसोटन तथा छूछक भराने के रीति रिवाजों को सर्वसम्मति से बंद करने का निर्णय लिया। वहीं दहेज पर सहमति नहीं बनने की स्थिति में दोबारा महापंचायत बुलाने का फैसला लिया गया।

मृत्यु भोज को रद्द करने का प्रस्ताव पास

गुर्जर विकास समिति के उप प्रधान महेश सोडा ने बताया कि पारिवारिक सदस्य की मृत्यु होने पर परिवार में सदमे की स्थिति बनी रहती है। 12 दिनों तक पूरा परिवार, रिश्तेदार तथा मित्रगणों की ओर से शोक प्रकट करने की परंपरा बनी हुई है। ऐसे हालतों में प्रीतिभोज का आयोजन करना सामाजिक सिद्धांतों के अनुकूल नहीं है। बावजूद लाखों खर्च करके मृत्यु भोज करने की परंपरा को निभाया जा रहा है, जिससे आर्थिक नुकसान के साथ समाज दिशाहीन होने लगा है। मृत्यु भोज के स्थान पर दिवंगत की स्मृति में (Dharamshala) धर्मशाला, गोशाला में विभिन्न व्यवस्था करना उत्तम रहेगा। इसके अतिरिक्त समाज में दिसोटन, छूछक भरने व भराने के रिवाज को भी खत्म करने पर सहमति बनी।

दहेज प्रथा की रोकथाम पर नहीं बनी सहमति

गुर्जर विकास समिति के उप प्रधान ने बताया कि दहेज प्रथा पर प्रबुद्धजनों ने विस्तार पूर्वक विचार किया। कई प्रबुद्धजनों का मानना है कि यह महापंचायत केवल 12 गांवों की हैं, जबकि बेटियों की शादी दूसरे गांव या तहसीलों में करनी पड़ती है। इस परंपरा को खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर महापंचायत का आयोजन करके सर्वसम्मति बनानी जरूरी है, जिससे दहेज (Dowry) मांगने और देने की परंपरा को जड़ से खत्म किया जा सकेगा। इसको लेकर दोबारा महापंचायत करने का निर्णय लिया गया।

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