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माता की मूर्ति का 92 साल का पुराना इतिहास है। अब मातारानी की प्राचीन मूर्ति को बदल दिया जाएगा।

रायपुर- राजधानी रायपुर के आकाशवाणी चौक में काली माता का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। माता की मूर्ति का 92 साल का पूराना इतिहास है। लेकिन अब मातारानी की प्राचीन मूर्ति को बदल दिया जाएगा और नवीन प्रतिमा स्थापित की जाएगी। मातारानी की मूर्ती को 26 अप्रैल को प्राण प्रतिष्ठा के साथ बदला जाएगा। कल सुबह 11 बजे से भक्त नई मूर्ति का दर्शन कर सकते हैं। 

बता दें, वर्तमान में स्थापित मूर्ति का आकार बेहद सुंदर होगा। इसे ओडिशा में तैयार किया जा रहा है। छग में पहली बार ऐसा हो रहा है कि, मातारानी की प्राचीन मूर्ति को बदला जा रहा है। 

मां की मूर्ति का ओडिशा में तैयार किया गया 

जानकरी के अनुसार, नवीन और प्राचीन प्रतिमा में ज्यादा फर्क नहीं है। इस मूर्ति का एक-एक पत्थर ओडिशा से बनकर आ रहा है। कहा जा रहा है कि, इन्हें ओडिशा के क्योंझर जिले के जगलों से लाया जा रहा है। यह ऐसा पत्थर है दो हजार सालों तक वैसा ही रहेगा, जैसा आज दिखाई दे रहा है। 

मंदिर के पास नागा साधु भी रहे हैं 

काली माता मंदिर का इतिहास काफी दिलचस्प है। इस स्थान पर नागा साधु अपनी धुनी सुना चुके हैं। ऐसा कहा जाता है कि, जिस स्थान पर नागा साधुओं के पत्थर हैं, उसी जगह पर काली माता का गर्भ गृह भी है। इसलिए यहां पर नवरात्री के समय भक्त अपनी मनकामनाओं को पूरा करने के लिए आते हैं। इन दिनों में माता के दर्शन के लिए लोगों की भीड़ दिखाई देती है। 

नीम के पेड़ के नीचे से निकली थी मां काली 

दरअसल, कोलकाता में मातारानी का शरीर है। जो रायपुर के आकाशवाणी चौक में स्थित मंदिर में विराजमान है और अब नई मूर्ति ओडिशा से बनकर आ रही है। इसलिए इस मंदिर का महत्व बढ़ता चला जा रहा है। 

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