हिसार में दिखेगा महाकुंभ जैसा नजारा : प्रयागराज के बाद हिसार में बन रहा विश्व का सबसे बड़ा 52 फुट का स्थाई सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र

The worlds largest 52 feet permanent Siddha Mahamrityunjaya Yantra is being built in Hisar
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हिसार में निर्माणाधीन महामृत्युंजय यंत्र के साथ स्वामी सहजानंद नाथ।
हिसार के मय्यड़ गांव में विश्व का सबसे बड़ा स्थाई महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किया जा रहा है। यह यंत्र अंतरराष्ट्रीय सिद्ध महामृत्युंजय व ज्योतिष एवं योग अनुसंधान केंद्र के संस्थापक स्वामी सजानंद नाथ द्वारा स्थापित करवाया जा रहा है।

हिसार में दिखेगा महाकुंभ जैसा नजारा : हिसार के मय्यड़ गांव में विश्व का सबसे बड़ा स्थाई महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किया जा रहा है। यह यंत्र अंतरराष्ट्रीय सिद्ध महामृत्युंजय व ज्योतिष एवं योग अनुसंधान केंद्र के संस्थापक स्वामी सजानंद नाथ द्वारा स्थापित करवाया जा रहा है। यह 52 फुट बाई 52 फुट का स्थाई महासिद्ध महामृत्युंजय यंत्र बन रहा है। बताया जा रहा है कि इससे पहले प्रयागराज के कुंभ मेले में विश्व का सबसे बड़े अस्थाई महासिद्ध महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किया गया है। प्रयागराज के महासिद्ध महामृत्युंजय यंत्र को एनजीटी के निर्देशों व अन्य नियमों के कारण शीघ्र ही विसर्जित किया जाएगा। वहीं, उससे पहले हिसार में यह यंत्र श्रद्धालुओं को समर्पित कर दिया जाएगा। इस यंत्र का भूमि पूजन देश की सबसे अमीर महिला हिसार की विधायक सावित्री जिंदल ने करीब ढाई माह पूर्व 7 दिसंबर 2024 को किया था।

यंत्र से मिलती है असीम सकारात्मक ऊर्जा : स्वामी सहजानंद

इस महामृत्युंजय यंत्र को हिसार में स्थापित करने के लिए कई दशकों से सपना संजोए अनुसंधान केंद्र के स्वामी सहजानंद नाथ का कहना है कि इस यंत्र के हरेक कोण से असीम ऊर्जा का अहसास होता है। इसका निर्माण मानवता के कल्याण के लिए किया गया है। विश्व के सबसे बड़े व पहले सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र के त्रिआयामी मेरु पृष्ठाकार स्वरूप की स्थापना की गई है। उन्होंने बताया कि इस स्थान की सकारात्मक ऊर्जा को देख कर लगता है कि आने वाले समय में यह सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र बहुत बड़े तीर्थ का रूप लेगा और देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पूजा, अनुष्ठान, दर्शन व साधना के लिए पहुंचेंगे।

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अध्यात्म और पर्यावरण संरक्षण का होगा संगम

सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रद्युमन ने कहा कि विश्व का यह पहला सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र अध्यात्म और पर्यावरण संरक्षण के संगम की भी मिसाल बनेगा। वर्तमान परिवेश में मनुष्य बाह्य के साथ-साथ मानसिक प्रदूषण से भी पीड़ित हैं। मानसिक प्रदूषण के कारण ही वह ऐसे कृत्य करता है जिससे बाह्य वातावरण में भी प्रदूषण बढ़ता है। कोई भी तीर्थ या सिद्ध स्थल सकरात्मकता को उत्पन्न करता है।

अन्य राज्यों और देशों में भी बनेंगे इसी तरह के यंत्र

स्वामी सहजानंद नाथ ने कहा कि हिसार के बाद देश के अलग-अलग राज्यों और दुनिया के अलग-अलग देशों में भी इसी प्रकार सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र स्थापित किए जाएंगे ताकि लोगों के मानसिक प्रदूषण को समाप्त कर बाह्य वातावरण को शुद्ध रखने में मदद मिल सके।

सरस्वती नदी के स्थान पर स्थापित हुआ यंत्र, करोड़ों मंत्र जाप हुआ

महामृत्युंजय साधना व पर्यावरण के लिए अपना जीवन आहुत करने वाले संस्थान के संस्थापक योगी स्वामी सहजानंद का संकल्प है कि हिसार में सरस्वती नदी के स्थान पर विश्व का सबसे बड़ा महामृत्युंजय यंत्र बनना चाहिए। क्योंकि यह वो स्थान है जहां पिछले 26 सालों से लगातार प्रतिदिन अनवरत रुद्राभिषेक चलता है। यहां लाखों की संख्या में महामृत्युंजय अनुष्ठान हुए हैं और करोड़ों महामृत्युंजय मंत्रों का अभी तक जाप हो चुका है। रूद्र और महारूद्र यज्ञ हुए हैं, इसलिए सकारात्मकता के प्रतीक आलौकिकता से परिपूर्ण इस महादिव्य सुसिद्ध यंत्र की स्थापना से आसपास के समस्त क्षेत्र का आलौकिक होना तय है।

अनुदान राशि पौधरोपण के लिए होगी खर्च

महामृत्युंजय संस्थान दुनिया का पहला व एकमात्र संस्थान है जो उसके पास किसी भी रूप में आने वाली अपनी समस्त अनुदान राशि को वृक्षारोपण के लिए खर्च करता है। हिसार में बनने वाले इस सिद्ध महामृत्युंजय यंत्र पर आने वाली सभी दान अथवा अनुदान राशि को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण पर ही खर्च किया जाएगा।

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