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Ram Navami special: चैत्र माह शुक्ल नवमी का हमारे हिंदू त्योहारों में बड़ा महत्व है क्योंकि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र का जन्म हुआ। इसीलिए इसको ‘राम नवमी’ कहते हैं।

Ram Navami special: चैत्र माह शुक्ल नवमी का हमारे हिंदू त्योहारों में बड़ा महत्व है क्योंकि इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र का जन्म हुआ। इसीलिए इसको ‘राम नवमी’ कहते हैं। जिस घड़ी राम जी का जन्म हुआ उस समय हर ओर शीतल, मंद और सुगंधित वायु बह रही थी। गंधर्व भगवान विष्णु का गुणगान कर रहे थे। सभी देवता आकाश में हाथ जोड़कर भगवान की प्रार्थना कर रहे थे और पुष्पों की वर्षा कर रहे थे। जब सभी देवता स्तुति करके अपने-अपने धाम चले गए तब कौशल्या जी का कक्ष दिव्य प्रकाश से भर गया। 

धीरे-धीरे वह प्रकाश पुंज सिमट कर शंख, चक्र, गदा, पद्म और वनमाला से विभूषित भगवान विष्णु के रूप में प्रकट हुआ। भगवान के इस अद्भुत रूप को रानी कौशल्या अपलक देखती ही रह गईं। कौशल्या, बहुत देर तक प्रभु के इस दिव्य रूप को निहारती रहीं। फिर दोनों हाथ जोड़कर भगवान की स्तुति करती हुई कहने लगीं- ‘मैं आपकी किस तरह स्तुति करूं, यह मेरी समझ में नहीं आता। आपके स्वरूप का कितना भी बखान कर लें, फिर भी आपका पार नहीं पा सकते। मैं अबोध नारी भला आपकी क्या स्तुति कर सकती हूं। आप करुणा के समुद्र और गुणों के केंद्र हैं। यह आपकी परम कृपा है कि आप अपने भक्तों से अत्यंत प्रेम करने वाले हैं और मेरे हित के लिए प्रकट हुए हैं। 

आज मैं आप के इस दिव्य स्वरूप को देखकर धन्य हो गई। अब आप अपने इस दिव्य स्वरूप को समेट कर नवजात शिशु के रूप में आ जाएं और मुझे अपनी बाल लीला का परमानंद प्रदान करें।’ कौशल्या की विनती सुनकर प्रभु शिशु रूप में आ गए और अपने रुदन से महल को गुंजा दिया। फिर क्या था, दासियों के माध्यम से पूरी अयोध्या में कौशल्या को पुत्र होने का समाचार फैल गया। संपूर्ण अयोध्यावासी आनंद से झूम उठे।

शुभ मुहूर्त में किया नामकरण संस्कार
महाराज दशरथ तो पुत्र जन्म का समाचार सुनकर ब्रह्मानंद में मग्न हो गए। उन्होंने तुरंत सेवकों को बुलाकर शुभ मंगलगान करने एवं गुरु वशिष्ठ को सादर बुलाने की आज्ञा दी। राजा का संदेश सुनकर वशिष्ठ जी तुरंत आए और वेदविधि के अनुसार भगवान का जातकर्म संस्कार करवाया। कुछ ही देर बाद कैकेयी ने एक पुत्र और सुमित्रा ने दो पुत्रों को जन्म दिया। महाराज दशरथ ने ब्राह्मणों को अनेक प्रकार के दान देकर संतुष्ट किया। इस प्रकार आनन्दोत्सव और उल्लास में कुछ दिन बीत गए। गुरु वशिष्ठ ने शुभ मूहूर्त में चारों कुमारों का नामकरण संस्कार किया। उन्होंने कौशल्या के पुत्र का नाम राम, कैकेयी के पुत्र का भरत तथा सुमित्रा के पुत्रों का नाम लक्ष्मण और शत्रुघ्न रखा।     

शिखर चंद जैन

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