Cancer Immunotherapy: जामिया ने विकसित की चौथी जनरेशन की CAR T- Cell थेरेपी, ब्लड कैंसर के मरीजों को मिलेगी राहत

CAR T- Cell Therapy: जामिया मिल्लिया इस्लामिया को शोधकर्ताओं ने कैंसर के इलाज के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है। जामिया के मल्टीडिसीप्लिनरी सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (MCARS) ने चौथी जनरेशन की CAR T- Cell थेरेपी विकसित कर ली है, जो ब्लड कैंसर के इलाज में बहुत कारगर साबित हो सकती है। बता दें कि यह उपलब्धि कैंसर इम्यूनोथेरेपी के क्षेत्र में बड़ी सफलता है। जानकारी के मुताबिक, इस थेरेपी का एक मरीज पर ट्रायल भी किया गया। दावा है कि उस मरीज का ब्लड कैंसर ठीक हो गया। साथ ही कोई दुष्प्रभाव भी देखने को नहीं मिले।
इस रिसर्च को सेल रिपोर्ट्स मेडिसिन में भी पब्लिश किया गया है, जिसमें चौथी जनरेशन की CAR T- Cell थेरेपी के बारे में सारी जानकारी दी गई है। यह शोध MCARS में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. तनवीर अहमद की अगुवाई में उनकी टीम द्वारा किया गया है। साथ ही दावा है कि यह थेरेपी किफायती दरों पर मिलेंगी।
कैसे काम करती है CAR T- Cell थेरेपी?
CAR T- Cell थेरेपी में मरीज के ब्लड में मौजूद कैंसर सेल्स की पहचान करके खत्म किया जाता है। साथ ही मरीज की T सेल्स को मोडिफाई भी किया जाता है। यह एक तरह की इम्युनोथेरेपी है, जो ब्लड कैंसर के इलाज में बेहद कारगर होती है। वर्तामान में भारत के अंदर CAR T- Cell थेरेपी की दूसरी जनरेशन उपलब्ध है। ऐसे में जामिया के शोधकर्ताओं ने चौथी जनरेशन की CAR T- Cell थेरेपी विकसित कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसके चलते यह थेरेपी अब पहले से कहीं ज्यादा कारगर हो गई है। बता दें कि इससे पहले जामिया के डॉ. आरीज अख्तर और उनकी टीम ने तीसरी जनरेशन की CAR T- Cell थेरेपी विकसित की है। हलांकि अभी इसका ट्रायल चल रहा है।
कई मरीजों पर चल रहा ट्रायल
शोधकर्ताओं का दावा है कि इस थेरेपी से एक मध्यम उम्र के मरीज पर ट्रायल किया गया, जो कि सफल रहा और वह रोगमुक्त हो गया। साथ ही MCARS की ओर से अन्य कई मरीजों पर ट्रायल किया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि इसका कोई दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिला है।
भारत में सस्ती दरों पर उपलब्ध होगी थेरेपी
दरअसल, CAR T- Cell थेरेपी के इलाज में ज्यादा खर्च आता है, जिससे काफी कम मरीज ही अपना इलाज करवा पाते हैं। MCARS के डायरेक्टर प्रोफेसर मोहम्मद हुसैन के मुताबिक, अमेरिका में इस इलाज खर्च 4 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। उनका कहना है कि जामिया के शोधकर्ताओं का मकसद है कि काफी इस थेरेपी को कम खर्च पर भारत के अंदर उपलब्ध करवाया जाए। बता दें कि जामिया के शोधकर्ताओं ने चौथे जनरेशन की CAR T- Cell के थेरेपी को पेटेंट भी करवा लिया है। यह कैंसर के इलाज में काफी बड़ी उपलब्धि है। इससे भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में कैंसर के मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है।
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