117 साल बाद रजिस्ट्री को लेकर बड़ा फेरबदल : फर्जीवाड़ा हुआ तो नहीं जाना पड़ेगा कोर्ट, आईजी ही कर देंगे पंजीयन रद्द 

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महानदी भवन
छत्तीसगढ़ सरकार ने 117 साल पुराने 1908 के रजिस्ट्रीकरण एक्ट में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने 117 साल पुराने 1908 के रजिस्ट्रीकरण एक्ट में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। खास बात ये है कि अगर किसी व्यक्ति ने रजिस्ट्री के समय किसी दूसरे व्यक्ति को पेश करवाकर रजिस्ट्री करवा ली है, तो ऐसी रजिस्ट्री रद्द करने का अधिकार पंजीयन महानिरीक्षक (आईजी रजिस्ट्री) ही उसे रद्द कर सकेंगे। अब से पहले इस तरह की रजिस्ट्री सीधे निरस्त नहीं की जा सकती थी। इस तरह के फर्जीवाडे के मामले कोर्ट में जाते थे, वहां सुनवाई होने से लेकर फैसला आने में बरसों बरस लग जाते थे। तब तक यही फर्जी रजिस्ट्री वैध बनी रहती थी। अब ऐसा नहीं होगा।

राज्य सरकार ने यह बदलाव करने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में लागू रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1908 में संशोधन कलेक्टर भी कर सकते हैं सिफारिश यदि जिला कलेक्टर द्वारा स्वप्रेरणा से या उनके द्वारा प्राप्त शिकायत के आधार पर की गई जांच में यह पाया जाता है कि किसी सरकारी भूमि या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के स्वामित्व वाली भूमि को निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना पंजीकृत कराए गए किसी दस्तावेज के आधार पर हस्तांतरित किया गया है, तो जिला कलेक्टर ऐसे दस्तावेज के पंजीकरण को रद्द करने के लिए महानिरीक्षक पंजीयन या राज्य सरकार की अधिसूचना के माध्यम से सशक्त किए गए प्राधिकारी को सिफारिश कर सकता है। जिला कलेक्टर से ऐसी सिफारिश मिलने पर महानिरीक्षक पंजीयन या राज्य सरकार ऐसे दस्तावेज का पंजीयन रद्द कर सकेगी।

आईजी के आदेश के खिलाफ हो सकती है अपील

ऐसे मामले में जहां आईजी पंजीयन किसी दस्तावेज को निरस्त करते हैं या अधिसूचना के माध्यम से निरस्त किया जाता है, तो इस प्रकार के आदेश से व्यथित व्यक्ति आदेश मिलने के 30 दिनों के भीतर पंजीयन विभाग के सचिव के समक्ष अपील कर सकता है। वह जैसा उचित समझे ऐसे आदेश की पुष्टि संशोधन, या उसे रद्द करने का आदेश पारित कर सकता है।

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इस तरह होंगे निरस्त

रजिस्ट्रीकरण एक्ट में अब ये संशोधन किया गया है कि यदि पंजीयन विभाग में उप महानिरीक्षक पंजीयन की श्रेणी से अन्यून अधिकारी द्वारा जांच करने पर ये पाया जाता है कि किसी विलेख के पंजीयन में, किसी व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति को गलत तरीके से पेश किया, उस छद्म व्यक्ति के द्वारा निष्पादन को स्वीकार किया गया है और पंजीकरण अधिकारी द्वारा किसी दस्तावेज को पंजीकृत किया गया है, और ऐसे दस्तावेज का अस्तित्व किसी अन्य के व्यक्ति के हित के लिए हानिकारक है। या किन्ही अधिनियमों के अंतर्गत सक्षम प्राधिकारी की अपेक्षित अनुमति के बिना किसी दस्तावेज का पंजीयन हुआ है। या किसी खसरे से संबंधित दस्तावेज को जिसे राज्य सरकार द्वारा अधिसूचना के माध्यम से प्रतिबंधित किया गया हो, पंजीकरण अधिकारी के द्वारा पंजीकृत किया गया हो। ऐसी स्थिति में रजिस्ट्री रद्द कर दी जाएगी।

इस तरह रद्द होगी फर्जी रजिस्ट्री

इस तरह के मामलों में यदि पंजीकृत विलेखों को, विहित प्रारुप में समुचित व्यक्ति द्वारा आवेदन किए जाने पर या लोक प्राधिकारी से सूचना प्राप्त होने पर या स्वप्रेरणा पर महानिरीक्षक पंजीयन या राज्य शासन द्वारा अधिसूचना के माध्यम से सशक्त किए गए प्राधिकारी द्वार रद्द किया जा सकेगा।

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