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Diwali 2024: दीवाली गुरुवार 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है। कोटा राजस्थान के जाने माने प्रसिध्द ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम नंदन मिश्रा से जानें शुभ मुहूर्त का समय। 

Diwali 2024: दीपावली हिंदुओं से सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। सनातन धर्म में इस त्योहार का विशेष महत्व है। मान्यता है कि चिरकाल में समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक अमावस्या तिथि पर मां लक्ष्मी अवतरित हुई थीं। वहीं, त्रेता युग में भगवान श्रीराम 14 वर्षों का वनवास बिता कर अयोध्या लौटे थे। जिसकी खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे। तब से दीवाली का त्योहार हर वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है। आइए जानते हैं लक्ष्मी, गणेश और कुबेर की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और सामग्री के बारे में....

पांचांग के अनुसार साल 2024 में दीपावली गुरुवार, 31 अक्टूबर को मनाई जा रही है। इस दौरान शुभ मुहूर्त में पूजा पाठ करना काफी फलदायी होता है। यहां जानें कोटा राजस्थान के जाने माने प्रसिध्द ज्योतिषाचार्य पंडित श्याम नंदन मिश्रा से शुभ मुहूर्त का समय। 

  • लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त- अमृत चौघड़िया शाम 5:46 से 7:22 बजे तक
  • स्थिर लग्न (वृषभ) 6:35 8:32 बजे तक
  • द्विस्वभाव लग्न (मिथुन) रात्रि 8:32 से 10:46 बजे तक
  • स्थिर लग्न (सिंह) रात्रि 1:04 से 3:17 बजे तक
  • निषीथ काल मुहूर्त रात्रि 11:45 से 12:36 बजे तक
  • चौपड़ा पूजन मुहूर्त अमृत व चर चौघड़िया शाम 5:46 से 8:58 बजे तक
  • अमावस्या प्रारंभ 31 अक्टूबर को शाम 3:52 बजे तक
  • अमावस्या समाप्त 6:16 बजे तक
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गणेश जी की पूजा विधि

  • सबसे पहले पानी में गंगाजल का छिड़काव कर स्नान करें।
  • इसके बाद एक लकड़ी से बनी चौकी में लाल या पीले रंग का कपड़ा डालें।
  • अब एक कलश की स्थापना करें। उसमें जल, एक सुपारी, अक्षत, फूल, इलायची और चांदी का सिक्का डालें। 
  • चौकी पर गणेश जी की नई मूर्ति स्थापित कर जलाभिषेक करें और पंचामृत से स्नान कराएं।
  • अब गणेश जी को पीला चंदन का तिलक लगाएं। 
  • इसके बाद फल, फूल, मिठाई, इलायची, अक्षत, पान के पत्ते, सुपारी चढ़ाएं। 
  • गणेश जी की प्रतिमा के सामने धूपबत्ती और घी का दीपक प्रज्वलित करें।
  • इसके बाद आरती करते हुए अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर करें।

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गणेश मंत्र
वक्रतुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ निर्विघ्नम कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा। 'ॐ गं गणपतये नम:। '

कैसे करें लक्ष्मी पूजा

  • लक्ष्मी जी की पूजा करने से पहले गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें।
  • इसके बाद आचमन कर खुद को पवित्र कर पीले रंग का वस्त्र धारण करें। 
  • पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर लक्ष्मी गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करें। 
  • इसके बाद अब ध्यान लगाकर मंत्र का पाठ करें और विधि-विधान से नियमों का पालन करते हुए लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करें। 
  • पूजा के दौरान मां लक्ष्मी को फल, फूल, हल्दी, धूप, दीप, अखंडित चावल, सिंदूर, कुमकुम, अबीर-गुलाल, सुगंधित द्रव्य के साथ नैवेद्य चढ़ाएं। 
  • अब पूजा करते समय लक्ष्मी चालीसा का पाठ, लक्ष्मी स्तोत्र और मंत्र जप करते हुए आरती करें।

लक्ष्मी पूजा मंत्र
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महालक्ष्म्यै नम:।
'ॐ नमो भाग्य लक्ष्म्यै च विद्महे अष्ट लक्ष्म्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोद्यात'। 

श्री कुबेर जी की पूजा विधि

  • आपको घर पर कुबेर जी की मूर्ति की स्थापना करके पूजा करनी है।
  • अगर घर पर मूर्ति नहीं है तो उसके बदले आप तिजोरी या गहनों के बक्से को श्री कुबेर के रूप में मानकर पूजा कर सकते हैं।
  • इसके बाद तिजोरी, बक्से आदि की पूजा कर सिन्दूर से स्वस्तिक-चिह्न बनाएं और उस पर 'मौली' जरूर बांधें।

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श्री कुबेर जी का पूजा के बाद करें इस मंत्र का जाप

  • ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये, धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
  • ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
  • ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः॥

दिवाली पूजन सामग्री
दिवाली में पूजा करने के लिए इन सामग्रियों की आवश्यकता होती है। मुरमुरे, खील-बताशे, गट्टे, जल का पात्र, अर्घ्य पात्र, बही-खाता, कलम, नारियल, स्याही की दवात, तांबूल (लौंग लगा पान का बीड़ा), मिट्टी की दीये, अगरबत्ती, दीपक, सरसों का तेल, लाल कपड़ा, तुलसी दल, इत्र की शीशी, मिठाई,नैवैद्य, गन्ना, मौली, लौंग, छोटी इलायची, सीताफल, सिंघाड़े, दूध, दही, शहद, शुद्ध घी, शक्कर, गंगाजल, पंच मेवा, दूर्वा, कमल गट्टे, पान के पत्ते, सुपारी, हल्दी की गांठ, सप्तमृत्तिका, धनिया साबुत, रुई, सोलह श्रृंगार, कुमकुम, अबीर, चावल, सिंदूर, गुलाल, चौकी, आटा, जनेऊ 5, चंदन, गुलाब के फूल, केसर, कपूर, कमल का फूल, आम के पत्ते, मिट्टी या पीतल का कलश, माला, गणेश-लक्ष्मी जी के वस्त्र, कलश ढकने के लिए ढक्कन, चांदी का सिक्का, कुबेर यंत्र, गणेश-लक्ष्मी जी मूर्ति।

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