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सरकारें शराब का कारोबार बंद करने के मुद्दे को इसलिए भूली हैं, क्योंकि इससे होने वाली राजस्व आय से ही सरकार का खजाना भरता है।
  • पिछले साल के मुकाबले 30 प्रतिशत अधिक
  • 2023-24 में 8300 करोड़ का है लक्ष्य

रायपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव( assembly elections)होने से पहले तक सियासी दलों के लिए शराबबंदी (prohibition)एक बड़ा मुद्दा था, लेकिन चुनाव आने तक ये मुद्दा हवा हो गया। पूरे चुनाव में किसी भी दल ने की। दरअसल, सरकारें शराब का कारोबार बंद करने के मुद्दे को इसलिए भूली हैं, क्योंकि इससे होने वाली राजस्व आय से ही सरकार का खजाना भरता है। पढ़िए पूरी खबर...इस वित्तीय वर्ष 2023-24 में सरकार ने आबकारी राजस्व हासिल करने का लक्ष्य 8 हजार 300 करोड़ रुपए रखा है। दिलचस्प ये है कि पिछले साल अक्टूबर के मुकाबले इस साल अक्टूबर तक इस राजस्व में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

नवंबर में मिल चुके हैं 310 करोड़ रुपए

इस साल 21 नवंबर तक की स्थिति में राज्य सरकार को आबकारी राजस्व से 310 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। पिछले साल नवंबर में सरकार को 600 करोड़ रुपए मिले थे। आबकारी विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें, तो नवंबर के बचे हुए दिनों तक मासिक लक्ष्य पूरा होने की पूरी संभावना है। जानकार ये भी बताते हैं कि साल के आखिरी महीनों में शराब की बिक्री में भारी तेजी का ट्रेंड रहा है। लिहाजा वित्तीय वर्ष के अंत यानी मार्च पूरा होने तक वार्षिक लक्ष्य आसानी से पूरा हो जाएगा।

एक नजर शराब से मिलने वाले राजस्व पर

छत्तीसगढ़ में शराब से सरकार को मिलने वाले राजस्व का हिसाब देखें, तो ये साफ होता है कि इस कारोबार से सरकार को कितनी आय होती है। 2022-23 में राज्य सरकार ने शराब से राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य 6 हजार 700 करोड़ रुपए रखा था। यह लक्ष्य हासिल हुआ। इसके बाद मौजूदा वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए सरकार ने आबकारी राजस्व का लक्ष्य 8 हजार 300 करोड़ रुपए रखा है। खास बात ये है कि इस साल अक्टूबर तक लक्ष्य के मुकाबले 4 हजार 554 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। पिछले साल अक्टूबर की तुलना में यह राशि 30 प्रतिशत अधिक है।

बिकती है हजारों करोड रुपयों की शराब

छत्तीसगढ़ में सरकार को शराब से जो राजस्व मिलता है वह केवल टैक्स का हिस्सा है। दरअसल शराब की कुल बिकी की बात करें तो पिछले साल ही करीब 15 हजार करोड़ रुपये की शराब बेची गई जिससे सरकार को 6800 करोड़ रुपये का टैक्स मिला है। यह निर्धारित लक्ष्य से 100 करोड़ रुपये अधिक है। नेशनल हेल्थ सर्वे 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक आबादी के अनुपात में सर्वाधिक शराब पीने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ सबसे आगे है। यहां 35.6 प्रतिशत लोग शराब का सेवन करते हैं। 34.7 प्रतिशत मदिरा प्रेमियों के साथ त्रिपुरा दूसरे व 34.5 प्रतिशत के साथ आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर है।

सियासी मुद्दा रहा है शराबबंदी 

छत्तीसगढ़ में शराबबंदी एक राजनीतिक मुद्दा रहा है। अगर पिछले पांच साल की बात की जाए तो राजनीतिक दल शराबबंदी की मांग करते रहे हैं। राज्य सरकार ने भी शराबबंद करने के लिए स्थितियों के अध्ययन के लिए एक समिति का गठन किया। इस समिति के शराबबंदी वाले राज्यों का दौरा भी किया, लेकिन इस बार का विधानसभा चुनाव आने तक राजनीति से यह मुद्दा गायब हो गया। किसी भी राजनीतिक दल ने अपने घोषणापत्र में इस पर कोई बात नहीं की।

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