महुआ बचाओ अभियान : छत्तीसगढ़ में पहली बार इस दिशा में पहल, लगाए गए 30 हजार से ज्यादा पौधे

forest officer planting trees
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महुआ के पौधे लगाते हुए ग्रामीण और वन अधिकारी
सरगुजा और बस्तर में फिलहाल बड़ी संख्या में महुए के पेड़ खड़े दिखाई देते हैं। लेकिन इनमें बढ़ते नए पौधे शामिल नहीं हैं। ऐसे में कुछ ही दशक बाद ये पेड़ खत्म हो सकते हैं।

रामचरित द्विवेदी- मनेंद्रगढ़। छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल सरगुजा और बस्तर में महुआ के पेड़ आदिवासियों के जीवनयापन में काफी अहम माने जाते हैं। फिलहाल इन इलाकों में महुए के पेड़ बहुतायत में नजर तो आ रहे हैं, लेकिन ये ज्यादातर वयस्क पेड़ हैं। महुए के पेड़ों की औसत आयु 60 वर्ष मानी जाती है। महुए के नए पौधे बढ़ते नहीं दिखाई देते। अगर ऐसा ही चलता रहा तो दो या तीन दशक बाद ये पेड़ बूढ़े होकर या तो मर जाएंगे या फिर फूल और फल देना बंद कर देंगे। ऐसी स्थिति में इन पर निर्भर यहां के निवासियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो सकता है। इसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए मनेंद्रगढ़ वनमंडल में महुए के पौधे रोपने की पहल की गई है।

पौधों के साथ बांटे जा रहे ट्री गार्ड

मिली जानकारी के मुताबिक, वन मंडलाधिकारी मनीष कश्यप की पहल से पहली बार गांवों के बाहर ख़ाली पड़ी ज़मीन और खेतों की मेड़ पर महुए के पौधे लगाये जा रहे हैं। इन पौधों की सुरक्षा के लिए 'ट्री गार्ड' बाकायदा ट्री गार्ड लगाए जा रहे हैं। अब तक 30,000 महुए के पौधे लगाये जा चुके हैं। पौधे के साथ ट्री गार्ड मिलने से इस योजना को लेकर ग्रामीणों में ज़बरदस्त उत्साह देखा जा रहा है।

protect the Mahua tree
महुआ के पौधे को सुरक्षित रखने के लिए ने ट्री गार्ड भी लगाए

हर सीजन में हर पेड़ देता है लगभग 10 हजार का वनोपज

छत्तीसगढ़ में संभवतः पहली बार इतने बड़े पैमाने पर महुए के पेड़ लगाए गए हैं। जानकारों के मुताबिक, 10 साल में ही महुए का पौधा परिपक्व होकर पेड़ की शक्ल ले लेता है, और उसमें फूल-फल आने लगतके हैं। महुए के एक पेड़ से आदिवासी परिवारों को औसतन 2 क्विंटल फ़ूल और 50 किलो तक बीज मिलता है। इनकी क़ीमत लगभग 10 हज़ार रुपये होती है। यानी महुए का एक पेड़ हर सीजन में 10 हजार रुपये का वनोपज देता है।

सफाई के लिए लगाए जाने वाली आग से मर जाते हैं पौधे

विभागीय जानकारों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में महुए के नए पौधों के ना पनपने की सबसे बड़ी वजह है पेड़ों के नीचे सफाई के लिए आग लगाया लगाया जाना। इसी आग के चलते महुए के पौधे ज़िंदा नहीं रहते। ग्रामीण महुआ के सभी बीज को भी संग्रहण कर लेते है। ये भी एक कारण है, महुए के पेड़ों के ख़त्म होने का। आख़िर बड़े महुए के पेड़ कब तक जीवित रह पायेंगे?

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