बीजापुर मुठभेड़ की इनसाइड स्टोरी: समर्पित कमांडर की सूचना रंग लाई, 10 दिन तक प्लानिंग के बाद हुआ अटैक

Bijapur encounter, Naxalite commander Dinesh Modium, Planning Inside story
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आत्मसमर्पित नक्सली कमांडर दिनेश मोडियम
केंद्रीय गृहमंत्री ने मार्च 2026 तक देश को और बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने का दावा किया है। उनके इस दावे को सफल बनाने की दिशा में सुरक्षाबलों के जवान आगे बढ़ रहे हैं।

ग्राउंड जीरो से गणेश मिश्रा- बीजापुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में गुरुवार को हुई मुठभेड़ में टाप लेबल के 26 नक्सली मारे गए। लेकिन इस हमले का पूरा मास्टर प्लान मुठभेड़ से 10 दिन पहले ही तैयार कर लिया गया था।

उल्लेखनीय है कि, हाल ही में 100 से अधिक हत्याओं का आरोपी और खूंखार नक्सली कमांडर दिनेश मोडियम के आत्मसमर्पण के साथ ही इस मुठभेड़ की रणनीति तैयार कर ली गई थी। क्योंकि दिनेश उसी इलाके में सक्रिय था और समर्पण से पहले मुठभेड़ वाले इलाके से ही लौटा था। बताया जाता है कि, आत्मसमर्पण के बाद नक्सली कमांडर दिनेश मोडियम ने पूछताछ के दौरान नक्सली संगठन से जुड़े कई खुलासे किए हैं। इनमें से एक खुलासा नक्सलियों के जमावाड़े से जुड़ी थी और उसके बाद पुलिस के आला अधिकारी और जवानों की टीम ने मिलकर बीजापुर के सबसे बड़े मुठभेड़ को अंजाम देने की तैयारी कर ली। इसके लिए सबसे पहले पीडिया, अन्द्री और मदुम इलाके की पूरी जानकारी जुटाई गई। इसके अलावा ड्रोन कैमरे की मदद से उन पहाड़ियों की टोह ली गई, जिन पहाड़ियों में नक्सली अपना कैंप बनाए हुए थे पूरी जानकारी जुटाने के बाद ड्रग एसटीएफ और महिला कमांडो की एक टीम तैयार की गई। जिसमें DRG के सबसे काबिल लड़ाकों को शामिल किया गया।

पूरी प्लानिंग के बाद तीन टीम में बांटे गए जवान
करीब 1000 जवानों की टीम तैयार कर तीन भागों में बांटा गया। ऑपरेशन प्लान करने के दौरान यह जानकारी भी जुटाई गई कि, वहां मौजूद 30 से अधिक नक्सलियों के पास किस तरह के हथियार हो सकते हैं और नक्सली कितना ट्रेंड है। उसके बाद बुधवार की देर शाम जवानों की टीम को बीजापुर से मुडवेंदी के लिए रवाना किया गया और वहीं से तड़के उस पिन पॉइंट के लिए भेजा गया जहां नक्सलियों की टीम डेरा डाली हुई थी।

सात गोलियां खाने के बाद भी बहादुरी से लड़ता रहा राजू ओयामी
जवान जब वहां पहुंचे तो सबसे पहले जवानों ने पूरी पहाड़ी की घेराबंदी की और इसी दौरान नक्सलियों को जवानों की मौजूदगी की भनक लग गई और नक्सलियों ने फायर खोल दिया। नक्सलियों के फायरिंग शुरू करते ही सबसे पहले DRG का जवान राजू ओयामी हिट हुआ। परंतु अपने शरीर पर सात बुलेट लगने के बाद भी वह बहादुरी से लड़ता रहा।

साथी की शहादत से उबला जवानों का खून
मुठभेड़ में शामिल जवान बताते हैं कि, कुछ देर के लिए नक्सली जवानों पर हावी हो चुके थे, परंतु जैसे ही उनका साथी जवान शहीद हुआ तो बदले की आग में जल रहे जवान बहादुरी शौर्यता का परिचय देते हुए चारों ओर से पहाड़ी पर चढ़ गए और नक्सलियों को ललकारने लगे। परंतु नक्सली भी लगातार BGL दाग रहे थे, बावजूद इसके जवानों ने मोर्चा नहीं छोड़ा और वह मौजूद नक्सलियों को एक-एक कर ढेर कर दिया। जवान 9 घंटे तक लगातार ऑपरेशन में डटे रहे और 26 नक्सलियों को मार गिराया गया।

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