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देश में ऐसे कम ही उदाहरण देखे गए होंगे जब कोर्ट ने किसी विभाग के जिला स्तर के दफ्तर को ही सील करने का आदेश जारी कर दिया हो।  

जीवानंद हलधर- जगदलपुर। बस्तर में अब तक की सबसे बड़ी कार्यवाही देखने को मिल रही है। न्यायालय के द्वारा बस्तर वन मंडल अधिकारी का कार्यालय सील कर दिया गया हैं। यह आदेश जिला एवं सत्र न्यायाधीश बस्तर के द्वारा जारी किया गया। इसके बाद देर शाम डीएफओ दफ्तर को सील कर दिया गया।

दरअसल वर्ष 2021 में भानपुरी इलाके में कमल कश्यप नामक एक ग्रामीण की वन विभाग के वाहन से दुर्घटना हो गई थी। इस दुर्घटना में कमल कश्यप की मौत हुई थी। मृतक की पत्नी, दो बच्चों और माता-पिता का अकेला वारिस था। प्रकरण को न्यायालय में लाया गया और 2023 में न्यायालय ने छत्तीसगढ़ शासन और बस्तर वन मंडल अधिकारी को एक करोड़ 84 लाख रुपए राशि भुगतान करने का आदेश किया। 

संपत्ति कुर्क कर होगा मुआवजे का भुगतान

मगर विभाग ने शासन को पत्र लिखने व उच्च न्यायालय में जाने का हवाला देकर मुआवजा राशि नहीं दी जा रही थी। अंत में 6 मई 2024 को जगदलपुर न्यायालय ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए डीएफओ कार्यालय को सील कर कुर्क करने का आदेश जारी कर दिया देर शाम न्यायालय के कर्मचारी डीएफओ कार्यालय पहुंचे और मुख्य कामकाजी दफ्तरों को सील कर दिया गया।

कोर्ट ने 9 मई तक का दिया था समय, 3 दिन पहले ही कर दिया सील

पीड़ित पक्ष के वकील नितिन जैन के अनुसार, लगातार वन विभाग राशि देने में आनाकानी और विभागीय चर्चा करता रहा। राशि देने में टाल मटोल करता रहा। कभी आचार संहिता का बहाना बना बनाया जाता तो कभी हाई कोर्ट जाने की दलील दी जा रही थी, मगर जगदलपुर न्यायालय ने इस पर कड़ा विरोध करते हुए कार्यालय सील कर दिया। अब कार्यालय की सामग्री को बेचकर पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाएग। 

DFO दे रहे आचार संहिंता का हवाला

इधर डीएफओ उत्तम कुमार गुप्ता का कहना है कि, न्यायालय ने 9 मई तक का समय दिया था। 3 दिन पूर्व कार्यालय सील कर दिया गया हमारे द्वारा शासन को पत्र लिखा गया है क्योंकि आचार संहिता 4 जून तक प्रभावशील रहेगा तब तक प्रकरण में कुछ किया नहीं जा सकता। हालांकि हमारे द्वारा शासन को राशि आवंटित करने हेतु पत्राचार किया गया है।

 

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