Logo
election banner
छत्तीसगढ़ की जीवन दायिनी महानदी लगातार दूषित होती जा रही है। सफाई नहीं होने के कारण अपना अस्तित्व और महत्व खोने लगी है। 

श्यामकिशोर शर्मा- राजिम। हमारे देश में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है, लेकिन बावजूद इसके भारत में नदियों की स्थिति बहुत ही दयनीय है। ऐसा ही हाल छत्तीसगढ़ की जीवन दायिनी महानदी का भी है। महानदी का पानी पीने तो छोड़ो नहाने योग्य भी नहीं है। ग्राम दुलना कछार से लेकर नवापारा शहर के किनारे से बेलाहीघाट पुल, एनीकट और एनीकट के नीचे मैदान के रूप में बंजर नजर आ रहा है। प्रदेश में महानदी को गंगा नदी के समान ही पवित्र माना जाता है। 

इलाहाबाद की तरह राजिम में तीन नदियो का संगम होता है और यहां से महानदी के रूप में ये आगे बढ़ती है जो ओडिशा के कटक से होते हुए समुद्र में समाहित हो जाती है। राजिम संगम में बड़ी श्रद्धा के साथ प्रदेश के लगभग सभी जिलों से लोग अस्थि विसर्जन करने पहुंचते हैं। रोज यहां कम से कम 20-25 अस्थियां विसर्जित की जाती है। यहां पर नदी किनारे पिंड दान और पूजा करने का विधान होता है। लेकिन महानदी में इतनी दूषित हो गई है कि, धीरे-धीरे यह अपना अस्तित्व और महत्व खोती जा रही है। 

तीन जिलों के प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत 

महानदी तीन जिलों गरियाबंद, धमतरी और रायपुर के सरहदी इलाकों से होकर गुजरती है। अगर इन तीनों जिलों के प्रशासन ने ठान लिया तो दुलना से लेकर राजिम एनीकट के नीचे तक केवल एक दिन के अभियान से इसकी सफाई की जा सकती है। शासन-प्रशासन और संगठनों की मदद से नदी सफाई का काम किया जा सकता है। 

grass

प्रधानमंत्री के विचारों पर अमल हो

उल्लेखनीय है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्म भूमि अयोध्या से अपने लाइव प्रसारण में कहा था कि, देश के सभी तीर्थ स्थलों में सफाई अभियान चलते रहना चाहिए। फिर राजिम तो छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहलाता है। भगवान श्रीराम वन गमन के समय कुछ दिन राजिम के लोमष ऋषि आश्रम में रूके थे। यहां माता जानकी जी के हाथों से निर्मित शिवलिंग आज भी लाखों लोगों के आस्था का केंद्र है। इसे कुलेश्वरनाथ महादेव कहते हैं। भगवान विष्णु के रूप में साक्षात भगवान श्री राजीव लोचन विराजे हुए हैं। इस पावन तीर्थ में तीन नदियों पैरी, सोढुर और महानदी एक साथ आकर मिलती है।

छत्तीसगढ़ की जीवन दायिनी है महानदी

राजिम का यह संगम स्थल छत्तीसगढ़ के लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। मगर इन तीनों नदी का क्या हाल है यह आप इन तस्वीरों से देख सकते हैं। यह वही महानदी है जिसका उद्गम सिहावा पहाड़ में श्रृंगी ऋषि के तप से हुआ है। इसे जीवन दायिनी नदी कहते हैं। आज से 25 साल पहले यह नदी इतनी पवित्र थी कि, सिक्का उछालने पर वह भी साफ-साफ नजर आता था।

5379487