Delhi History: इंदिरा गांधी को भा गई विदेशी गुड़िया, फिर बच्चियों को शिक्षित करने की ठानी; पढ़ें इतिहास का भूला बिसरा अध्याय

International Dolls Museum
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दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय डॉल म्यूजियम से इंदिरा गांधी का गहरा नाता।
Alien Doll: इंदिरा गांधी एक बार अपने पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ गुड़िया की प्रदर्शनी देखने पहुंची। रंग बिरंगी गुड़ियों को देखकर इतना प्रभावित हुईं कि उन्होंने प्रदर्शनी लगाने वाले मशहूर कार्टूनिस्ट के शंकर पिल्लई के उद्देश्य को पूरा करने की ठान ली।

भारत के आजाद होने से लेकर अब तक राजधानी दिल्ली का स्वरूप काफी कुछ बदल चुका है। यहां कई ऐसे संग्रहालय हैं, जिसने आजादी से पहले और बाद का इतिहास आज भी संजो रखा है। बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित अंतरराष्ट्रीय गुड़िया संग्रहालय भी शामिल है। इस संग्रहालय के विचार की उपज मशहूर कार्टूनिस्ट के शंकर पिल्लई की थी, लेकिन इसका गहरा संबंध गांधी परिवार से भी है। तो चलिये इस संग्रहालय के विचार से लेकर स्थापना और उद्देश्य तक की पूरी कहानी बताते हैं।

गुड़िया संग्रहालय का विचार कहां से आया

बताया जाता है कि 1957 में हंगरी के एक नेता ने कार्टूनिस्ट के शंकर पिल्लई से मुलाकात के दौरान उपहार में गुड़िया दी थी। यह गुड़िया इतनी खूबसूरत थी कि शंकर पिल्लई को विचार आया कि बच्चियों को गुड़िया के माध्यम से शिक्षा के प्रति जागरूक किया जा सकता है। ऐसे में उन्होंने गुड़ियों को संग्रह करना शुरू कर दिया। उनके पास 500 गुड़ियों का संग्रह हो चुका था। वे जगह-जगह पर प्रदर्शनी लगाकर अपना संदेश फैलाते थे।

जवाहरलाल नेहरू तक पहुंची चर्चा

उनके इस कार्य की चर्चा देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू तक पहुंची। पंडित नेहरू अपनी बेटी इंदिरा गांधी को लेकर प्रदर्शनी देखने पहुंचे। गुड़ियों का संग्रह देखकर इंदिरा गांधी बेहद उत्साहित नजर आईं। उन्होंने इसके पीछे का उद्देश्य जाना तो वे बेहद प्रभावित हो गईं। उन्होंने इस संग्रह को संग्रहालय में बदलने की ठान ली। 20 नवंबर 1965 को इस गुड़िया संग्रहालय की अधिकारिक तौर पर स्थापना हो गई। स्थापना के समय इसमें 1000 गुड़िया थीं, लेकिन आज 85 देशों की 6000 से अधिक गुड़िया हैं।

जापानी गुड़िया से किसी की नजर नहीं हटती

इस म्यूजियम की सभी गुड़िया दर्शकों को आकर्षित करती हैं, लेकिन जापानी गुड़िया काबुकी और समुराई गुड़िया से नजर ही नहीं हटती हैं। इसके अलावा यहां की भारतीय गुड़ियों का संगह भी देखने लायक है। यहां वो गुड़िया भी रखी गई हैं, जिस पर इंदिरा गांधी मोहित हो गई थीं। दुनिया के 85 देशों के राज्यों की पारंपरिक परिधान पहनी ये गुड़ियां वहां के संस्कृति और त्योहारों की भी झलक दिखाती हैं।

यहां होता है बीमार गुड़ियों का भी इलाज

दिल्ली के इस म्यूजियम की यह भी खासियत है कि यहां पर बीमार गुड़ियों का भी इलाज किया जाता है। यहां इसके लिए बाकायदा क्लिनिक बनाया गया है, जहां क्षतिग्रस्त गुड़ियों को भेजा जाता है। इसके अलावा, यहां एक वर्कशॉप भी है, जहां विदेशों से उपहारों का अदला-बदली होती है। अगर कभी बच्चों के साथ दिल्ली आना हो तो आपको इस अंतरराष्ट्रीय गुड़िया म्यूजियम की भी अवश्य विजिट करनी चाहिए। दाव है कि सिर्फ बच्चे ही नहीं बल्कि आपके चेहरे पर भी मुस्कान नजर आएगी।

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