दशहरे पर रावण की आंखों में दिखेगा गुस्सा: घूमती दिखाई देगी गर्दन, आतिशबाजी के साथ होगा पुतलों का दहन 

Ravanas effigy being prepared for burning.
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दहन के लिए तैयार किया जा रहा रावण का पुतला। 
जींद में दशहरे के अवसर पर रावण के पुतले की आंखों में गुस्सा दिखाई देगा। साथ ही पुतले की गर्दन घूमते हुए दिखेगी, जो लोगों के आकर्षण का केंद्र रहेगी।

जींद: शहर में दशहरा पर्व पर अर्जुन स्टेडियम और रेलवे जंक्शन ग्रांउड में रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। रेलवे जंक्शन पर रेलवे रामलीला क्लब द्वारा रावण के पुतले की ऊंचाई 55 फुट रहेगी तो वहीं सनातन धर्म रामलीला क्लब द्वारा तैयार किए गए रावण के पुतले की ऊंचाई 45 फुट तथा कुंभकरर्ण और मेघनाथ के पुतले की हाइट 50 व 45 फुट रखी गई है। खास बात यह है कि इस बार रावण की गर्दन घुमती दिखाई देगी। पुतलों में आतिशबाजी का प्रयोग किया जाएगा। रावण दहन कार्यक्रम के दौरान मेले का भी आयोजन किया जाएगा।

अर्जुन स्टेडियम में आकर्षण का केंद्र होंगे पुतले

हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अर्जुन स्टेडियम में दहन होने वाला रावण का पुतला 50 फुट का होगा। इसके अलावा मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतले भी देखने लायक होंगे। रावण की गर्दन घुमती दिखाई देगी और आंखों में गुस्सा भी दिखाई देगा। मेघनाथ व कुंभकर्ण के पुतले भी लड़ाई की मुद्रा में दिखाई देंगे। श्याम नगर निवासी खैरेती लाल व उसके परिवार ने हांसी ब्रांच नहर के नीचे शमशान घाट में पुतला तैयार किया है, जिन्हें शुक्रवार रात को अर्जुन स्टेडियम में स्थापित किया जाएगा। जबकि रेलवे ग्राउंड में रावण के पुतले को रोहतक से मंगवाया गया है।

पुतले बनाने का पुश्तैनी काम, मेहनत जलती देख होता है दर्द

श्याम नगर निवासी 75 वर्षीय खैरेती लाल ने बताया कि रावण परिवार के पुतले बनाने का काम विरासत में मिला है। उनके बाप व दादा पुतले बनाने का काम करते थे। समय के साथ इस कला में बदलाव भी आया है। उसके समेत परिवार के छह सदस्य पिछले 40 दिन से पुतले बनाने में लगे हुए हैं, जिनके निर्माण में लागत भी अच्छी आती है। पुतलों के दहन को लेकर खैरेती लाल बताते हैं कि उन्हें मेहनत के बदले रुपए तो मिलते हैं लेकिन मेहनत को जलता देख दर्द भी होता है। बुराई का रूप जलाए जाने पर दिल को दिलासा भी मिलता है।

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