बलौदा बाजार नगर पालिका चुनाव : राजनीतिक हलचल हुई तेज, पढ़िए क्या है यहां की प्रमुख समस्याएं 

Baloda Bazar
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आरक्षण की घोषणा के बाद से ही शहर में राजनीतिक गतिविधियां तेज हुई
बलौदाबाजार नगर पालिका में अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। ऐसे में आइये जानते हैं शहर की प्रमुख समस्याएं क्या है।

कुश अग्रवाल- बलौदा बाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार नगर पालिका में इस बार अध्यक्ष पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया है। आरक्षण की घोषणा के बाद से ही शहर में राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। नगर पालिका चुनाव दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए प्रत्याशी चयन को लेकर खींचतान बढ़ने की संभावना है।

इस बार अध्यक्ष पद की सीट सामान्य वर्ग के लिए अनारक्षित हो जाने से सभी वर्गों के दावेदारों के लिए अवसर खुल गए हैं। बलौदाबाजार नगर पालिका के 21 वार्डों में करीब 22 हजार मतदाता निर्णायक भूमिका निभाएंगे। पिछली बार की तरह इस बार भी मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच रोचक रहने की संभावना है।

प्रमुख समस्याएं और जनता की उम्मीदें

नगर के प्रमुख मार्गों पर अतिक्रमण और यातायात समस्या सबसे बड़ी चुनौती है। खासतौर पर गांधी चौक, नेहरू चौक, सदर बाजार, और मंडी रोड जैसे इलाकों में पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं होने से व्यापारियों और खरीदारी करने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शहर की महिलाएं बाजार क्षेत्रों में शौचालय की सुविधा न होने से असुविधा महसूस करती हैं। इसके अलावा, बस स्टैंड शहर के बीचों-बीच होने से यातायात का दबाव बढ़ गया है। स्थानीय नागरिकों ने इसे शहर के बाहर स्थानांतरित करने की मांग की है।

पेयजल की होती है समस्या

नगर के कई वार्डों में सफाई व्यवस्था खराब है और कई क्षेत्रों में सड़क और पहुंच मार्ग की स्थिति भी दयनीय है। गर्मी के दिनों में पेयजल भी बलौदा बाजार के लिए एक प्रमुख समस्या है जिसके लिए नगर वासी को काफी मशक्कत करनी पड़ती है गर्मी के दिनों में अधिकतर वार्डों में भूजल स्तर काफी नीचे चला जाता है जिससे पेयजल के लिए वार्ड के नागरिकों को समस्याओं को सामना करना पड़ता है। नगर पालिका की ओर से चबूतरे बनाए जाने के बावजूद व्यापारी सड़क के दोनों ओर सब्जी बेचते हैं, जिससे आवागमन बाधित होता है। साथ ही आवारा पशुओं की समस्या भी गंभीर है।

भाजपा के संभावित दावेदार

भाजपा से कई दावेदार अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। वर्तमान अध्यक्ष चितावर जायसवाल और अशोक जैन का नाम प्रबल है। अशोक जैन पहले भी दो बार नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं और उन्हें उनके अनुभव के आधार पर मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। इसके अलावा, भाजपा से तीन बार के पार्षद रोहित साहू, जितेंद्र महाले, विश्व हिंदू परिषद अध्यक्ष अभिषेक तिवारी, और संजू पटेल भी दावेदारों की सूची में शामिल हैं।

कांग्रेस के संभावित दावेदार

कांग्रेस से रूपेश ठाकुर, सुरेंद्र जायसवाल, पूर्व अध्यक्ष विक्रम पटेल, और धर्मेंद्र वर्मा प्रमुख दावेदार हैं। इसके अलावा चौंकाने वाला नाम चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जुगल भट्टर का भी हो सकता है।

अन्य उम्मीदवारों की संभावनाएं

भाजपा और कांग्रेस के अलावा इस बार अन्य दल, बागी और निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव में किस्मत आजमाने के लिए तैयार हैं। तीसरा मोर्चा और निर्दलीय उम्मीदवारों की उपस्थिति से चुनाव रोचक और कठिन होने की संभावना है।

राजनीतिक समीकरण और पिछला रिकॉर्ड

1995 से 2020 तक हुए छह नगर पालिका चुनावों का विश्लेषण करें तो बलौदा बाजार में दो बार सामान्य वर्ग, तीन बार पिछड़ा वर्ग, और एक बार सामान्य महिला वर्ग के उम्मीदवार अध्यक्ष बने हैं। इस बार सीट सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होने के बावजूद ज्यादातर दावेदार ओबीसी वर्ग से हैं।

अध्यक्ष पद के पर सभी वर्गों के लिए अवसर खुले

सामान्य वर्ग का आरक्षण तय होने के बाद बलौदा बाजार नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए सभी वर्गों के लिए अवसर खुल गए हैं। इससे दोनों प्रमुख पार्टियों के लिए प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो सकती है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी इस चुनाव को प्रतिष्ठा का मुद्दा मान रही हैं। देखना दिलचस्प होगा कि बलौदाबाजार के 22 हजार मतदाता किसे अपना प्रतिनिधि चुनते हैं। यह चुनाव न केवल राजनीतिक समीकरणों को बदलेगा बल्कि शहर की विकास योजनाओं और समस्याओं के समाधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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