पेट एनिमल्स के रजिस्ट्रेशन का सिस्टम ही ठप : दो दशक से नहीं रखा जा रहा कोई हिसाब-किताब, पिटबुल के हमले के बाद अब छानबीन

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पेट एनिमल के रजिस्ट्रेशन सिस्टम का रिकार्ड निगम के पास नहीं है
शहर में पालतू कुत्तों के पंजीयन का सिस्टम ठप होने से शहर में देशी - विदेशी नस्ल के पाले जाने वाले कुत्तों का कोई लिखित रिकार्ड निगम के पास उपलब्ध नहीं है।

रायपुर। नगर निगम में पेट एनिमल के रजिस्ट्रेशन का सिस्टम को-लैप्स हो गया है। दो दशक से शहर में पालतू कुत्तों के पंजीयन का सिस्टम ठप होने से शहर में देशी-विदेशी नस्ल के पाले जाने वाले कुत्तों का कोई लिखित रिकार्ड निगम के पास उपलब्ध नहीं है। हाल ही में पिटबुल कुत्तों के हमले के बाद हरकत में आये निगम अफसर अब अपने बीस साल पुराने दस्तावेज को खंगालने में जुटे हैं। निगम का वेटनरी डिपार्टमेंट निर्धारित शुल्क लेकर शहर के पालतू कुत्तों के पालकों से आवेदन लेकर रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध कराता था। साथ ही जिला पशु चिकित्सालय से उस पेट डॉग के एंटी रेबीज वेक्शीनेशन कराना अनिवार्य था। पंजीकृत पालतू कुत्ते के नंबर वाला बिल्ला पंजीयन के साथ निगम की ओर से एलाट होता था।

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नगर निगम के पास शहर में पल रहे देशी- विदेशी नस्ल के कुत्तों का कोई हिसाब- किताब नहीं है। न ही वर्तमान में नगर निगम में पालतू कुत्तों का पंजीयन करने की कोई व्यवस्था काम कर रही। इसकी वजह से निगम का हेल्थ डिपार्टमेंट यह बता पाने की स्थिति में नहीं है कि शहरभर में कितने पालतू कुत्ते अब तक पंजीकृत हैं। दर असल पिछले 20 साल से पालतू कुत्तों के पंजीयन का कार्य नगर निगम ने बंद कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक शहरभर में देशी-विदेशी नस्ल के करीब 20 हजार पेट डॉग का पालन किया जा रहा है। इसका रिकार्ड नगर निगम के पास उपलब्ध नहीं है। यानी किस इलाके में किसके यहां कौन सी प्रजाति का पालतू कुत्ता पाला जा रहा है, उसे एंटी रेबीज का इंजेक्शन लगाया गया या नहीं, इसकी अधिकृत जानकारी निगम के पास उपलब्ध नहीं है। निगम के अधिकारियों के मुताबिक 2011 की पशु संगणना के मुताबिक रायपुर शहर और धरसींवा क्षेत्र में 5,500 पालतू कुत्ते की संख्या रही, जो बढ़कर 20 हजार तक जा पहुंची है।

पहले होता था निगम से पंजीयन

नगर निगम रायपुर में वरिष्ठ एमआईसी मेंबर श्रीकुमार मेनन ने बताया कि, शहर में दो दशक पहले तक नगर निगम से पालतू कुत्तों का पंजीयन अनिवार्य रूप से होता था। उस समय निगम के वेटनरी डिपार्टमेंट से यह काम होता था, पर काफी समय से यह सिस्टम को-लैप्स हो गया है। शहर के बढ़ते स्वरूप को देखते हुए देशी व विदेशी नस्ल के पालूतों के कुत्तों पर रोक लगाई जाये। शौकीन ऐसे कुत्तों को पाल तो लेते हैं, पर इसके प्रापर वेक्सीनेशन नहीं होने से लोगों को खतरा रहता है।

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