आवारा मवेशियों से ग्रामीण परेशान : धान की फसल चर रहे, गौठान फिर से खोलने की उठी मांग

Stray cattle destroy crops
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फसलों को बर्बाद करते हैं आवारा मवेशी
रोका-छेका अभियान को वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया है। आवारा मवेशियों से परेशान ग्रामीणों ने फिर से गौठान खोलने की सरकार से मांग की है। 

कुश अग्रवाल - बलौदाबाजार। सरकार बदलते ही कई योजनाएं भी बदल जाती है। ऐसे ही पूर्व सरकार की एक योजना रोका-छेका अभियान को वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया है। दरअसल, रोका-छेका अभियान के तहत गांव-गांव में गोठान बनाकर आवारा मवेशियों को रखा जाता था। इससे किसानों को फसलों की चराई से होने वाली परेशानी से छुटकारा मिल जाता था। वहीं सड़क पर मवेशियों के कारण होने वाले हादसों में भी कमी आई थी। लेकिन सरकार बदलते ही नियम भी बदल गया है।

वहीं मवेशियों को लेकर प्रदेशभर में राजनीति भी शुरू हो गई है। रोका-छेका अभियान बंद किए जाने को लेकर कांग्रेस भाजपा को घेर रही है। वहीं भाजपा एक नई योजना 'गांव अभ्यारण' लाने की तैयारी कर रही है। भाजपाईयों का कहना है कि, मवेशियों को अभ्यारण्य में रखा जाएगा।

ग्रामीणों की बढ़ी परेशानियां

इस सियासत के बीच किसानों और राहगीरों काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खेतों में खरीफ की फसलें लहरा रही हैं। किसान मवेशियों के फसलों को चरने से परेशान हैं। आए दिन मवेशी मालिकों से विवाद होता रहता है। कई बार मामला इतना बढ़ जाता है कि, बात थाने तक पहुंच जाती है। वहीं दूसरी ओर सड़क पर बैठे आवारा मवेशी के कारण दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसमें गौ वंश की तो मौत हो ही रही है, साथ ही वाहन चालक भी गिरकर चोटिल हो रहे हैं या फिर असमय ही लोग काल के गाल में समा रहे हैं।

समस्या को सुलझाए सरकार- ग्रामीण

ग्रामीणों की मांग है कि, बंद पड़े गौठनों को फिर से चालू किया जाए और आवारा मवेशियों को गौठानों में रखा जाए।

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