नया नियम : छत्तीसगढ़ में सरकार अब देगी पेटेंट के लिए 20 लाख तक का अनुदान

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महानदी भवन
छत्तीसगढ़ राज्य परियोजना प्रतिवेदन, अनुदान, गुणवत्ता, प्रमाणीकरण, अनुदान तकनीकी पेंटेट अनुदान तथा प्रौद्योगिकी क्रय अनुदान नियम बनाए हैं।

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार अब राज्य में तकनीकी पेटेंट के लिए 20 लाख रुपयों तक का अनुदान देगी। राज्य सरकार ने इसके लिए नए नियम बनाए हैं। ये नियम छत्तीसगढ़ राज्य परियोजना प्रतिवेदन, अनुदान, गुणवत्ता, प्रमाणीकरण, अनुदान तकनीकी पेंटेट अनुदान तथा प्रौद्योगिकी क्रय अनुदान नियम बनाए हैं।

इस काम के लिए मिलेगा तकनीकी पेटेंट अनुदान

नए नियम के मुताबिक, अब नवीन स्थापना, विस्तार, शवलीकरण, प्रतिस्थापन, करने वाले सूक्षम, लघु तथा मध्यम उद्यमों की स्थापना, सामान्य श्रेणी एवं भ्रस्ट सेक्टर के विनिर्माण, वृहद उद्यमों, विशिष्ट उत्पाद श्रेणी के नवीन उद्यमों एवं स्र्टाटअप इकाईयों को इसके लिए पात्रता होगी। खास बात ये है कि भारत सरकार उद्योग मंत्रालय अन्य मंत्रालयों, पंजीकृत पेटेंट हाउस, अनुसंधान केंद्रों से पेटेंट अनुसंधान पंजीकृत कराने पर ही अनुदान की पात्रता होगी। औद्योगिक इकाई को प्रति उत्पाद, प्रक्रिया, शोध पर केवल एक ही बार अनुदान की पात्रता होगी। विकसित उत्पाद, प्रक्रिया, जिसका पेटेंट कराया गया है । उत्पाद, प्रक्रिया, जिसका पेटेंट कराया गया है या अनुसंधान स्वीकृत हुआ है, का वाणिज्यक उत्पादन उपयोग औद्योगिक इकाई द्वारा ही किया जाना आवश्यक होगा।

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अनुदान की पात्रता इन्हें भी

राज्य सरकार अब गुणवत्ता प्रमाणीकरण के लिए भी अनुदान देगी। इसके लिए आईएसओ 9000, आईएसओ 14000, आईएसओ 22000, बीआईएस प्रमाणीकरण, जेड प्रमाणीकरण उर्जा दक्षता प्रमाणन, नवीन एवं नवकरणीय उर्जा के भेत्र में एलईबीपी प्रमाणीकरण, एगर्माक, यूरो मानक, एनं अन्य समान राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रमाणीकरण प्राप्त करने पर भी अनुदान देगी। यह पात्रता भारत सरकार, राज्य शासन के किसी विभाग, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंर्डड या भारत सरकार, राज्य शासन की किसी अधिकृत एजेंसी से गुणवत्ता प्रमाणपत्र प्राप्त करने पर ही अनुदान की पात्रता होगी। इसके साथ ही प्रौद्योगिकी क्रय अनुदान, परियोजना प्रतिवेदन अनुदान, गुणवत्ता प्रमाणीकरण अनुदान भी देगी।

किसी को रोजगार से नहीं कर सकते वंचित

औद्योगिक इकाई द्वारा राज्य के मूल निवासियों को निर्धारित प्रतिशत में रोजगार उपलब्ध कराने के बाद, यदि बाद में विधि विरूद्ध तरीके से, रोजगार से वंचित किया जाता है एवं इस कारण अकुशल, कुशल व प्रबंधकीय वर्ग में दिये जाने वाले रोजगार का प्रतिशत निर्धारित प्रतिशत से कम हो जाता है तो अनुदान की राशि संबंधित स्वत्व को निरस्त कर वसूली की जा सकेगी, अन्य देय अनुदानों में समायोजित की जा सकेगी। यदि औद्योगिक इकाई द्वारा प्रस्तुत निवेशक से वर्ग से संबंधित प्रमाण-पत्र या तथ्य गलत पाये जाते हैं या पात्रता से अधिक अनुदान की प्राप्ति हो गयी हो, तो दी गई अतिरिक्त अनुदान की राशि वसूली योग्य होगी। उद्योग संचालनालय या जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र द्वारा अनुदान से संबंधित या कोई जानकारी, अभिलेख मांगे जाने पर औद्योगिक इकाई द्वारा न दी जाये तो अनुदान की राशि संबंधित स्वत्व को निरस्त कर वसूली की जा सकेगी।

अनुदान प्राप्त औद्योगिक इकाई की होगी ये जिम्मेदारी

औद्योगिक इकाई को वाणिज्यिक उत्पादन दिनांक सेवा गतिविधि प्रारंभ करने के दिनांक से न्यूनतम पांच वर्षों तक उद्योग चालू रखते हुए, नियमानुसार राज्य के मूलनिवासियों को रोजगार उपलब्ध कराना होगा। इकाई द्वारा उपलब्ध कराये गये रोजगार की जानकारी प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पश्चात 30 दिवस के भीतर अनुदान स्वीकृतकर्ता अधिकारी को प्रदान करना होगा।

पांच साल तक नहीं कर सकते ये बदलाव

शर्त ये भी है कि इकाई को वाणिज्यिक उत्पादन दिनांक सेवा गतिविधि प्रारंभ करने के दिनांक से पांच वर्ष तक उद्योग आयुक्त, संचालक उद्योग की लिखित पूर्वानुमति के बिना इकाई के फैक्ट्री स्थल गतिविधि में कोई परिवर्तन नहीं किया जावेगा, इकाई का कोई भाग अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया जा सकेगा तथा ना ही स्वामित्व परिवर्तन किया जा सकेगा तथा इकाई के स्थायी परिसम्पतियों में कोई परिर्वतन नहीं किया जावेगा।

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