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संस्कृत बोर्ड फर्जीवाड़ा के खुलासे के बाद शासन स्तर पर कार्रवाई तो चल ही रही है, लेकिन फर्जीवाड़ा का दायरा भी बढ़ता जा रहा है। 

रायगढ़। हालांकि परीक्षा में फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद दीपांशु संस्कृत विद्यालय में ताला बंद नजर आया । मोबाइल पर सम्पर्क करने  पर संचालक दिनेश खुंटे ने अपने रायपुर में होने की जानकारी दी। इसके बाद हरिभूमि व आईएनएच रिपोर्टर ने औरदा के ग्रामीणों और ग्राम पंचायत सरपंच से मनीषा गर्ग पिता पिताम्बर गर्ग के विषय में जानकारी जुटाने का प्रयास किया। पूछताछ में ग्राम सरपंच तिहारुराम सिदार ने बताया कि उनके गांव व पूरी पंचायत में कोई भी गर्ग परिवार कभी निवासी नहीं रहा। सरपंच के दावे को औरदा के पूर्व सरपंच निर्मल कुमार डनसेना ने पुष्टि के साथ बताया कि पिताम्बर गर्ग और मनीषा गर्ग के नाम से कोई भी गांव में नहीं रहता, जबकि मीडिया के हाथ लगे आवेदन पत्र में मनीषा गर्ग को दीपांशु संस्कृत विद्यालय की नियमित विद्यार्थी और औरदा की स्थानीय निवासी बताया गया है। परीक्षा पत्र में उत्तीर्ण छात्रा मनीषा का अनुक्रमांक 24102722 भी दर्ज है। 

ग्रामीण जनप्रतिनिधियों ने यह भी बताया कि,  दीपांशु संस्कृत विद्यालय में दूर दूर से बच्चे परीक्षा देने आते हैं और परीक्षार्थी के बदले दूसरे लोगों के द्वारा भी पेपर लिखने की बात चर्चा में रही है। वहीं जब इस मामले में हरिभूमि आईएनएच की टीम ने खरसिया के विखं शिक्षा अधिकारी शैलेंद्र डनसेना से दीपांशु संस्कृत विद्यालय में हुई अब तक की गड़बड़‌यों पर शिक्षा विभाग का रुख जानने का प्रयास किया तो बीईओ कन्नी काटते नजर आए। हर सवाल के जवाब में डीईओ के आदेश पर जांच शुरु करने की बात दोहराते हुए बीईओ जल्दबाजी में उठे और चेंबर से बाहर निकल गए। बीईओ ने इतना जरुर बताया कि उनके द्वारा विखं के किसी भी निजी स्कूल में जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश के बगैर कभी कोई जांच अथवा निरीक्षण नहीं किया जाता। बड़ा सवाल यह है कि मोहरमति के बाद आखिर मनीषा गर्ग यदि औरदा की रहने वाली हैं तो दोनों छात्राओं के विषय में गांव वालों को जानकारी क्यों नहीं है? साथ ही मोहरमति के बाद मनीषा गर्ग यदि गांव में नहीं तो कहां हैं।

अधिकारियों के बच्चे दे रहे परीक्षा

औरदा के पूर्व सरपंच निर्मल प्रसाद डनसेना ने एक सनसनीखेज जानकारी साझा करते हुए बताया कि दीपांशु संस्कृत विद्यालय में सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के बच्चे परीक्षा देने बड़ी संख्या में पहुंचते देखे गए हैं। पूर्व ग्रामीण जनप्रतिनिधियों के मुताबिक्र संभवतः नौकरी के लिए सर्टिफिकेट की जरूरत के कारण दीपांशु संस्कृत विद्यालय को सुरक्षित ठिकाना मानकर इसका उपयोग  किया जा रहा है। बहरहाल ग्रामीणों के इस कथन में कितनी सच्चाई है यह तो जांच के बाद ही सामने आ सकेगा, किंतु इस कथन ने संस्कृत मंडलम की परीक्षाओं में चल रहे फर्जीवाड़े को जांच के एक अलग एंगल की तरफ जरुर मोड़ दिया है।

 तीन सदस्यीय कमेटी बनी, माशिम सचिव और जिला शिक्षा अधिकारी करेंगे जांच

रायपुर।  टॉपर्स कांड में कार्रवाई का सिलसिला जारी है। बुधवार को एक के बाद एक तीन आदेश जारी करते  हुए कई फेरबदल किए गए। संस्कृत विद्यामंडल की सचिव अल्का दानी को उनके पद से हटाते हुए उन्हें वापस उनके मूल पद में भेज दिया गया है। उन्हें आगामी आदेश तक शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गरियाबंद में बतौर प्राचार्य सेवाएं देनी होंगी। उनके स्थान पर रायपुर शिक्षा संभाग के संयुक्त संचालक राकेश पांडेय को संस्कृत विद्या मंडल का  अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। बुधवार को ही राकेश पांडेय ने पदभार ग्रहण कर लिया। 

इधर शासन ने नई जांच कमेटी गठित की है। इस कमेटी को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देने कहा गया है। शासन द्वारा जारी आदेश के अनुसार, इस जांच कमेटी में माध्यमिक शिक्षा मंडल की सचिव पुष्पा साहू, रायपुर जिला शिक्षा अधिकारी विजय खंडेलवाल तथा बिलासपुर शिक्षा संभाग के संयुक्त संचालक आरपी आदित्य के नाम शामिल हैं। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 22 मई को इस जांच कमेटी का गठन किया गया है। उक्त तिथि के 7 दिनों के भीतर कमेटी को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।

विभागीय प्रक्रिया का करेंगे पालन

इधर, संस्कृत विद्यामंडलम के नए सचिव राकेश पांडेय ने कहा है कि शासन के निर्देशानुसार संतोष ठाकुर और परमेश्वर दयाल चौबे को बर्खास्त कर दिया गया है। जांच प्रारंभ कर दी गई है। उत्तरपुस्तिकाओं की जांच सहित अन्य सवालों पर उन्होंने कहा कि जो भी विभागीय प्रक्रिया होगी, उसका पालन किया जाएगा। शासन से मिले आदेश के अनुसार कार्य करेंगे। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, औरदा के दीपांशु स्कूल के प्राचार्य दिनेश खुटे को विभागीय जांच के लिए बुधवार को रायपुर तलब किया गया।

 

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