Neem Karoli Baba: नीम करोली बाबा के 4 मूल मंत्र बच्चों को बनाते है अच्छा इंसान, कभी नहीं मिलती असफलता

Neem Karoli Baba Mantra for Student Success
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बाबा नीम करोली को कलयुग के हनुमान अंश के रूप में उनके अनुयायियों द्वारा पूजा जाता है।
महान संत नीम करोली बाबा का आश्रम उत्तराखंड के कैंची धाम में है। बाबा नीम करोली को कलयुग के हनुमान अंश के रूप में उनके अनुयायियों द्वारा पूजा जाता है। बाबा ने बेहद कम

Neem Karoli Baba Teaching: महान संत नीम करोली बाबा का आश्रम उत्तराखंड के कैंची धाम में है। बाबा नीम करोली को कलयुग के हनुमान अंश के रूप में उनके अनुयायियों द्वारा पूजा जाता है। बाबा ने बेहद कम उम्र में गृहस्थ जीवन त्याग कर आध्यात्म का मार्ग अपना लिया था। बताया जाता है कि, महज 17 साल की उम्र में नीम करोली बाबा को परम ज्ञान की अनुभूति हो चुकी थी, जिसके बाद उन्होंने जनमानस में अपने शुद्ध विचारों का प्रचार-प्रसार किया।

सभी को समान भाव से प्रेम देने वाले नीम करोली बाबा की कई ऐसी सीखें है, जिन्हें अपने जीवन में उतारकर न सिर्फ बड़े बल्कि बच्चे भी सफलता पा सकते है। यहां हम बाबा के उन 4 मूल मन्त्रों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें बच्चे अपने जीवन में उतार लें तो उन्हें सफल होने से कोई नहीं रोक सकेगा। चलिए जानते है-

बच्चों की सफलता के लिए नीम करोली बाबा के मंत्र
(Neem Karoli Baba Mantra for Student Success)

- नीम करोली बाबा स्वयं सुबह जल्दी उठकर हनुमान जी का ध्यान किया करते थे। इसलिए वे हर बच्चे और बड़ों को एक ही चीज कहते थे कि, सुबह शीघ्र उठकर ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए। साथ ही ईश्वर से जुड़ा कोई शुभ मंत्र का जाप करना चाहिए। यह आदत शांत मन और आत्मविश्वास बढ़ाती है।

- बाबा नीम करोली ने अपने जीवनकाल में अनुशासन को हमेशा महत्व दिया। वह कहते थे कि, बच्चों को शुरुआत से ही एक नियत दिनचर्या का पालन करना जरुरी होता है। इससे वह पढ़ाई और बाकी कार्यों में मन लगा सकेंगे। साथ ही बच्चों को समय पर सोने और जागने की भी आदत डालनी चाहिए।

- दूसरों की मदद करने की आदत बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है। पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी है कि, वह अपने बच्चों को इंसानियत सिखावें। क्योंकि जरूरतमंदों की मदद करना ही सबसे बड़ी इंसानियत है। यह आदत बच्चों में दयालुता और परोपकार की भावना बढ़ाती है और अच्छा इंसान बनाती है।

- धार्मिक ग्रंथ पढ़ने की आदत हर बच्चे को होनी चाहिए। बाबा नीम करोली कहते थे कि, रामायण, महाभारत और रामचरितमानस जैसे ग्रंथ का अध्यन बच्चों का नियमित तौर पर करना चाहिए। यह आदत उन्हें अच्छा संस्कारी बच्चा बनाने में मदद करेगी।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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