Logo
छत्तीसगढ़ में दीपावली के बाद यानी नवंबर अथवा दिसंबर महीने में नगरीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं। गरियाबंद जिले के सबसे बड़े शहर राजिम में चुनावी रंग चढ़ने लगा है। 

श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव जल्द होने वाले हैं। इसे लेकर राजिम में उत्साह चरम पर है। हालांकि अभी आरक्षण का अता- पता नहीं है कि, किस वर्ग के लिए होगा? महिला का होगा, कि पिछड़ा वर्ग अथवा सामान्य? पर यहां सभी वर्ग के लोग दावेदारी जताने के लिए तैयार दिख रहे हैं। शहर में कुल 15 वार्ड हैं, जिनमें पार्षद पद के लिए नाम चिन्हांकित करने का सिलसिला दोनो ही पार्टी भाजपा और कांग्रेस में भीतर ही भीतर चल रहा है।

शहर में अधिकांश लोगो को ये मालूम है कि, कौन से वार्ड से कांग्रेस का उम्मीदवार कौन हो सकता है और कौन सा भाजपा का। शायद दोनो पार्टी के नेताओं ने संभावित उम्मीदवारों को इशारे ही इशारे में बता दिया है, लिहाजा ऐसे स्थानीय नेता वार्डों में घूम-घूम कर अपना न केवल पोजीशन बनाने में लग गए हैं बल्कि चरण वंदन भी करने लगे हैं। मीठा-मीठा बोलने लगे हैं। दादा और काका, भैया के अंदाज में बातें करने लगे हैं। अपने आपको सेवक के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। अपने आपको जनता की सेवा में तत्पर होना दिखा रहे हैं। 

शहरवासियों के आगे हाथ जोड़ने लगे हैं दावेदार

पिछले दिनों गणेश उत्सव का पर्व हुआ और अब दुर्गोत्सव का पर्व चल रहा है। जिसमें अपनी भागीदारी निभाने में कोई कसर भी बाकी नहीं रख रहे हैं। जहां तक, जितना हो सके यथासंभव सहयोग भी कर रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं जो साल भर पहले तक सीना तानकर अकड़ कर चलते हुए नजर आते थे, वे अब अपने सारी लाज-शरम को छोड़कर सीधे पैर पड़ने को आतुर दिखाई दे रहे हैं। बता दें कि जहां चार लोग बैठे दिखे नहीं कि वहां पहुंचकर अपने आपको अच्छे ढंग से प्रस्तुत करने में हिचकिचा भी नहीं रहे हैं। ये हाल भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टी के दावेदारों का है। आगे देखना होगा कि वार्डो में टिकट किसे मिलता है? खास बात यह है कि जो अभी वर्तमान में पार्षद हैं उनमें से अधिकतर लोग भी आगामी चुनाव के लिए सीना ताने हुए हैं। राजिम की जनता बेहद जागरूक और समझदार हैं। मक्खन लगाने वालो को बखूबी समझ रहे हैं और मुस्कुरा रहे हैं।  

आरक्षण का अता-पता नहीं पर लड़ाके अभी से तैयार

आरक्षण का अता-पता नहीं हैं पर लड़ाके अपने आपको न केवल तैयार कर रहे हैं बल्कि जनसंपर्क भी करने लग गए हैं। जिले में अब चार की जगह पांच निकाय हो गए हैं जिसमें राजिम, फिंगेश्वर, छुरा और कोपरा नगर पंचायत हैं जबकि गरियाबंद को नगर पालिका का दर्जा प्राप्त है। जिले का बड़ा शहर राजिम की बात करें तो यहां के लड़ाके तैयार तो हैं मगर वे आरक्षण का बेसब्री से प्रतीक्षा कर रहे हैं। 

bjp-congress

भाजपाई हैं खासे उत्साहित

भाजपा अभी अति उत्साह में दिख रही है। कारण भी साफ हैं केंद्र और राज्य में सरकार भाजपा की है और विधायक सांसद भी यहां भाजपा के हैं। नगरीय निकाय के चुनाव में उन्हें परिस्थिति अनुकुल नजर आ रही है। इस लिहाज से दावेदार भी कई हो गए हैं। भाजपा से जो नाम उछलकर सामने चल रहे हैं उसमें नपा अध्यक्ष रेखा-जितेंद्र सोनकर, भाजपा के जिला उपाध्यक्ष अधिवक्ता महेश यादव, मंडल अध्यक्ष कमल सिन्हा, नगर पंचायत के सभापति पुष्पा गोस्वामी, अशोक मिश्रा के नाम शामिल हैं।

कांग्रेस में भी दावेदारों की कमी नहीं

जबकि कांग्रेस की बात करें तो नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष पवन सोनकर, जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रशासनिक महामंत्री अधिवक्ता विकास तिवारी का नाम प्रमुखता से सामने आ रहा हैं। उधर भाजपा के दो दावेदार महेश यादव और कमल सिन्हा विधायक रोहित साहू के करीबी माने जा रहे हैं और इधर कांग्रेस के दोनो दावेदार पवन सोनकर और विकास तिवारी भी पूर्व विधायक अमितेश शुक्ल के करीबी के रूप में जाने जाते हैं। वर्तमान विधायक और पूर्व विधायक दोनो के लिए इस बार दुविधाजनक स्थिति पैदा होगी। इस बड़े संकट से वे कैसे उबरेंगे ? किसे खुश करेंगे, किसे नाराज करेंगे? ये समय बताएगा। बहरहाल उस समय के परिस्थिति के ऊपर निर्भर करेगा जब आरक्षण का पिटारा खुलेगा।

jindal steel jindal logo
5379487